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चिरमिरी नगर निगम में करोड़ों का मंगल भवन अटका, अफसरों पर आरोप

Chirmiri Municipal Corporation चिरमिरी नगर पालिका में मंगल भवन का काम अब भी अटका हुआ है. मंगल भवन एसईसीएल की जमीन पर बन रहा था.जिसके लिए एनओसी नहीं ली गई थी. जब निगम की ओर से एसईसीएल को जवाब नहीं मिला तो संपदा न्यायालय ने निर्माण कार्य में रोक लगा दी.जिसके कारण अब करोड़ों का काम अटका है.Mangal Bhawan

Chirmiri Municipal Corporation
चिरमिरी नगर निगम के अफसरों की लापरवाही
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 2, 2024, 12:21 PM IST

Updated : Jan 2, 2024, 1:56 PM IST

चिरमिरी नगर निगम के अफसरों की लापरवाही

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : चिरमिरी नगर निगम में किस तरह से पैसों की बर्बादी की जा रही है.इसकी एक बानगी मंगल भवन निर्माण कार्य में देखने को मिली है. एसईसीएल से मिली लीज की जमीन पर बिना एनओसी के ही निगम के अधिकारियों ने मंगल भवन बनाने की अनुमति दे दी.जिसका नतीजा ये हुआ कि आधे से ज्यादा जब ये मंगल भवन बनकर तैयार हो चुका था,तो उसमें रोक लगा दी गई.अब ये पूरा मामला संपदा न्यायालय के पास है.

Chirmiri Municipal Corporation
करोड़ों का मंगल भवन अटका

कितनी लागत से बनाया जा रहा है मंगल भवन ?: आपको बता दें कि बिना एसईसीएल के परमिशन के 2 करोड़ 75 लाख की लागत से मंगल भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा था. नगर निगम चिरमिरी को एसईसीएल ने इसके लिए कई खत भी लिखे.लेकिन आखिरकार जब कोई जवाब नहीं आया तो मामला संपदा न्यायालय कुरासिया में दर्ज करा दिया गया.जिसके बाद संपदा न्यायालय ने निगम के कार्य पर रोक लगा दी.जिसके बाद सोनामणि इलाके में बन रहा मंगल भवन का काम रोक दिया गया है.

संपदा न्यायालय के फैसले के बाद ही निर्माण : इस मामले में जब तक संपदा न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता.तब तक मंगल भवन का काम पूरा नहीं होगा.लेकिन तब तक बिना किसी तैयारी और कागजी कार्रवाई के इतनी बड़ी राशि से मंगल भवन का बनना कई सवाल खड़े करता है.साथ ही एसईसीएल के क्षेत्र वाली जमीन पर जब तक प्रबंधन एनओसी ना दे तब तक किसी तरह का निर्माण नहीं होता है.ऐसे में यदि गलत जगह पर निर्माण हुआ,तो भविष्य में भवन जमीन में समा भी सकता है.इसलिए सुरक्षा कारणों से एसईसीएल क्षेत्र में निर्माण कार्यों में एनओसी जरूरी है.

एसईसीएल को जमीन वनविभाग से लीज पर मिली है.जिस पर किसी तरह का निर्माण नहीं हो सकता.बार-बार पत्र लिखने के बाद भी निगम ने ध्यान नहीं दिया.जिसकी वजह से न्यायालय की शरण में जाकर इस पर स्थगन लगाया गया है.'' दिलीप गांगुली,अधिकारी एसईसीएल

मंगल भवन को लेकर राजनीति : वहीं निगम चिरमिरी के नेता प्रतिपक्ष संतोष सिंह का कहना है कि अन्य संस्थान की जमीन पर निर्माण बिना एनओसी के नहीं किया जा सकता. इसलिए इस काम में जितनी राशि की बर्बादी की गई है वो अधिकारियों से वसूली जानी चाहिए.वहीं बीजेपी नेता की माने तो बार-बार पत्र लिखने के बाद भी एसईसीएल को कोई भी जवाब निगम की ओर से नहीं मिला.वहीं काम शुरु करा दिया गया.ऐसे में अब शासन को बड़ी क्षति होगी.ऐसे निगम के अफसरों को दंडित भी किया जाना चाहिए.

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Chirmiri Municipal Corporation
करोड़ों का मंगल भवन अटका

कितनी लागत से बनाया जा रहा है मंगल भवन ?: आपको बता दें कि बिना एसईसीएल के परमिशन के 2 करोड़ 75 लाख की लागत से मंगल भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा था. नगर निगम चिरमिरी को एसईसीएल ने इसके लिए कई खत भी लिखे.लेकिन आखिरकार जब कोई जवाब नहीं आया तो मामला संपदा न्यायालय कुरासिया में दर्ज करा दिया गया.जिसके बाद संपदा न्यायालय ने निगम के कार्य पर रोक लगा दी.जिसके बाद सोनामणि इलाके में बन रहा मंगल भवन का काम रोक दिया गया है.

संपदा न्यायालय के फैसले के बाद ही निर्माण : इस मामले में जब तक संपदा न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता.तब तक मंगल भवन का काम पूरा नहीं होगा.लेकिन तब तक बिना किसी तैयारी और कागजी कार्रवाई के इतनी बड़ी राशि से मंगल भवन का बनना कई सवाल खड़े करता है.साथ ही एसईसीएल के क्षेत्र वाली जमीन पर जब तक प्रबंधन एनओसी ना दे तब तक किसी तरह का निर्माण नहीं होता है.ऐसे में यदि गलत जगह पर निर्माण हुआ,तो भविष्य में भवन जमीन में समा भी सकता है.इसलिए सुरक्षा कारणों से एसईसीएल क्षेत्र में निर्माण कार्यों में एनओसी जरूरी है.

एसईसीएल को जमीन वनविभाग से लीज पर मिली है.जिस पर किसी तरह का निर्माण नहीं हो सकता.बार-बार पत्र लिखने के बाद भी निगम ने ध्यान नहीं दिया.जिसकी वजह से न्यायालय की शरण में जाकर इस पर स्थगन लगाया गया है.'' दिलीप गांगुली,अधिकारी एसईसीएल

मंगल भवन को लेकर राजनीति : वहीं निगम चिरमिरी के नेता प्रतिपक्ष संतोष सिंह का कहना है कि अन्य संस्थान की जमीन पर निर्माण बिना एनओसी के नहीं किया जा सकता. इसलिए इस काम में जितनी राशि की बर्बादी की गई है वो अधिकारियों से वसूली जानी चाहिए.वहीं बीजेपी नेता की माने तो बार-बार पत्र लिखने के बाद भी एसईसीएल को कोई भी जवाब निगम की ओर से नहीं मिला.वहीं काम शुरु करा दिया गया.ऐसे में अब शासन को बड़ी क्षति होगी.ऐसे निगम के अफसरों को दंडित भी किया जाना चाहिए.

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Last Updated : Jan 2, 2024, 1:56 PM IST
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