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महासमुंद : 'जागो भूपेश सरकार, स्कूल भवन और शिक्षक के बिना कैसे पढ़ेंगे बच्चे'

महासमुंद के शासकीय हाईस्कूल सिंगोड़ा में स्कूल भवन के अभाव में बच्चे पंचायत भवन में बैठने को मजबूर हैं. यहां के ग्रामीण हर साल स्कूल शिक्षा विभाग और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

शासकीय हाईस्कूल सिंगोड़ा.
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Published : Jul 22, 2019, 9:28 PM IST

महासमुंद : छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग शिक्षा का स्तर सुधारने में लगा है, लेकिन सरकारी स्कूलों में सुविधाओं के अभाव में छात्र-छात्राएं कैसे अपनी जिंदगी गढ़ेंगे यह एक बड़ा सवाल है.

महासमुंद के शासकीय हाईस्कूल सिंगोड़ा में स्कूल भवन के अभाव में बच्चे पंचायत भवन में बैठने को मजबूर हैं.
ऐसा ही हालत महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक में भी देखने को मिली है, जहां शासकीय हाईस्कूल सिंगोड़ा सालों से शिक्षकों की कमी और स्कूल भवन के अभाव से जूझ रहा है. भवन के अभाव में बच्चे पंचायत भवन में बैठने को मजबूर हैं.


जिले के सभी स्कूलों में हैं कमियां
जिले में प्रायमरी और हॉयर सेकंडरी मिलाकर 1 हजार 955 स्कूल संचालित है, जिसमें 1 लाख 65 हजार 526 छात्र-छात्राएं अधय्यनरत हैं. शासकीय आंकड़ों के मुताबिक जिले में 68 स्कूल भवनविहीन है. 177 स्कूल भवन मरम्मत के लायक हैं और 71 भवन डिस्मेंटल करने की कगार पर हैं.


कई साल से ग्रामीण लगा रहे विकास की गुहार
हाईस्कूल सिंगोड़ा जो पिछले कई सालों से बदहाली और शिक्षकों की कमी के चलते अपने हाल पर आंसू बहा रहा है. यहां के ग्रामीण हर साल स्कूल शिक्षा विभाग और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.


शिक्षा विभाग ने पूर्व माध्यमिक शाला के दो शिक्षकों की नियुक्ति की है, जिनके भरोसे तीन कक्षाएं चल रही हैं. हाईस्कूल की पढ़ाई भी बच्चे भगवान भरोसे कर रहे हैं. ग्रामीणों की मानें, तो महिला शिक्षक के अभाव में यहां छात्राओं को कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है.


ग्रामीणों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
साल 2013 से सिंगोड़ा को हाईस्कूल की मान्यता तो दे दी गई, लेकिन शिक्षा विभाग नए स्कूल भवन का निर्माण करना भूल गया, तब से ग्रामीण शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे हैं.
हैरत की बात ये है कि साल 2018 में भवन निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद भी शिक्षा विभाग चुप है, जिसकी वजह से ग्रामीण अब आक्रोशित हैं. अगर अब शिक्षा विभाग स्कूल भवन निर्माण और शिक्षकों की व्यवस्था दुरुस्त नहीं करता, तो ग्रामीण उग्र आंदोलन भी कर सकते हैं.


जल्द भवन निर्माण करने का दावा
इधर, शिक्षा विभाग के अधिकारी अपना ही राग अलाप रहे हैं. साल 2018 में भवन की स्वीकृति मिलने की बात करते हुए भवन निर्माण को राष्ट्रीय विधि बताया और जल्द ही भवन निर्माण करने का दावा भी किया.

महासमुंद : छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग शिक्षा का स्तर सुधारने में लगा है, लेकिन सरकारी स्कूलों में सुविधाओं के अभाव में छात्र-छात्राएं कैसे अपनी जिंदगी गढ़ेंगे यह एक बड़ा सवाल है.

महासमुंद के शासकीय हाईस्कूल सिंगोड़ा में स्कूल भवन के अभाव में बच्चे पंचायत भवन में बैठने को मजबूर हैं.
ऐसा ही हालत महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक में भी देखने को मिली है, जहां शासकीय हाईस्कूल सिंगोड़ा सालों से शिक्षकों की कमी और स्कूल भवन के अभाव से जूझ रहा है. भवन के अभाव में बच्चे पंचायत भवन में बैठने को मजबूर हैं.


जिले के सभी स्कूलों में हैं कमियां
जिले में प्रायमरी और हॉयर सेकंडरी मिलाकर 1 हजार 955 स्कूल संचालित है, जिसमें 1 लाख 65 हजार 526 छात्र-छात्राएं अधय्यनरत हैं. शासकीय आंकड़ों के मुताबिक जिले में 68 स्कूल भवनविहीन है. 177 स्कूल भवन मरम्मत के लायक हैं और 71 भवन डिस्मेंटल करने की कगार पर हैं.


कई साल से ग्रामीण लगा रहे विकास की गुहार
हाईस्कूल सिंगोड़ा जो पिछले कई सालों से बदहाली और शिक्षकों की कमी के चलते अपने हाल पर आंसू बहा रहा है. यहां के ग्रामीण हर साल स्कूल शिक्षा विभाग और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.


शिक्षा विभाग ने पूर्व माध्यमिक शाला के दो शिक्षकों की नियुक्ति की है, जिनके भरोसे तीन कक्षाएं चल रही हैं. हाईस्कूल की पढ़ाई भी बच्चे भगवान भरोसे कर रहे हैं. ग्रामीणों की मानें, तो महिला शिक्षक के अभाव में यहां छात्राओं को कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है.


ग्रामीणों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
साल 2013 से सिंगोड़ा को हाईस्कूल की मान्यता तो दे दी गई, लेकिन शिक्षा विभाग नए स्कूल भवन का निर्माण करना भूल गया, तब से ग्रामीण शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे हैं.
हैरत की बात ये है कि साल 2018 में भवन निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद भी शिक्षा विभाग चुप है, जिसकी वजह से ग्रामीण अब आक्रोशित हैं. अगर अब शिक्षा विभाग स्कूल भवन निर्माण और शिक्षकों की व्यवस्था दुरुस्त नहीं करता, तो ग्रामीण उग्र आंदोलन भी कर सकते हैं.


जल्द भवन निर्माण करने का दावा
इधर, शिक्षा विभाग के अधिकारी अपना ही राग अलाप रहे हैं. साल 2018 में भवन की स्वीकृति मिलने की बात करते हुए भवन निर्माण को राष्ट्रीय विधि बताया और जल्द ही भवन निर्माण करने का दावा भी किया.

Intro:एंकर - स्कूल ना बड़े बड़े जिंदगी ला गधे बर इन स्लोगन ओं से छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग शिक्षा का सत्र सुधारने में लगा है लेकिन सरकारी स्कूलों में सुविधाओं के अभाव में छात्र-छात्राएं कैसे अपनी जिंदगी गढ़ेंगे यह एक बड़ा सवाल है ऐसे ही हालात महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक में भी देखने को मिल रहा है जहां शासकीय पूर्व मिडल साला और हाईस्कूल सिंगोड़ा सालों से शिक्षकों की कमी और भवन के अभाव से जूझ रहा है भवन के अभाव में जहां बच्चे पंचायत भवन में बैठने को मजबूर हैं वहीं बरसात के दिनों में भवन में पानी अपना भी शुरू हो गया है देखिए यह रिपोर्ट.....


Body:महासमुंद जिले में प्राथमिक एवं हायर सेकेंडरी स्कूल कुल मिलाकर 1955 स्कूल संचालित है जिसमें 165526 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं शासकीय आंकड़ों के मुताबिक जिले में 68 स्कूल भवन विहीन है 177 स्कूल भवन मरम्मत के लायक है और 71 भवन डिस्मेंटल करने के कगार में हैं 68 स्कूलों में से एक स्कूल है शासकीय हाई स्कूल सिंगोड़ा जो पिछले कई सालों से बदहाली शिक्षकों की कमी के चलते अपने हाल पर रो रहा है यहां के ग्रामीण हर साल स्कूल शिक्षा विभाग और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं स्कूल भवन के अभाव और शिक्षकों की कमी के चलते यहां के बच्चे पंचायत भवन में बैठकर बिना शिक्षक के पढ़ने को मजबूर हैं उसी मोड़ा पूर्व माध्यमिक शाला के शिक्षा विभाग ने 2 शिक्षकों की नियुक्ति की है जिनके भरोसे 3 कक्षाएं चल रही है हाई स्कूल की पढ़ाई भी बच्चे भगवान भरोसे कर रहे हैं ग्रामीणों की माने तो महिला शिक्षक के अभाव में यहां छात्रों को कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है सालों से वह गुहार लगा रहे हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं।


Conclusion:सरकारी स्कूलों का हाल किसी से पूछा नहीं बावजूद इसके शिक्षा विभाग के अधिकारी अपना ही राग अलाप रहे हैं और साल 2018 में भवन की स्वीकृति मिलने की बात करते हुए भवन निर्माण को राष्ट्रीय विधि बता रहे हैं और जल्द ही भवन निर्माण करने का दावा भी कर रहे हैं गौरतलब है कि साल 2013 से पूर्व माध्यमिक स्कूल सिंगोड़ा का हाई स्कूल में तो कर दिया गया लेकिन विभाग नवीन स्कूल भवन का निर्माण करना भूल गया जिसके बाद से पिछले 6 साल से ग्रामीण विभाग के चक्कर लगा रहे हैं हैरत की बात यह कि तमाम मसले को जानने के बाद भी शिक्षा विभाग साल दो हजार अट्ठारह में भवन निर्माण की स्वीकृति मिलने का बाद भी चुप बैठा है जिससे लेकर अब ग्रामीण लामबंद हो गए हैं यदि बावजूद इसके विभाग भवन निर्माण और शिक्षकों की व्यवस्था दुरुस्त नहीं करता तो ग्रामीण उग्र आंदोलन भी कर सकते हैं।


बाइट 1 - अमन चंद्राकर स्थानीय पहचान सफेद कलर का हाफ टी शर्ट

बाइट 2 - तन्मय पंडा अध्यक्ष साला समिति सिंघोड़ा पहचान गले में सोने का चैन फुल शर्ट नीले में फ्लावर डिजाइन वाला

बाइट 3 - बीएल कुर्रे जिला शिक्षा अधिकारी महासमुंद पहचान सफेद लाइनिंग वाला शर्ट और चेयर में बैठा हुआ

हकीमुद्दीन नासिर रिपोर्टर ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ़ मो 9826555052
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