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महासमुंद: मशाल के भरोसे कट रही किसानों की रात, कब मिलेगी साहब हांथियों से निजात - मोहकम समेत 52 गांव शामिल

सिरपुर इलाके के लगभग 52 गांवों के लोगों पर हाथी पिछले कई साल से अपना कहर बरपा रहे हैं, जिसमें कुकराडीह, खडसा, मोहकम समेत 52 गांव शामिल हैं.

Elephant terror continues in Mahasamund
मशाल के भरोसे कट रही किसानों की रात
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Published : Dec 28, 2019, 5:14 PM IST

Updated : Dec 29, 2019, 12:59 AM IST

महासमुंद: हाथियों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है. हाथियों के कारण पूरे इलाके में रहने वाले लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं. हाथी कभी भी कहीं भी आ जा रहे हैं, जिससे लोग डर के साए में जिंदगी जी रहे हैं, तो वहीं अन्नदाता भी अपनी फसल बचाने के लिए रात में मशाल लेकर खेत-खलिहान ताकने को मजबूर हैं.

मशाल के भरोसे कट रही किसानों की रात

सिरपुर इलाके के लगभग 52 गांवों के लोगों पर हाथी पिछले कई साल से अपना कहर बरपा रहे हैं, जिसमें कुकराडीह, खडसा, मोहकम समेत 52 गांव शामिल हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि हाथी खरीफ की फसल को खेत में ही चौपट कर देते हैं. अगर वहां से बचा, तो खलिहान से साफ कर देते हैं.

4 लोगों की हो चुकी मौत
सरकारी आकड़ों की बात करें, तो 2019 में अभी तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं कई लोग तो आज भी बिस्तर में जिंदगी काट रहे हैं. फसल बर्बादी की बात करें, तो अब तक 3 हजार 217 प्रकरण दर्ज हो चुके हैं. जिनको तकरीबन 3 करोड़ 5 लाख 35 हजार 200 रूपये की मुआवजा राशि बांटी जा चुकी है. मामले में अधिकारियों का रटा रटाया जवाब है.

खतरे से कब मिलेगी निजात
बहरहाल 52 गांव में कहर बरपाते हुए हाथी कई लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं. साथ ही न जाने कितने लोग हाथियों के हमले में घायल हो चुके हैं. इससे पिछले कई साल से लोग दहशत के साए में जिंदगी जी रहे, लेकिन इन लोगों को कब इस खतरे से निजात मिलेगी. इसका जवाब न तो सिस्टम के पास है और न ही सरकार के पास है.

महासमुंद: हाथियों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है. हाथियों के कारण पूरे इलाके में रहने वाले लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं. हाथी कभी भी कहीं भी आ जा रहे हैं, जिससे लोग डर के साए में जिंदगी जी रहे हैं, तो वहीं अन्नदाता भी अपनी फसल बचाने के लिए रात में मशाल लेकर खेत-खलिहान ताकने को मजबूर हैं.

मशाल के भरोसे कट रही किसानों की रात

सिरपुर इलाके के लगभग 52 गांवों के लोगों पर हाथी पिछले कई साल से अपना कहर बरपा रहे हैं, जिसमें कुकराडीह, खडसा, मोहकम समेत 52 गांव शामिल हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि हाथी खरीफ की फसल को खेत में ही चौपट कर देते हैं. अगर वहां से बचा, तो खलिहान से साफ कर देते हैं.

4 लोगों की हो चुकी मौत
सरकारी आकड़ों की बात करें, तो 2019 में अभी तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं कई लोग तो आज भी बिस्तर में जिंदगी काट रहे हैं. फसल बर्बादी की बात करें, तो अब तक 3 हजार 217 प्रकरण दर्ज हो चुके हैं. जिनको तकरीबन 3 करोड़ 5 लाख 35 हजार 200 रूपये की मुआवजा राशि बांटी जा चुकी है. मामले में अधिकारियों का रटा रटाया जवाब है.

खतरे से कब मिलेगी निजात
बहरहाल 52 गांव में कहर बरपाते हुए हाथी कई लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं. साथ ही न जाने कितने लोग हाथियों के हमले में घायल हो चुके हैं. इससे पिछले कई साल से लोग दहशत के साए में जिंदगी जी रहे, लेकिन इन लोगों को कब इस खतरे से निजात मिलेगी. इसका जवाब न तो सिस्टम के पास है और न ही सरकार के पास है.

Intro:एंकर- महासमुंद जिले में हाथियों का आतंक दिन प दिन बढ़ता जा रहा है । हाथी कभी भी कहीं आ जा रहे है । जिससे ग्रामीण भयभीत व परेशान है । जहाॅ किसान धान की फसल को बचाने के लिए हाथो में मसाल लेकर रात गुजार रहे है ,वही वन विभाग के आला अधिकारी हाथियों का लोकेशन पता करने एवं गांवों में गश्त लगाने की बात कह रहे है । देखिए एक रिपोर्ट ----
Body:व्हीओ 01- महासमुंद जिले के सिरपुर इलाके के लगभग 52 गांवो ( कुकराडीह , खडसा , मोहकम , परसाडीह , अछोला , अछोली , जोबा , गुडरूडीह ,पिरदा , मालीडीह ,बिरबिरा ,फरसाडीह , लहगंर आदि ) में पिछले 5 वर्षो से हाथियों के आंतक से ग्रामीण परेशान है । जिले में 40 हाथियों का दल तीन से चार दलों में विचरण कर रहे है । हाथी अब कभी भी कहीं भी पहुॅच जा रहे है । चूंकि वर्तमान में खरीफ की फसल कट चुकी है और किसान धान को अपने खलिहान में या फिर घरों में रखे है और हाथी उसे खाने के लिए अब खलिहान और गांवों में घुसकर धान की फसल को नुकसान पहुॅचा रहे है । कई मामले ऐसे भी सामने आये है कि किसान धान को ट्रैक्टर पर लादकर धान खरीदी केन्द्र में बेचने जा रहे है और रास्ते में हाथीेे धावा बोलकर धान को चट कर जा रहे है । यही कारण है कि ग्रामीण शाम 5 बजे के बाद अपने घरों से नही निकलते है और घरों में मशाल रखते है ताकि हाथियों को गांव में घुसने से रोका जाये । शासकीय आंकडों पर गौर करे तो वित्तीय वर्ष 2019-20 में अभी तक 4 जनहानि , 1 जन घायल , 1 पशुहानि एवं 3217 प्रकरण फसल हानि के व 146 प्रकरण सम्पत्ति हानि के बनाये जा चुके है और शासन-प्रशासन 3 करोड़ 5 लाख 35 हजार 200 रूपये की राशि किसानो व ग्रामीणों को मुआवजा के तौर पर दे चुका है । आइये आप को सुनाते है ग्रामीणों का दर्द ---
Conclusion:व्हीओ 02- इस पूरे मामले में वन विभाग के आला अधिकारी गांवों में गजराज वाहन के साथ गश्तीदल को घुमाये जाने की बात कह रहे है । गौरतलब है कि हाथियों ने पिछले 5 वर्षो में 19 लोगो की जान ले चुके है और लगभग दो दर्जन से ज्यादा लोगो को घायल कर चुके है । बहरहाल देखना होगा कि ग्रामीणों को कब तक इन हाथियों के आंतक से छुटकारा मिल पायेगा ।

बाइट 01- राधेलाल सिन्हा - ग्रामीण लहगंर पहचान - काला कोट और सफेद मूच और सफेद बाल
बाइट 02- एस एस नाविक - एसडीओ - वन विभाग पहचान - चष्मा लगाया हुआ और क्रिम कलर का फूल टी-षर्ट

हकीमुद्दीन नासिर रिपोर्टर इटीवी भारत महासमुन्द छत्तीसगढ़ मो. 9826555052
Last Updated : Dec 29, 2019, 12:59 AM IST
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