कोरिया: छत्तीसगढ़ में मनरेगा श्रमिकों के लिए जीवनयापन की सबसे बड़ी योजना बन गई है. योजना के तहत मजदूरों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सरकार लगातार काम के लिए राशि जारी कर रही है, लेकिन आरोप है कि मनरेगा में मजदूरों को काम तो मिल रहा है, पर समय से मजदूरी नहीं मिल रही है. काम के बदले मजदूरों को मजदूरी के लिए महिनों तक इंतजार करना पड़ता है.
मजदूरों की समस्या को देखते हुए कोरिया जिले के सोनहत में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है. भाजयुमो ने मांग किया है कि पिछले लगभग तीन महीने से मनरेगा के तहत हुए काम का भुगतान नहीं किया गया है. जिसे सरकार जल्द भुगतान कराये.
मायूसी में बीत जाते हैं त्योहार
ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा मजदूरों के काम का मात्र एक माध्यम है. जिसपर मजदूरों की उम्मीद रहती है, लेकिन कई महिनों तक मजदूरी न मिलने से मनरेगा मजदूरों को घर गृहस्थी चलाने में परेशानी आ रही है. युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि सरकार को इनके मजदूरी भुगतान के लिए विकल्प निकालना चाहिए. समय पर मजदूरी भुगतान न होने से मजदूरों की कई खुशियों भरा त्योहार मातम और मायूसी में बीत जाती है.
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100 दिन केंद्र और 50 दिन का काम देना राज्य की जिम्मेदारी
मनरेगा योजना के तहत छत्तीसगढ़ में श्रमिकों को एक साल में कम से कम 150 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सरकार की है. इसमें 100 दिन केंद्र और 50 दिन राज्य सरकार को काम देने की जिम्मेदारी है, लेकिन मजदूरों के मुताबिक इस सत्र में उन्हें सिर्फ 100 दिन के काम का ही पैसा मिला है. राज्य सरकार से मिलने वाली मजदूरी अभी तक उनके खाते में नहीं आई है.
मटेरियल सप्लायर भी परेशान
मनरेगा के कामों में ग्राम पंचायतों को मटेरियल सप्लाई करने वाले दुकानदार भी परेशान हैं. उनका भी भुगतान बीते कई महिनों से लंबित है. जिससे उनकी स्थिति भी खराब होती जा रही है. सप्लायर भी सरकार से पैसे जारी करने की आस लगाये बैठे हैं.