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बिहान योजना के तहत आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं, कमा रही लाखों

महिला समूह लगातार स्वावलंबी हो रही हैं. महिला समूह में महिलाएं वाकई सशक्त हो रही हैं. समूह से जुड़कर महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि उन्हें अच्छी-खासी आमदनी भी हो रही है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन-बिहान योजना के तहत कोरिया जिले में स्वसहायता समूह की महिलाएं गोबर से विभिन्न उत्पाद का निर्माण कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं. समूह ने गोबर के दीये, शुभ-लाभ और ऊँ का निर्माण किया है, जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है.

Women becoming self dependent
आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं
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Published : Dec 9, 2020, 12:08 PM IST

कोरिया: छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना 'बिहान' के तहत कोरिया जिले में महिलाएं अलग-अलग स्वसहायता समूह से जुड़कर गोबर के दीये, कंडे, बंबू क्राफ्ट, कढ़ाई-बुनाई, आकर्षक टेराकोटा से सजावटी सामान, साबुन, फिनाइल, मोमबत्ती, शैंपू, वॉशिंग पाउडर, मसाला सहित कई चीजों का उत्पादन कर रही हैं. स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाएं घरेलू उत्पादों के साथ ही कला से जुड़ी चीजें भी बना रही हैं और अच्छी आय अर्जित कर रही हैं. कभी घर में रहने वाली महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं.

Women becoming self dependent
गोबर से बना रही दीये

दीपावली त्योहार के दौरान स्वसहायता समूहों ने गोबर के बने दीये का विक्रय कर कुल 1 लाख 40 हजार रुपये की आमदनी की है. इसके साथ ही कोविड महामारी से लड़ने के लिए मास्क, सैनिटाइजर, हैंडवॉश, हर्बल फिनाइल और हैंड मेड साबुन सहित अन्य उत्पाद भी समूह ने बनाए हैं. महिलाएं गोबर से बने रंग-बिरंगे दीए और टेराकोटा की कलाकृतियों के साथ ही बांस से बने अन्य हस्त निर्मित उत्पाद बेचकर 56 हजार रुपये की कमाई की है. महिलाओं ने सोनहत क्षेत्र में 16 हजार, मनेंद्रगढ़ में 40 हजार और भरतपुर में 28 हजार की कमाई की है. इसी तरह स्थानीय स्तर पर महिलाओं को न सिर्फ स्वरोजगार मिल रहा है, बल्कि वे आर्थिक तौर पर सशक्त और आत्मनिर्भर भी हो रही हैं.

Women becoming self dependent
घरेलू उत्पादों से बना रहीं सामान

पढ़ें: SPECIAL: बिहान योजना ने बदली महिलाओं की तकदीर, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया कदम

महिलाओं को मिल रही आर्थिक मजबूती

कोरिया में बिहान बाजार की शुरुआत राज्य स्थापना दिवस से शुरू हुई. बाजार में अन्य विकासखंडों के समूहों ने हस्त निर्मित उत्पादों का विक्रय किया. स्वसहायता समूहों और स्थानीय शिल्पियों को आर्थिक मजबूती देने और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए गोबर, मिट्टी, बांस आदि से बने सामग्रियों के उपयोग करने की अपील की जा रही है. जिले में स्वसहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों में टेराकोटा के साथ-साथ घरेलू उपयोग के सामान जैसे- हर्बल साबुन, हैंडवॉश, फिनाइल, हार्पिक, डिटर्जेंट पावडर, डिश वॉश लिक्विड और अन्य उत्पाद शामिल हैं. इतना ही नहीं यहां साज सजावट के सामान जैसे- झूमर, पैरदान, थाल पोस, गुलदस्ता, माईक्रोम से बने उत्पाद भी स्वसहायता समूहों से संपर्क कर प्राप्त किए जा सकते हैं. खास बात ये है कि गोबर से बने सामान ईको फ्रेंडली हैं, जो बाद में मिट्टी में आसानी से मिलकर खाद का रूप ले लेते हैं. ये गार्डनिंग करने वालों के लिए बहुत ही उपयोगी हैं.

कोरिया: छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना 'बिहान' के तहत कोरिया जिले में महिलाएं अलग-अलग स्वसहायता समूह से जुड़कर गोबर के दीये, कंडे, बंबू क्राफ्ट, कढ़ाई-बुनाई, आकर्षक टेराकोटा से सजावटी सामान, साबुन, फिनाइल, मोमबत्ती, शैंपू, वॉशिंग पाउडर, मसाला सहित कई चीजों का उत्पादन कर रही हैं. स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाएं घरेलू उत्पादों के साथ ही कला से जुड़ी चीजें भी बना रही हैं और अच्छी आय अर्जित कर रही हैं. कभी घर में रहने वाली महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं.

Women becoming self dependent
गोबर से बना रही दीये

दीपावली त्योहार के दौरान स्वसहायता समूहों ने गोबर के बने दीये का विक्रय कर कुल 1 लाख 40 हजार रुपये की आमदनी की है. इसके साथ ही कोविड महामारी से लड़ने के लिए मास्क, सैनिटाइजर, हैंडवॉश, हर्बल फिनाइल और हैंड मेड साबुन सहित अन्य उत्पाद भी समूह ने बनाए हैं. महिलाएं गोबर से बने रंग-बिरंगे दीए और टेराकोटा की कलाकृतियों के साथ ही बांस से बने अन्य हस्त निर्मित उत्पाद बेचकर 56 हजार रुपये की कमाई की है. महिलाओं ने सोनहत क्षेत्र में 16 हजार, मनेंद्रगढ़ में 40 हजार और भरतपुर में 28 हजार की कमाई की है. इसी तरह स्थानीय स्तर पर महिलाओं को न सिर्फ स्वरोजगार मिल रहा है, बल्कि वे आर्थिक तौर पर सशक्त और आत्मनिर्भर भी हो रही हैं.

Women becoming self dependent
घरेलू उत्पादों से बना रहीं सामान

पढ़ें: SPECIAL: बिहान योजना ने बदली महिलाओं की तकदीर, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया कदम

महिलाओं को मिल रही आर्थिक मजबूती

कोरिया में बिहान बाजार की शुरुआत राज्य स्थापना दिवस से शुरू हुई. बाजार में अन्य विकासखंडों के समूहों ने हस्त निर्मित उत्पादों का विक्रय किया. स्वसहायता समूहों और स्थानीय शिल्पियों को आर्थिक मजबूती देने और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए गोबर, मिट्टी, बांस आदि से बने सामग्रियों के उपयोग करने की अपील की जा रही है. जिले में स्वसहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों में टेराकोटा के साथ-साथ घरेलू उपयोग के सामान जैसे- हर्बल साबुन, हैंडवॉश, फिनाइल, हार्पिक, डिटर्जेंट पावडर, डिश वॉश लिक्विड और अन्य उत्पाद शामिल हैं. इतना ही नहीं यहां साज सजावट के सामान जैसे- झूमर, पैरदान, थाल पोस, गुलदस्ता, माईक्रोम से बने उत्पाद भी स्वसहायता समूहों से संपर्क कर प्राप्त किए जा सकते हैं. खास बात ये है कि गोबर से बने सामान ईको फ्रेंडली हैं, जो बाद में मिट्टी में आसानी से मिलकर खाद का रूप ले लेते हैं. ये गार्डनिंग करने वालों के लिए बहुत ही उपयोगी हैं.

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