कोरिया: सरकार स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है. इसके बाद भी स्कूल में सुधार होता नजर नहीं आ रहा. भले ही सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने का दम भर रही है, लेकिन स्कूलों की हालत में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा.
मामला पहाड़हसवाही आश्रित गांव घोड़बंदा का है, जहां माध्यमिक शाला में पिछले एक साल से एक ही शिक्षक मौजूद है. जबकि यहां तीन कक्षाओं के 50 छात्र पढ़ते हैं. इस स्कूल में 4 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन तीन शिक्षकों को दूसरी जगह अटैच कर दिया गया है. कलेक्टर ने जिले में अटैचमेन्ट खत्म करने के आदेश भी दिये, लेकिन बहुत से कर्मचारी अपने मूल पदस्थापना में नहीं लौटे.
इस स्कूल में शिक्षक की कमी तो है ही साथ ही यहां क्लास रूम भी जर्जर है. इस समस्या के कारण यहां दो क्लास एक साथ लगते हैं, जिससे और भी परेशानी बढ़ जाती है. ग्रामीणों ने इस मामले में कई बार आवेदन भी दिए है, लेकिन कोई नजीता नहीं निकला. ऐसी स्थिति में ग्रामीण स्कूल में तालाबंदी की बात कह रहे हैं. वहीं अधिकारी समस्या का निदान किए जाने का आश्वासन दे रहे हैं.
बता दें कि यहां गरीब आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकारमय है. वहीं दूसरी ओर सरकार शिक्षा के बेहतर इंतजाम का ढोल पीट रही है.