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कोरबा में रोका-छेका अभियान शुरू, ग्रामीण उत्साहित

कोरबा में रोका-छेका अभियान शुरू हुआ. जिससे ग्रामीण काफी उत्साहित दिखे.

roka-cheka campaign started in korba
रोका-छेका अभियान शुरू
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Published : Jun 23, 2020, 9:27 AM IST

Updated : Jun 23, 2020, 5:21 PM IST

कोरबा: सीएम भूपेश बघेल के आह्वान पर प्रदेश में किसानों को राहत देने और फसलों को मवेशियों से बचाने रोका-छेका अभियान शुरू हो चुका है. इसी कड़ी में कोरबा में भी रोका-छेका अभियान का आगाज हुआ. नगरीय निकाय क्षेत्र के पंप हाउस में महापौर राज किशोर प्रसाद की मौजूदगी में अभियान शुरू किया गया.

रोका-छेका अभियान शुरू

पूरे उत्साह से शुरू हुआ रोका-छेका अभियान

नगरी निकाय क्षेत्रों के साथ ही जिले के सभी ग्राम पंचायतों और गौठानों इस अभियान की शुरुआत हुई. स्थानीय विधायकों, जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों ने भी इस अभियान की शुरुआत में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की. जिले की चिर्रा ग्राम पंचायत के गौठान परिसर में रिमझिम बारिश के बीच मुंह पर मास्क बांधे और सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हुए 50 से ज्यादा संख्या में ग्रामीणों और गौठान समिति के सदस्यों, स्व सहायता समूहों की महिलाओं ने पूरे उत्साह से इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया.

भूपेश बघेल की पहल की तारीफ

गौठान समिति के सदस्य ललिता राठिया ने भूपेश बघेल की इस पहल से खुशी जाहिर की. और बताया कि रोका-छेका अभियान गांव वालों के फायदे का अभियान है. इस अभियान के जरिए अब गांव के मवेशी खुले में नहीं घूम पाएंगे और ना ही इससे किसानों को नुकसान होगा. खुले में घूमने वाले मवेशियों को अब सीधे गौठानों में छेका जाएगा. जिससे ना सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा बल्कि किसानों को भी फायदा पहुंचेगा. वहीं जो अपने मवेशियों को खुले में छोड़ेंगे उनसे जुर्माना वसूला जाएगा. जिससे गौठानों को सक्षम बनाया जाएगा.

पढ़ें: जांजगीर-चांपा: रोका-छेका अभियान के तहत आयोजन में शामिल हुए ग्रामीण

गौठान से महिलाओं को मिला रोजगार

ग्राम गौठान समिति की सदस्य कुंती राठिया ने कहा कि गौठान बनने से महिलाओं को अच्छा फायदा हुआ है. महिलाएं गौठान में केचुआ खाद बना रहीं है.ये महिलाएं अब तक एक लाख रुपये से ज्यादा की खाद बेच चुकी है. इसके साथ ही गौठान की बाड़ी में सब्जी लगा रहे हैं और उसे बेचकर भी फायदा कमा रहें हैं।. उन्होंने मुख्यमंत्री बघेल को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब आजीविका ठीक से चल रही है. पहले काम नहीं मिल रहा था, अब 10 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिल गया है.

roka-cheka campaign started in korba
रोका-छेका अभियान शुरू

छत्तीसगढ़ की देसी सरकार की महत्वपूर्ण योजना

छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए कई लाभकारी योजनाओं की शुरुआत करती आई है. इसमें से नरवा,गरवा, घुरवा, बारी जैसी योजना सरकार ने सत्ता में आते ही शुरू की थी. यह योजना कांग्रेस सरकार की टैग लाइन बन चुकी है. इस योजना की तारीफ देश के साथ ही विदेशों तक हो चुकी है. नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के सफल होने के साथ अब राज्य सरकार ने रोका-छेका संकल्प अभियान की शुरुआत की है. रोका छेका की प्रथा छत्तीसगढ़ में वर्षो से चली आ रही है, जिसे अब सरकार योजना के रूप में लेकर आई है. किसान संगठनों ने राज्य सरकार की इस पहल का स्वागत किया है.

रोका-छेका अभियान फसलों और मवेशियों की सुरक्षा के पारंपरिक उपाय: डाॅ. शिवकुमार डहरिया

19 जून को शुरू हुआ रोक-छेका संकल्प अभियान

19 जून से पूरे प्रदेश में रोका-छेका संकल्प अभियान की शुरूआत हुई. इस अभियान के तहत सभी पशुपालकों से आस-पास को स्वच्छ रखने का संकल्प पत्र भरवाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में मानसून के आते ही सभी किसान बोआई की तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में फसल को मवेशियों से बचाए रखना किसानों के लिए बड़ी चुनौती होती है. प्रदेश में वर्षों से बोआई का काम शुरू होने के साथ ही गांव में रोका छेका अभियान शुरू कर दिया जाता था.

roka-cheka campaign started in korba
रोका-छेका अभियान शुरू

रोका-छेका की परंपरा

बता दें कि छत्तीसगढ़ में रोक-छेका की परंपरा काफी पुरानी है. इसके तहत पशुपालक अपने मवेशियों को चराने के लिए चरवाहों को दिया करते थे. ये चरवाहे पूरे गांव के मवेशियों को चराया करते हैं. गांव में रोका छेका लगने से फसलों को मवेशियों के होने वाले नुकसान से बचाया जाता है. छत्तीसगढ़ में मानसून के बाद से ही गांव में रोका छेका शुरू हो जाता है.

कोरबा: सीएम भूपेश बघेल के आह्वान पर प्रदेश में किसानों को राहत देने और फसलों को मवेशियों से बचाने रोका-छेका अभियान शुरू हो चुका है. इसी कड़ी में कोरबा में भी रोका-छेका अभियान का आगाज हुआ. नगरीय निकाय क्षेत्र के पंप हाउस में महापौर राज किशोर प्रसाद की मौजूदगी में अभियान शुरू किया गया.

रोका-छेका अभियान शुरू

पूरे उत्साह से शुरू हुआ रोका-छेका अभियान

नगरी निकाय क्षेत्रों के साथ ही जिले के सभी ग्राम पंचायतों और गौठानों इस अभियान की शुरुआत हुई. स्थानीय विधायकों, जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों ने भी इस अभियान की शुरुआत में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की. जिले की चिर्रा ग्राम पंचायत के गौठान परिसर में रिमझिम बारिश के बीच मुंह पर मास्क बांधे और सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हुए 50 से ज्यादा संख्या में ग्रामीणों और गौठान समिति के सदस्यों, स्व सहायता समूहों की महिलाओं ने पूरे उत्साह से इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया.

भूपेश बघेल की पहल की तारीफ

गौठान समिति के सदस्य ललिता राठिया ने भूपेश बघेल की इस पहल से खुशी जाहिर की. और बताया कि रोका-छेका अभियान गांव वालों के फायदे का अभियान है. इस अभियान के जरिए अब गांव के मवेशी खुले में नहीं घूम पाएंगे और ना ही इससे किसानों को नुकसान होगा. खुले में घूमने वाले मवेशियों को अब सीधे गौठानों में छेका जाएगा. जिससे ना सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा बल्कि किसानों को भी फायदा पहुंचेगा. वहीं जो अपने मवेशियों को खुले में छोड़ेंगे उनसे जुर्माना वसूला जाएगा. जिससे गौठानों को सक्षम बनाया जाएगा.

पढ़ें: जांजगीर-चांपा: रोका-छेका अभियान के तहत आयोजन में शामिल हुए ग्रामीण

गौठान से महिलाओं को मिला रोजगार

ग्राम गौठान समिति की सदस्य कुंती राठिया ने कहा कि गौठान बनने से महिलाओं को अच्छा फायदा हुआ है. महिलाएं गौठान में केचुआ खाद बना रहीं है.ये महिलाएं अब तक एक लाख रुपये से ज्यादा की खाद बेच चुकी है. इसके साथ ही गौठान की बाड़ी में सब्जी लगा रहे हैं और उसे बेचकर भी फायदा कमा रहें हैं।. उन्होंने मुख्यमंत्री बघेल को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब आजीविका ठीक से चल रही है. पहले काम नहीं मिल रहा था, अब 10 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिल गया है.

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रोका-छेका अभियान शुरू

छत्तीसगढ़ की देसी सरकार की महत्वपूर्ण योजना

छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए कई लाभकारी योजनाओं की शुरुआत करती आई है. इसमें से नरवा,गरवा, घुरवा, बारी जैसी योजना सरकार ने सत्ता में आते ही शुरू की थी. यह योजना कांग्रेस सरकार की टैग लाइन बन चुकी है. इस योजना की तारीफ देश के साथ ही विदेशों तक हो चुकी है. नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के सफल होने के साथ अब राज्य सरकार ने रोका-छेका संकल्प अभियान की शुरुआत की है. रोका छेका की प्रथा छत्तीसगढ़ में वर्षो से चली आ रही है, जिसे अब सरकार योजना के रूप में लेकर आई है. किसान संगठनों ने राज्य सरकार की इस पहल का स्वागत किया है.

रोका-छेका अभियान फसलों और मवेशियों की सुरक्षा के पारंपरिक उपाय: डाॅ. शिवकुमार डहरिया

19 जून को शुरू हुआ रोक-छेका संकल्प अभियान

19 जून से पूरे प्रदेश में रोका-छेका संकल्प अभियान की शुरूआत हुई. इस अभियान के तहत सभी पशुपालकों से आस-पास को स्वच्छ रखने का संकल्प पत्र भरवाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में मानसून के आते ही सभी किसान बोआई की तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में फसल को मवेशियों से बचाए रखना किसानों के लिए बड़ी चुनौती होती है. प्रदेश में वर्षों से बोआई का काम शुरू होने के साथ ही गांव में रोका छेका अभियान शुरू कर दिया जाता था.

roka-cheka campaign started in korba
रोका-छेका अभियान शुरू

रोका-छेका की परंपरा

बता दें कि छत्तीसगढ़ में रोक-छेका की परंपरा काफी पुरानी है. इसके तहत पशुपालक अपने मवेशियों को चराने के लिए चरवाहों को दिया करते थे. ये चरवाहे पूरे गांव के मवेशियों को चराया करते हैं. गांव में रोका छेका लगने से फसलों को मवेशियों के होने वाले नुकसान से बचाया जाता है. छत्तीसगढ़ में मानसून के बाद से ही गांव में रोका छेका शुरू हो जाता है.

Last Updated : Jun 23, 2020, 5:21 PM IST
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