महासमुंदः कहते हैं कि अगर हौसला हो तो कोई भी कमज़ोरी रुकावट नहीं बन सकती. हौसले और जज़्बे के दम पर इंसान अपनी कमज़ोरी को भी अपनी ताकत बना लेता है, फिर उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं होता. कुछ ऐसे ही जज़्बे की पहचान दी है खट्टी गांव के युवक दिव्या तोरण ने.
तोरण 40 प्रतिशत दिव्यांग है उसका एक पैर ठीक से काम नहीं करता. लेकिन दिव्यांगता को कभी उसने अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दिया. तोरण इस वर्ष चौथे वर्ल्ड योग फेस्टिवल एंड चैंपियनशिप में इंडिया को रिप्रेज़ेंट करने जा रहा है. इस प्रतियोगिता का आयोजन बुल्गारिया, यूरोप में होगा जहां तोरण भारत का प्रतिनिधित्व करेगा.
इस प्रतियोगिता के लिए छत्तीसगढ़ से तीन और बेंगलुरु से 15 छात्रों का चयन भारत की टीम के लिए हुआ है. जो 28, 29 और 30 जून को यूरोप में अपना प्रदर्शन करेंगे. तोरण की इस उपलब्धि से उसका परिवार बेहद खुश है.
तोरण आगे चलकर योग को ही अपना करियर बनाना चाहता है. तोरण अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरु को देता है. तोरण अपने जैसे दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है.