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8 घंटे का दुर्गम सफर और 3 किलोमीटर की दूरी तय कर आदिवासी पहुंचे कोरियागढ़, की पूजा-अर्चना - korea news

कोरिया का आदिवासी समाज अपने मूल धरोहर को देखने कोरियागढ़ पहुंचा. देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना भी की.

Tribals reached Koriyagarh
आदिवासी पहुंचे कोरियागढ़
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Published : Aug 30, 2021, 8:49 PM IST

कोरिया : कोल राजा और गोंड जमींदारों के संयुक्त सैन्य बल ने बलेंद शासकों को कोरिया से खदेड़ दिया था. ऐसा कहा जाता है कि कोल कोंच, कोल के रूप में जाने जाते थे और ग्यारह पीढ़ियों तक उन्होंने शासन किया है. लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि वहां कोरियागढ़ के शीर्ष पर एक पठार है और वहां कुछ खंडहर भी हैं. अपनी उन्हीं धरोहरों को देखने और अपने देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने को सोमवार को आदिवासी समाज कोरयागढ़ पहुंचा.

तालाब-कुएं और गुफाएं भी देखे

अपनी प्राचीन सभ्यता और कोरयागढ़ के इतिहास को जानने के लिए राजा बैकुंठपुर और खड़गवां ब्लॉक के आदिवासी समाज के लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. करीब 8 घंटे का सफर और 3 किलोमाटर की दूरी तय करते हुए ये लोग कोरयागढ़ पहुंचे. वहां उन लोगों ने देवी-देवताओं का दर्शन कर पूजा-अर्चना की. राजाओं के समय के तालाब, कुएं, मंदिर, गुफा और शिलालेख भी देखे.

पूर्वजों ने अपने हाथों से कोड़-कोड़कर किया था कोरियागढ़ का निर्माण

बता दें कि कोरिया जिले के विभाजन के बाद खड़गवां ब्लॉक को कोरिया में यथावत रखने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. कोरियागढ़ को पूर्वजों ने अपने हाथों से कोड़-कोड़कर बनाया था. फिर इसके निर्माण के बाद अपने देवी-देवताओं को वहां स्थापित किया था. कोरिया और कोरियागढ़ के इतिहास पर एक स्टोरी भी बनाई गई है.

कोरिया : कोल राजा और गोंड जमींदारों के संयुक्त सैन्य बल ने बलेंद शासकों को कोरिया से खदेड़ दिया था. ऐसा कहा जाता है कि कोल कोंच, कोल के रूप में जाने जाते थे और ग्यारह पीढ़ियों तक उन्होंने शासन किया है. लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि वहां कोरियागढ़ के शीर्ष पर एक पठार है और वहां कुछ खंडहर भी हैं. अपनी उन्हीं धरोहरों को देखने और अपने देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने को सोमवार को आदिवासी समाज कोरयागढ़ पहुंचा.

तालाब-कुएं और गुफाएं भी देखे

अपनी प्राचीन सभ्यता और कोरयागढ़ के इतिहास को जानने के लिए राजा बैकुंठपुर और खड़गवां ब्लॉक के आदिवासी समाज के लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. करीब 8 घंटे का सफर और 3 किलोमाटर की दूरी तय करते हुए ये लोग कोरयागढ़ पहुंचे. वहां उन लोगों ने देवी-देवताओं का दर्शन कर पूजा-अर्चना की. राजाओं के समय के तालाब, कुएं, मंदिर, गुफा और शिलालेख भी देखे.

पूर्वजों ने अपने हाथों से कोड़-कोड़कर किया था कोरियागढ़ का निर्माण

बता दें कि कोरिया जिले के विभाजन के बाद खड़गवां ब्लॉक को कोरिया में यथावत रखने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. कोरियागढ़ को पूर्वजों ने अपने हाथों से कोड़-कोड़कर बनाया था. फिर इसके निर्माण के बाद अपने देवी-देवताओं को वहां स्थापित किया था. कोरिया और कोरियागढ़ के इतिहास पर एक स्टोरी भी बनाई गई है.

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