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तीन क्लास में 50 छात्र लेकिन शिक्षक केवल एक, आखिर कैसे संवारेंगे भविष्य

माध्यमिक शाला में पिछले एक साल से एक ही शिक्षक मौजूद है, लेकिन यहां पढ़ने वाले 3 क्लास रूम के 50 बच्चे हैं. ऐसी स्थिति में बच्चों का भविष्य अंधकार में जाता दिखाई दे रहा है.

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Published : Aug 10, 2019, 11:57 PM IST

तीन क्लास में 50 छात्र लेकिन शिक्षक केवल एक, आखिर कैसे संवारेंगे भविष्य

कोरिया: सरकार स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है. इसके बाद भी स्कूल में सुधार होता नजर नहीं आ रहा. भले ही सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने का दम भर रही है, लेकिन स्कूलों की हालत में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा.

तीन क्लास में 50 छात्र लेकिन शिक्षक केवल एक, आखिर कैसे संवारेंगे भविष्य

मामला पहाड़हसवाही आश्रित गांव घोड़बंदा का है, जहां माध्यमिक शाला में पिछले एक साल से एक ही शिक्षक मौजूद है. जबकि यहां तीन कक्षाओं के 50 छात्र पढ़ते हैं. इस स्कूल में 4 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन तीन शिक्षकों को दूसरी जगह अटैच कर दिया गया है. कलेक्टर ने जिले में अटैचमेन्ट खत्म करने के आदेश भी दिये, लेकिन बहुत से कर्मचारी अपने मूल पदस्थापना में नहीं लौटे.

इस स्कूल में शिक्षक की कमी तो है ही साथ ही यहां क्लास रूम भी जर्जर है. इस समस्या के कारण यहां दो क्लास एक साथ लगते हैं, जिससे और भी परेशानी बढ़ जाती है. ग्रामीणों ने इस मामले में कई बार आवेदन भी दिए है, लेकिन कोई नजीता नहीं निकला. ऐसी स्थिति में ग्रामीण स्कूल में तालाबंदी की बात कह रहे हैं. वहीं अधिकारी समस्या का निदान किए जाने का आश्वासन दे रहे हैं.

बता दें कि यहां गरीब आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकारमय है. वहीं दूसरी ओर सरकार शिक्षा के बेहतर इंतजाम का ढोल पीट रही है.

कोरिया: सरकार स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है. इसके बाद भी स्कूल में सुधार होता नजर नहीं आ रहा. भले ही सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने का दम भर रही है, लेकिन स्कूलों की हालत में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा.

तीन क्लास में 50 छात्र लेकिन शिक्षक केवल एक, आखिर कैसे संवारेंगे भविष्य

मामला पहाड़हसवाही आश्रित गांव घोड़बंदा का है, जहां माध्यमिक शाला में पिछले एक साल से एक ही शिक्षक मौजूद है. जबकि यहां तीन कक्षाओं के 50 छात्र पढ़ते हैं. इस स्कूल में 4 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन तीन शिक्षकों को दूसरी जगह अटैच कर दिया गया है. कलेक्टर ने जिले में अटैचमेन्ट खत्म करने के आदेश भी दिये, लेकिन बहुत से कर्मचारी अपने मूल पदस्थापना में नहीं लौटे.

इस स्कूल में शिक्षक की कमी तो है ही साथ ही यहां क्लास रूम भी जर्जर है. इस समस्या के कारण यहां दो क्लास एक साथ लगते हैं, जिससे और भी परेशानी बढ़ जाती है. ग्रामीणों ने इस मामले में कई बार आवेदन भी दिए है, लेकिन कोई नजीता नहीं निकला. ऐसी स्थिति में ग्रामीण स्कूल में तालाबंदी की बात कह रहे हैं. वहीं अधिकारी समस्या का निदान किए जाने का आश्वासन दे रहे हैं.

बता दें कि यहां गरीब आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकारमय है. वहीं दूसरी ओर सरकार शिक्षा के बेहतर इंतजाम का ढोल पीट रही है.

Intro:एंकर - कोरिया जिले के पहाड़हसवाही आश्रित ग्राम घोड़बंदा के माध्यमिक शाला में पिछले एक वर्ष से एक ही शिक्षक जो कला संकाय से नियुक्त है 3 क्लास के 50 से अधिक स्कूली बच्चों को कैसे विज्ञान, गणित ,अंग्रेजी पढ़ा रहा है ।मगर विडंबना देखिए की अधिकारीयों के कानो में जूं तक नहीं रेंग रहा हैं । अधिकारी भी ऐसे मामले में व्यव्यस्था में लगा देने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण व्यवस्था है तो फिर शिक्षा में गुणवत्ता की बात कैसे स्वीकार किया जा सकता है।

Body:वी.ओ. - कोरिया जिले के सुदूर आदिवासी एवं वनांचल क्षेत्र के विकास खण्ड मनेन्द्रगढ़ के ग्राम पहाड़हसवाही के आश्रित ग्राम घोड़बंदा आदिवासी जनजाति माध्यमिक शाला में पिछले एक वर्ष से एक ही शिक्षक हैं। जबकी उस माध्यमिक शाला में 50 बच्चे है। यंहा 4 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी लेकिन तीन शिक्षकों को दूसरी जगह अटैच कर दिया गया । कलेक्टर ने जिले में अटैचमेन्ट खत्म करने के आदेश भी दिये है लेकिन बहुत से कर्मचारी अपने मूल पदस्थापना में नही लौटे है ।ऐसे में आप समझ सकते हैं, कि उस विद्यालय का और वहाँ पढ़ने वाले बच्चों का क्या हाल होगा। 3 कक्षा के 50 से अधिक छात्रों को उनका जीवन गढने में मदद कर रहे है लेकिन व्यव्यस्था है कि बदलने का नाम नही ले रही है।
जब किसी विद्यालय के एक क्लास रूम से यदि कोई शिक्षक दो मिनट के लिए बाहर चला जाता है, तो उस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे शोर गुल करना आपस में लड़ना झगड़ना ,उधम मचाना प्रारंभ कर देते हैं, पर यहाँ पर तो पिछले एक सालों से स्कूल में पढाने वाले एक ही शिक्षक हैं। ऐसी स्थिति में माध्यमिक शाला घोड़बंदा के बच्चों का भविष्य क्या होगा इस बात को समझना शायद ज़्यादा कठिन नहीं हैं । वही एक क्लास रूम जर्जर हो जाने से दो क्लास एक साथ लगते है । जिससे और भी परेशानी बढ़ जाती है । इस बात से ग्रामीणों में रोष है । ग्रामीणों ने कई बार आवेदन भी दिए है पर कोई निस्कर्ष नही निकला ऐसी स्थिति में ग्रामीण स्कूल में ताला बंदी की बात कह रहे है । वही अधिकारी समस्या का निदान हो जाने की बात कह रहे है ।बहरहाल गरीब आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। वहीं दूसरी तरफ सरकार विकास के ये ढोल पीटने में लगी है, कि शिक्षा के बेहतर इंतजामात किए गये हैं, जबकी यथार्थ के धरातल पर हकीकत कुछ और ही नज़र आता है। जहां 50 बच्चे विद्यालय में पढ़ने आते हैं और शिक्षक एक ही मौजूद हैं । Conclusion:कुल मिलाकर यहाँ पे वही “ढाक के तीन पात” वाली कहावत चरितार्थ हो रही है.
बाइट - सुपल सिंह (प्रधान पाठक,घोड़बदा)
बाइट - कमेलश कुमार तिर्की (सरपंच)
बाइट - आर.पी.चौहान (एस.डी.एम., मनेन्द्रगढ़)
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