मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: अंतराष्ट्रीय ब्रेल लिपि के जनक लुई ब्रेल की 220वीं जयंती मनेंद्रगढ़ के नेत्रहीन स्कूल में मनाई गई. ये स्कूल छत्तीसगढ़ का एक मात्र नेत्रहीन स्कूल है. यह स्कूल 5 फरवरी 1996 में यहा खोला गया था. इसमें नेत्रहीन और दिव्यांग छात्र रहकर अपनी पढ़ाई करते हैं. इस विद्यालय में रायगढ़, बिलासपुर, रायपुर के अलावा अन्य राज्यों से भी छात्र आते हैं.
बच्चों ने दी खास प्रस्तुति: इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रभा पटेल नपाध्यक्ष मौजूद थी. उन्होंने मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने कार्यक्रम के दौरान दीप प्रज्जवलित किया. इस मौके पर स्कूल के संरक्षक चंद्रकांत चावड़ा सहित पार्षद और विद्यालय के शिक्षकों के साथ बड़ी संख्या में नेत्रहीन छात्र मौजूद थे. कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ के राज्य गीत से की गई. इस दौरान छात्रों ने भजन की प्रस्तुति दी. साथ ही राष्ट्र गान भी गाया. यहां बुधवार को ब्रेल लेखन और पाठन का आयोजन किया गया था, इसके विजेता को आज पुरस्कार दिया गया.
शासन की ओर से मिलती है सहायता: इस दौरान नपाध्यक्ष प्रभा पटेल ने कहा कि, "यह से शिक्षा प्राप्त कर कई राज्यों में नेत्रहीन छात्र अच्छे पदों पर बैठे हैं." संस्था के संचालक चंद्रकांत चावड़ा ने कहा कि, लुई ब्रेल की जयंती मनाई गई है. विद्यालय छत्तीसगढ़ शासन के सहयोग से संचालित किया जा रहा है. दानदाताओं के अलवा शासन प्रशासन का सहयोग हमें मिलता रहा है. शासन से जो अनुदान प्राप्त होता है, उससे विद्यालय के शिक्षकों का वेतन और छात्रों का भरण पोषण होता है."
बता दें कि छत्तीसगढ़ के हर संभाग में नेत्रहीन विद्यालय संचालित है. उसमें कई प्रकार के दिव्यांग हैं. दृष्टि हीनों का अलग विद्यालय है. जिले के इस विद्यालय में 65 से 70 बच्चे पढ़ते हैं. अभी छुट्टियों में बाहर गए थे. अब धीरे-धीरे वापस आ रहे हैं.