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इस गांव को गोद लेकर सांसद ने संवार दी सूरत, बदल गए हाल

हम आपको लेकर चलेंगे कोरबा सांसद बंशीलाल महतो के गोद ग्राम तिलकेजा. आप भी देखिए कि, जिन्हें अपना बेशकीमती वोट देकर दिल्ली भेजा वो उम्मीदों पर कितने खरे उतरे.

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Published : Apr 4, 2019, 7:46 PM IST

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कोरबा: 11 अक्टूबर 2014 ये वो तारीख थी, जिस दिन मुल्क के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वकांक्षीसांसद आदर्श ग्राम योजना का आगाज किया था. इस योजना के तहत कोरबा सांसद बंशीलाल महतो ने कोरबा के तिलकेजा और कोरकोमा को गोद लिया था. हमने दोनों गांव का दौरा कर जायजा लिया कि सांसद ने अपने गोद लिए गांव में कितना विकास किया.

स्टोरी पैकेज

50 साल पहले मिला था ग्राम पंचायत का दर्जा
बात करें ग्राम तिलकेजा की, तो यहां की आबादी करीब पांच हजार पांच सौ के करीब है. 50 साल पहले ग्राम तिलकेजा को ग्राम पंचायत का दर्जा मिला था. सांसद आदर्श ग्राम योजना के ऐलान के बाद डॉक्टर बंशीलाल महतो ने पहले ग्राम पंचायत तिलकेजा को गोद लेकर इसे आदर्श ग्राम बनाने का ऐलान किया. जिस वक्त सांसद ने इसे गोद लिया उस दौरान ये गांव बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा था. यहां न तो पढ़ने के स्कूल थी, न इलाज के अस्पताल, अंधेरे में डूबी सड़कें दुधिया रोशनी के लिए तरस रही थीं. शौचालय का तो नामो निशान नहीं था.

सांसद ने बहाई विकास की 'गंगा'
सांसद जी की गोद में बैठने के बाद इस गांव के अच्छे दिन आने शुरू हुए. आज गांव में हायर सेकेंडरी स्कूल है. सामुदायिक भवन भी बनकर तैयार है. नव नियुक्त बसस्टैंड चीख-चीखकर विकास की गाथा लिख रहा है. चमचमाती सड़कें सांसद महोदय की ओर से किए गए काम की गवाही दे रही हैं. बंशीलाल ने गांव में विकासकार्यों की ऐसी गंगा बहाई कि, जहां एक ढांचा भी नहीं था वहां अब कृषि केंद्र, धान खरीद केंद्र और ग्राम सचिवालय सीना ताने खड़े हैं.

ग्राम सचिवालय में लगा सोलर पैनल
सांसद महोदय ने न सिर्फ विकासकार्यों का जाल बिछाया बल्कि इस बात का ख्याल भी रखा कि, विकास का बोझ सरकारी खजाने पर पड़े, तभी तो उन्होंने ग्राम सचिवालय में सोलर पैनल लगवाया ताकि जनता के पैसे को बिजली बिल के तौर पर बहने से बचाया जा सके.

कई जगह नहीं बने शौचालय
आप सोच रहे होंगे कि वाह क्या खूब काम किया है महतो जी ने, तो जरा ठहरिए साहब पिक्चर में ट्वीस्ट अभी बाकी है. साल 2015 में ओडीएफ घोषित होने के बाद भी पंचायत के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां शौचालाय का नामों निशान नहीं है.


नाली निर्माण का काम है अधूरा
गांव के कई इलाके ऐसे हैं जहां नाली निर्माण का काम अधूरा पड़ा, जिसकी वजह से बरसात के दिनों में रास्ते कीचड़ से सन जाते हैं और ग्रामीणों का आना-जाना दूभर हो जाता है.

कोरबा: 11 अक्टूबर 2014 ये वो तारीख थी, जिस दिन मुल्क के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वकांक्षीसांसद आदर्श ग्राम योजना का आगाज किया था. इस योजना के तहत कोरबा सांसद बंशीलाल महतो ने कोरबा के तिलकेजा और कोरकोमा को गोद लिया था. हमने दोनों गांव का दौरा कर जायजा लिया कि सांसद ने अपने गोद लिए गांव में कितना विकास किया.

स्टोरी पैकेज

50 साल पहले मिला था ग्राम पंचायत का दर्जा
बात करें ग्राम तिलकेजा की, तो यहां की आबादी करीब पांच हजार पांच सौ के करीब है. 50 साल पहले ग्राम तिलकेजा को ग्राम पंचायत का दर्जा मिला था. सांसद आदर्श ग्राम योजना के ऐलान के बाद डॉक्टर बंशीलाल महतो ने पहले ग्राम पंचायत तिलकेजा को गोद लेकर इसे आदर्श ग्राम बनाने का ऐलान किया. जिस वक्त सांसद ने इसे गोद लिया उस दौरान ये गांव बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा था. यहां न तो पढ़ने के स्कूल थी, न इलाज के अस्पताल, अंधेरे में डूबी सड़कें दुधिया रोशनी के लिए तरस रही थीं. शौचालय का तो नामो निशान नहीं था.

सांसद ने बहाई विकास की 'गंगा'
सांसद जी की गोद में बैठने के बाद इस गांव के अच्छे दिन आने शुरू हुए. आज गांव में हायर सेकेंडरी स्कूल है. सामुदायिक भवन भी बनकर तैयार है. नव नियुक्त बसस्टैंड चीख-चीखकर विकास की गाथा लिख रहा है. चमचमाती सड़कें सांसद महोदय की ओर से किए गए काम की गवाही दे रही हैं. बंशीलाल ने गांव में विकासकार्यों की ऐसी गंगा बहाई कि, जहां एक ढांचा भी नहीं था वहां अब कृषि केंद्र, धान खरीद केंद्र और ग्राम सचिवालय सीना ताने खड़े हैं.

ग्राम सचिवालय में लगा सोलर पैनल
सांसद महोदय ने न सिर्फ विकासकार्यों का जाल बिछाया बल्कि इस बात का ख्याल भी रखा कि, विकास का बोझ सरकारी खजाने पर पड़े, तभी तो उन्होंने ग्राम सचिवालय में सोलर पैनल लगवाया ताकि जनता के पैसे को बिजली बिल के तौर पर बहने से बचाया जा सके.

कई जगह नहीं बने शौचालय
आप सोच रहे होंगे कि वाह क्या खूब काम किया है महतो जी ने, तो जरा ठहरिए साहब पिक्चर में ट्वीस्ट अभी बाकी है. साल 2015 में ओडीएफ घोषित होने के बाद भी पंचायत के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां शौचालाय का नामों निशान नहीं है.


नाली निर्माण का काम है अधूरा
गांव के कई इलाके ऐसे हैं जहां नाली निर्माण का काम अधूरा पड़ा, जिसकी वजह से बरसात के दिनों में रास्ते कीचड़ से सन जाते हैं और ग्रामीणों का आना-जाना दूभर हो जाता है.

Intro:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत 11 अक्टूबर 2014 को हुई थी। इसके तहत हर राज्यसभा और लोकसभा सांसद को 2019 तक 3 गांव को आदर्श ग्राम बनाना था। योजना का उद्देश्य बुनियादी सुविधाओं में सुधार, उच्च उत्पादकता, मानव विकास में वृद्धि करना, आजीविका के बेहतर अवसर, असमानताओं को कम करना, अधिकारों और हक की प्राप्ति, व्यापक सामाजिक गतिशीलता और समृद्ध सामाजिक पूंजी प्रदान करना था। इन सब के अलावा चिन्हित आदर्श ग्राम को स्थानीय विकास के ऐसे केंद्रों के रूप में विकसित करना, जो अन्य ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षित कर सकें।
यह योजना कागजों पर जितनी विस्तृत और सटीक नजर आती है उतने ही जमीन पर अधूरी नजर आती है।


Body:आज हम आपको ले चलेंगे कोरबा जिले के ग्राम पंचायत तिलकेजा और कोरकोमा जिसे यहां के सांसद डॉ बंशीलाल महतो ने आदर्श ग्राम घोषित किया था। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि क्या इन दोनों ग्राम पंचायतों की तस्वीर बदली और क्या इस योजना का उद्देश्य जमीन पर रूप लेता दिखा।
बात करें ग्राम तिलकेजा की तो यहां की आबादी करीब 5500 है। करीब 50 साल पहले ग्राम तिलकेजा को ग्राम पंचायत का दर्जा प्राप्त हुआ था। सांसद आदर्श ग्राम योजना के ऐलान के बाद कोरबा सांसद डॉक्टर बंसीलाल महतो ने सबसे पहले ग्राम पंचायत तिलकेजा को आदर्श ग्राम घोषित किया था। 14 नवंबर 2014 को कोरबा सांसद द्वारा इसे आदर्श ग्राम बनाने की घोषणा की गई थी।
सांसद आदर्श ग्राम घोषित होने से पहले ग्राम पंचायत तिलकेजा तमाम बुनियादी सुविधाओं की कमी की मार झेल रहा था। तिलकेजा में हायर सेकेंडरी स्कूल नहीं था, बस स्टैंड नहीं था, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध नहीं था, कोई सामुदायिक भवन नहीं था, स्ट्रीट लाइट और बिजली की भारी कटौती थी, लंबी दूरी के लिए पक्की सड़क नहीं थी, पीने को साफ पानी और शौचालय भी नहीं था। आदर्श ग्राम घोषित होने के बाद ग्राम पंचायत को कई सौगातें मिली। आज इस ग्राम पंचायत में हायर सेकेंडरी स्कूल का भव्य भवन बनकर तैयार हो चुका है। सामुदायिक भवन जिसका नाम समरसता भवन रखा गया है वह महज दो से ढाई हजार रुपए में ग्रामीणों को सामाजिक कार्यक्रम के लिए उपलब्ध हो जाता है। बस स्टैंड बना दिया गया है, ग्रामीणों की लंबित मांग तिलकेजा से पहंदा तक पक्की सड़क बना दी गई है। कृषि सेवा केंद्र, धान खरीदी केंद्र और एक भव्य ग्राम सचिवालय का भी निर्माण किया गया है। सोलर पैनल तले सचिवालय के एरिया में शाम को रोशनी उपलब्ध रहती है और उसी सोलर पैनल तले आंगनबाड़ी के स्कूल में बच्चों को पानी भी उपलब्ध कराया गया है।
वैसे तो आदर्श ग्राम की कल्पना में हर सांसद को अपना पहला आदर्श ग्राम 2016 तक तैयार कर देना था। हालांकि इसे हासिल करने में बहुत विलंब हुआ। अभी आप को बताए गए विकास कार्य पिछले 6 महीने और साल भर में ही पूरे हुए हैं। वर्तमान में उप स्वास्थ्य केंद्र का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवर्तन जारी है जो अब तक बनकर तैयार नहीं हुआ है। इसके अलावा 2015 में ओडीएफ घोषित करने के बाद भी पंचायत के कुछ मोहल्लों में शौचालय नहीं बना है। स्ट्रीट लाइट के लिए सरपंच को फंड मिल गया है लेकिन काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। उसी तरह ग्रामीणों ने बताया कि सड़क चौड़ीकरण के लिए अतिक्रमण हटाया गया था और तोड़फोड़ की गई थी लेकिन पंचायत के कुछ अंदरूनी जगहों पर अब तक कार्य अधूरा पड़ा है, जिसका खामियाजा ग्रामवासी वर्षा ऋतु में भुगतते हैं। दरअसल, चौड़ीकरण नहीं होने की वजह से बारिश के समय पानी भर जाता है और सड़क बेहद खराब हो जाती है, जिससे ग्रामीणों का आना-जाना दूभर हो जाता है। इसके अलावा कुछ जगहों पर अतिक्रमण इसलिए भी हटाए गए थे कि नाली का निर्माण किया जाएगा लेकिन ना तो नाली का निर्माण किया गया ना सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त किया गया। ऐसे में गांव की गलियों में गंदे बहते पानी और कचड़े आपको आसानी से नजर आ जाएंगे।
ग्राम पंचायत तिलकेजा के बाद जिले में 26 जनवरी 2018 को ग्राम पंचायत कोरकोमा को सांसद आदर्श ग्राम घोषित किया गया। सांसद आदर्श ग्राम की योजना के तहत 2016 के बाद को दिए जाने वाले अन्य गांव का काम 1 साल में पूर्ण हो जाना चाहिए। लेकिन 1 साल पूरे हो जाने के बाद भी करीब साढे तीन हजार की आबादी वाले ग्राम कोरकोमा में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिला है। ग्राम कोरकोमा की तस्वीर जस की तस बनी हुई है। सरपंच बताते हैं कि डेढ़ करोड़ की योजनाओं की रूपरेखा तैयार की गई थी इसमें से 40 लाख का ही काम शुरू हो पाया है। इस आदर्श ग्राम में यही एक इकलौती बात है, जो कागज से बाहर निकल कर जमीन पर शुरू हो पाई लेकिन यह भी अब तक अधूरी ही पड़ी है। इसके अलावा इस गांव में अब तक आदर्श ग्राम योजना के तहत कोई काम नहीं हो पाया है।
कोरबा सांसद डॉक्टर बंसीलाल महतो से जब हमने इस योजना के तहत हुए काम के बारे में चर्चा की तो उन्होंने कहा कि ग्राम तिलकेजा जैसा आदर्श ग्राम पूरे भारत देश में नहीं है। इस गांव में वह सारी बुनियादी सुविधाएं हैं जिसकी अपेक्षा ग्रामीण करते हैं। उनसे जब हम ने सवाल किया और उन्हें बताया की स्ट्रीट लाइट, पानी, नाली स्वच्छता और सड़क निर्माण का काम अभी अधूरा है। इस पर सांसद ने जवाब दिया कि अगर काम नहीं हुआ है तो उसके लिए सरपंच जिम्मेदार है। ग्रामीणों के लगाए गए आरोप पर उन्होंने कहा कि उस गांव में अलग अलग विचारधारा के लोग हैं, तो जाहिर सी बात है कि उन्हें हमारा काम नहीं दिखेगा। कुल मिलाकर सांसद अपना दोष ग्रामीण और सरपंच पर फोड़ते नजर आए। ग्राम कोरकोमा के बारे में सांसद ने कहा कि आचार संहिता के चलते यहां पर काम नहीं हो पाया। लेकिन सांसद ने यह नहीं बताया कि आचार संहिता तो अक्टूबर में लगी थी और आदर्श ग्राम की घोषणा जनवरी में हो गई थी। बीच के 9 महीने काम क्यों नहीं हुए इसका जवाब उनके पास नहीं था। इसके अलावा भूपेश बघेल की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डीएमएफ की राशि को कांग्रेस ने रोक दिया है। जिस वजह से वर्तमान में होने वाले कार्य ठप हो गए हैं। उन्होंने कहा कि डीएमएफ का चीफ कलेक्टर होता है लेकिन उन्होंने जिले के प्रभारी मंत्री को चीफ बना दिया है, तो ऐसे में हम आदर्श ग्राम के कार्य को कैसे पूर्ण कर पाएंगे।
अब सांसद कुछ भी कहें लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना सांसद आदर्श ग्राम योजना कोरबा जिले में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई है। ग्रामीण अभी कुछ बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।

बाइट- तिलकेजा ग्राम के ग्रामीणों की बाइट है
बाइट- कुल सिंह कंवर, सरपंच, ग्राम पंचायत तिलकेजा
बाइट- राजेश राठिया, सरपंच, ग्राम पंचायत कोरकोमा
बाइट- डॉ बंसीलाल महतो, सांसद, कोरबा


Conclusion:
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