कोरियाः छत्तीसगढ़ अनूठी परंपराओं के लिए हमेशा से मशहूर है. जिले के बैरागी गांव में एक ऐसी ही परंपरा है, जिसके अंचल में काफी चर्चे हैं. यहां पर ग्रामीण होली के दो दिन बाद एक विशेष आयोजन करते हैं, जिसमें ग्रामीण जानवरों और केकड़ों के साथ दौड़ लगाते हैं.
यह अनूठी प्रतियोगिता न केवल छत्तीसगढ़ की बल्कि देश की एकमात्र ऐसी प्रतियोगिता है, जिसमें पानी के अंदर केकड़ा दौड़ का आयोजन होता है. वहीं खुले में खरगोश, मुर्गा और गिलहरी के साथ रोमांचक दौड़ होती है. इसे देखने आस-पास के गांवों के लोग काफी संख्या में आते होते हैं. यह दर्शकों के लिए एकदम निशुल्क होती है.
दशकों से हो रही प्रतियोगिता
यह अजीबो-गरीब प्रतियोगिता जिले के वनांचल क्षेत्र स्थित ग्राम बैरागी में बीते कई दशकों से हो रही है. ग्रामीणों में इस स्पर्धा का रोमांच हावी रहता है. कहा जाता है कि जो भी एक बार इस प्रतियोगिता में शामिल होता है, वह अगले साल भी इसे देखने जरूर आता है.
पुरुषों और महिलाओं का बनता है समूह
होली के बाद गांव के लोग प्रतियोगिता की तैयारी में लग जाते हैं. ग्रामीण दो समूहों में बंटकर जंगल और नदी की ओर चले जाते हैं. एक समूह पुरुषों का होता है. वहीं दूसरे समूह में महिलाएं रहती हैं. पुरुषों का समूह जंगलों में जाकर खरगोश, गिलहरी ढूंढते हैं और महिलाएं नदियों में जाकर केकड़ा और मछली पकड़ती हैं. फिर दूसरे दिन मुकाबले की तैयारी होती है.
ये है मान्यता
दौड़ के पीछे की मान्यता ये है कि अगर महिलाएं पुरुषों द्वारा छोड़े गए खरगोश को पकड़ लेती हैं, तो गांव में साल भर अकाल नहीं पड़ेगा. वहीं अगर महिलाएं पकड़ने में असफल हुई, तो उन्हें अर्थदंड भी लगाया जाता है, जिससे मिलने वाले राशि से सामूहिक भोज कराया जाता है.
पुरुष लगाते हैं केकड़ों से दौड़
महिलाओं के बाद पुरुषों और बच्चों के लिए प्रतियोगिता होती है. ग्रामीण पॉलीथिन लगाकर छोटा तालाब बनाते हैं, जिसमें महिलाएं मछली और केकड़े को छोड़ती हैं, फिर सीटी बजने के बाद पुरुषों को तालाब से मछली और केकड़ों को पकड़ना होता है, जो पुरुष सबसे अधिक केकड़ा और मछली पकड़ता है, उसे विजयी घोषित करते हैं. प्रतियागिता के बाद रात में ग्रामीण सामूहिक भोज का आयोजन कर जश्न मनाते हैं.