ETV Bharat / state

यहां जानवरों के साथ खेलते हैं 'ओलंपिक', दिलचस्प हैं ये मान्यताएं - koriyac

ग्रामीण होली के दो दिन बाद एक विशेष आयोजन करते हैं, जिसमें जानवरों और केकड़ों के साथ दौड़ लगाया जाता है.

डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Mar 24, 2019, 3:44 PM IST

कोरियाः छत्तीसगढ़ अनूठी परंपराओं के लिए हमेशा से मशहूर है. जिले के बैरागी गांव में एक ऐसी ही परंपरा है, जिसके अंचल में काफी चर्चे हैं. यहां पर ग्रामीण होली के दो दिन बाद एक विशेष आयोजन करते हैं, जिसमें ग्रामीण जानवरों और केकड़ों के साथ दौड़ लगाते हैं.

वीडियो

यह अनूठी प्रतियोगिता न केवल छत्तीसगढ़ की बल्कि देश की एकमात्र ऐसी प्रतियोगिता है, जिसमें पानी के अंदर केकड़ा दौड़ का आयोजन होता है. वहीं खुले में खरगोश, मुर्गा और गिलहरी के साथ रोमांचक दौड़ होती है. इसे देखने आस-पास के गांवों के लोग काफी संख्या में आते होते हैं. यह दर्शकों के लिए एकदम निशुल्क होती है.

दशकों से हो रही प्रतियोगिता
यह अजीबो-गरीब प्रतियोगिता जिले के वनांचल क्षेत्र स्थित ग्राम बैरागी में बीते कई दशकों से हो रही है. ग्रामीणों में इस स्पर्धा का रोमांच हावी रहता है. कहा जाता है कि जो भी एक बार इस प्रतियोगिता में शामिल होता है, वह अगले साल भी इसे देखने जरूर आता है.

पुरुषों और महिलाओं का बनता है समूह
होली के बाद गांव के लोग प्रतियोगिता की तैयारी में लग जाते हैं. ग्रामीण दो समूहों में बंटकर जंगल और नदी की ओर चले जाते हैं. एक समूह पुरुषों का होता है. वहीं दूसरे समूह में महिलाएं रहती हैं. पुरुषों का समूह जंगलों में जाकर खरगोश, गिलहरी ढूंढते हैं और महिलाएं नदियों में जाकर केकड़ा और मछली पकड़ती हैं. फिर दूसरे दिन मुकाबले की तैयारी होती है.

ये है मान्यता
दौड़ के पीछे की मान्यता ये है कि अगर महिलाएं पुरुषों द्वारा छोड़े गए खरगोश को पकड़ लेती हैं, तो गांव में साल भर अकाल नहीं पड़ेगा. वहीं अगर महिलाएं पकड़ने में असफल हुई, तो उन्हें अर्थदंड भी लगाया जाता है, जिससे मिलने वाले राशि से सामूहिक भोज कराया जाता है.

पुरुष लगाते हैं केकड़ों से दौड़
महिलाओं के बाद पुरुषों और बच्चों के लिए प्रतियोगिता होती है. ग्रामीण पॉलीथिन लगाकर छोटा तालाब बनाते हैं, जिसमें महिलाएं मछली और केकड़े को छोड़ती हैं, फिर सीटी बजने के बाद पुरुषों को तालाब से मछली और केकड़ों को पकड़ना होता है, जो पुरुष सबसे अधिक केकड़ा और मछली पकड़ता है, उसे विजयी घोषित करते हैं. प्रतियागिता के बाद रात में ग्रामीण सामूहिक भोज का आयोजन कर जश्न मनाते हैं.

कोरियाः छत्तीसगढ़ अनूठी परंपराओं के लिए हमेशा से मशहूर है. जिले के बैरागी गांव में एक ऐसी ही परंपरा है, जिसके अंचल में काफी चर्चे हैं. यहां पर ग्रामीण होली के दो दिन बाद एक विशेष आयोजन करते हैं, जिसमें ग्रामीण जानवरों और केकड़ों के साथ दौड़ लगाते हैं.

वीडियो

यह अनूठी प्रतियोगिता न केवल छत्तीसगढ़ की बल्कि देश की एकमात्र ऐसी प्रतियोगिता है, जिसमें पानी के अंदर केकड़ा दौड़ का आयोजन होता है. वहीं खुले में खरगोश, मुर्गा और गिलहरी के साथ रोमांचक दौड़ होती है. इसे देखने आस-पास के गांवों के लोग काफी संख्या में आते होते हैं. यह दर्शकों के लिए एकदम निशुल्क होती है.

दशकों से हो रही प्रतियोगिता
यह अजीबो-गरीब प्रतियोगिता जिले के वनांचल क्षेत्र स्थित ग्राम बैरागी में बीते कई दशकों से हो रही है. ग्रामीणों में इस स्पर्धा का रोमांच हावी रहता है. कहा जाता है कि जो भी एक बार इस प्रतियोगिता में शामिल होता है, वह अगले साल भी इसे देखने जरूर आता है.

पुरुषों और महिलाओं का बनता है समूह
होली के बाद गांव के लोग प्रतियोगिता की तैयारी में लग जाते हैं. ग्रामीण दो समूहों में बंटकर जंगल और नदी की ओर चले जाते हैं. एक समूह पुरुषों का होता है. वहीं दूसरे समूह में महिलाएं रहती हैं. पुरुषों का समूह जंगलों में जाकर खरगोश, गिलहरी ढूंढते हैं और महिलाएं नदियों में जाकर केकड़ा और मछली पकड़ती हैं. फिर दूसरे दिन मुकाबले की तैयारी होती है.

ये है मान्यता
दौड़ के पीछे की मान्यता ये है कि अगर महिलाएं पुरुषों द्वारा छोड़े गए खरगोश को पकड़ लेती हैं, तो गांव में साल भर अकाल नहीं पड़ेगा. वहीं अगर महिलाएं पकड़ने में असफल हुई, तो उन्हें अर्थदंड भी लगाया जाता है, जिससे मिलने वाले राशि से सामूहिक भोज कराया जाता है.

पुरुष लगाते हैं केकड़ों से दौड़
महिलाओं के बाद पुरुषों और बच्चों के लिए प्रतियोगिता होती है. ग्रामीण पॉलीथिन लगाकर छोटा तालाब बनाते हैं, जिसमें महिलाएं मछली और केकड़े को छोड़ती हैं, फिर सीटी बजने के बाद पुरुषों को तालाब से मछली और केकड़ों को पकड़ना होता है, जो पुरुष सबसे अधिक केकड़ा और मछली पकड़ता है, उसे विजयी घोषित करते हैं. प्रतियागिता के बाद रात में ग्रामीण सामूहिक भोज का आयोजन कर जश्न मनाते हैं.

Intro:एंकर - होली पर जहां शहरी क्षेत्रों में आमजन अपने मनोरंजन और उत्साह के लिए कई प्रकार के आयोजन करते हैं जिनमे भारी भरकम राशि खर्च होती है । वहीं दूसरी और ग्रामीण अंचलों में आज भी ऐसी परंपराएं हैं जिनके माध्यम से ग्रामीण अपना मनोरंजन करते हैं । ऐसे आयोजनों में ना बड़ा काम जाम होता है और ना ज्यादा खर्च होता है अगर कुछ होता है तो लोगों का उत्साह , उमंग और मस्ती का वह मंजर जिसमें ग्रामीण अपनी सुध बुध भूलकर उत्साह में सराबोर दिखाई देते हैं ।


Body:वी.ओ.-1 कोरिया जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम बैरागी के पहचान होली के 2 दिन बाद होने वाले एक विशेष आयोजन को लेकर पूरे प्रदेश में बनी हुई है । यह अनूठी प्रतियोगिता ना केवल छत्तीसगढ़ वरन पूरे भारतवर्ष में अपनी तरह की एकमात्र ऐसी प्रतियोगिता है जिसमें पानी के अंदर जहां केकड़ा दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है वही खुले में जंगली खरगोश , मुर्गा , गिलहरी की रोमांचक दौर होती है । इसे देखने आसपास के कई गांवों के लोग काफी संख्या में एकत्रित होते हैं प्रतियोगिता में दशकों के लिए निशुल्क होती है और ना ही किसी प्रकार का उनसे लिया जाता है ।

वी.ओ.-2 अभी तक आपने कई प्रकार की दौड़ में कई प्रकार की प्रतियोगिताओं के बारे में सुना होगा लेकिन आपने कभी यह सुना है कि नदी में रहने वाला केकड़ा ,जंगल में रहने वाली ख़रगोश की भी दौड़ होती है । जी हां यह अजीबोगरीब प्रतियोगिता कोरिया जिले के वनांचल क्षेत्र स्थित ग्राम बैरागी में बीते कई दशकों से होती है। यहां ग्रामीण उससे इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं खुले आसमान में होने वाली इस प्रतियोगिता में रोमांच इस कदर हावी रहता है कि जो भी एक बार इस प्रतियोगिता में शामिल हुआ वह अगले वर्ष जरूर इस प्रतियोगिता को देखने आता है ।

वी.ओ.-3 बीते कई दशकों से होने वाली अनूठी प्रतियोगिता को देखने लोगों के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि होली के बाद इस प्रतियोगिता की तैयारी में पूरे गांव के लोग दो समूहों में बटकर जंगल और नदी की ओर चल देते हैं । इनमें से एक समूह पुरुषों का होता है । जिसमें बच्चे भी शामिल होते हैं वही दूसरे समूह में महिलाएं और युवतियां शामिल होती हैं पुरुष जंगल में जाकर जंगली खरगोश, गिलहरी ढूंढते हैं और महिलाएं नदियों में जाकर केकड़ा और मछली पकड़ती हैं और फिर दूसरे दिन मुकाबले की तैयारी शुरू होती है ।

वी.ओ.-4 प्रतियोगिता की शुरुआत में ग्रामीण तयशुदा स्थान पर एक बड़ा घेरा बनाते हैं । इस घेरे में गांव के पुरुष और खिलाड़ी महिलाएं शामिल होती हैं । सीटी बजने के साथ ही गांव के पुरुष वर्ग के लोग हाथ में पकड़ कर रखे खरगोश को छोड़ते हैं । उन्हें पकड़ने के लिए महिलाओं का समूह इनके पीछे जंगल की ओर भागता है इस खेल के पीछे मानता है कि अगर महिलाएं पुरुषों द्वारा छोड़े गए खरगोश को पकड़ लेती हैं तो गांव में वर्ष भर अकाल नहीं पड़ेगा वहीं अगर महिलाएं पकड़ने में सफल नहीं हुई तो उन्हें अर्थदंड भी लगाया जाता है जिससे मिलने वाले राशि का सामूहिक भोज में उपयोग किया जाता है ।

वी.ओ.-5 महिलाओं के बाद पुरुषों और बच्चों के लिए प्रतियोगिता शुरू होती है जिसमें गांव के लोगों द्वारा पॉलीथिन लगाकर छोटा तालाब बनाया जाता है जिसमें गांव की महिलाएं जो नदियों से मछली और केकड़ा पढ़ कर लाती हैं उसे छोड़ा जाता है इस प्रतियोगिता में निर्णायक द्वारा सीटी बजाने के साथ ही पुरुषों को इस तालाब से मछली और केकड़ा पकड़ना होता है जो पुरुष सबसे अधिक केकड़ा मछली पकड़ता है उसे विजयी घोषित किया जाता है ।

बाइट-1 मनकुमर (ग्रामीण)
बाइट - 2 बिस्पति (ग्रामीण)
बाइट - 3 शिव कुमार (पूर्व जनपद)
बाइट - 4 राम सूर्यवंशी (सरपंच)


Conclusion:फाइनल वी.ओ. - इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले समस्त खिलाड़ियों और ग्रामीणों के लिए बैरागी गांव के लोगों द्वारा रात में सामूहिक भोज का आयोजन किया गया जिसमें सभी तबके के लोग उत्साह पूर्ण वातावरण में शामिल हुए इस परंपरा को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि बीते कई दशकों से गांव में या अनूठी प्रतियोगिता आयोजित होती है इसमें उनका 1रुपय भी खर्च नहीं होता । गांव के लोग अपनी तरफ से पूरी व्यवस्था करते हैं ।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.