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कोरबा: नगर निगम ने जल आवर्धन योजना के तहत बहाये खूब पैसे, फिर भी आधा शहर है प्यासा - कोरबा नगर निगम ने लांच की जल आवर्धन योजना

कोरबा नगर निगम ने 24 घंटे पानी सप्लाई करने के लिए जल आवर्धन योजना शुरू किया था. इस योजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च किए गए. इसके बावजूद लोगों को आजतक पानी की सप्लाई नहीं हो पाई है.

WATER SUPPLY PROBELM IN KORBA
कोरबा में पानी की समस्या से जूझ रहे लोग
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Published : Oct 17, 2020, 10:28 PM IST

Updated : Oct 18, 2020, 11:54 AM IST

कोरबा: 24 घंटे पानी सप्लाई का दावा करने वाली शहर की सरकार कोरबा की आधी आबादी की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रही है. कोरबा शहर में जल आवर्धन योजना के तहत पानी की तरह पैसे बहाया गया, लेकिन यह योजना आज भी अधूरी है. करीब 394 करोड़ रुपये बजट वाली योजना भी शहर के लोगों का प्यास नहीं बुझा पा रही है. पेयजल जैसी मूलभूत आवश्यकता के लिए शहरवासी तरस रहे हैं. शहर के कुछ वार्ड तो ऐसे हैं, जहां के लोग अब भी नदी के पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

कोरबा में पानी की समस्या से जूझ रहे लोग

पेयजल के मामले में खास तौर पर नगर पालिका निगम का पश्चिम क्षेत्र, जिसमें उपनगरीय क्षेत्र बालको, दर्री, कुसमुंडा, बांकीमोंगरा, गेवरा जैसे क्षेत्र शामिल हैं. वह ज्यादा उपेक्षित हैं. निगम का पश्चिम क्षेत्र वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहा है. बावजूद इसके क्षेत्र की समस्याओं के समाधान की पहल अबतक नगर निगम प्रशासन ने नहीं की है. नगर निगम के पिछले कार्यकाल में पश्चिम क्षेत्र से निर्वाचित पार्षद धुरपाल सिंह कंवर सभापति भी बने, लेकिन इसका कुछ खास लाभ पश्चिम क्षेत्र को नहीं मिला. पश्चिमी क्षेत्र अब भी उतना ही उपेक्षित है जितना की पहले था.

जल आवर्धन भाग-1 की परिकल्पना

नगर निगम के इलाकों में पेयजल सप्लाई के लिए जल आवर्धन भाग-1 की परिकल्पना की गई थी. जिसपर 134 करोड़ रुपए की लागत से 8 टंकियों का निर्माण कराया गया. 400 किलोमीटर की पाइपलाइन और 12 एमएलडी क्षमता वाले जल संयंत्र का निर्माण हुआ. इस योजना के तहत निगम के कोरबा, कोसाबाड़ी, टीपी नगर और बालको जोन के वार्ड क्रमांक 1 से 42 तक के वार्ड योजना में शामिल है. कागजों में नगर निगम ने इस योजना को भले ही पूर्ण बता दिया हो लेकिन, वास्तविकता यह है कि अब भी इसका समुचित लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है. घर-घर कनेक्शन तो लगे लेकिन जल की आपूर्ति नहीं हो रही है. कहीं पाइप लीकेज है, तो कहीं कनेक्शन आधे-अधूरे हैं.

पढ़ें- निर्भया फंड : दावों और सच्चाई के बीच कितने फासले, एक नजर

जल आवर्धन भाग-2 योजना

अमृत मिशन के अंतर्गत जल आवर्धन भाग- 2 पर भी काम शुरू किया गया. इसके लिए भाग 1 की तुलना में और भी भारी भरकम बजट निगम को मिला. कुल 207 करोड़ 36 लाख रुपए की लागत से निगम ने यह योजना लांच की, जिसके तहत नगर निगम के पश्चिम क्षेत्र अंतर्गत आने वाले दर्री, बांकीमोंगरा और सर्वमंगला जोन के वार्ड क्रमांक 43 से 67 को इस योजना का लाभ देने की कवायद शुरू की गई. निगम प्रशासन का दावा है कि आने वाले 30 वर्षों तक पानी की आवश्यकता को ध्यान में रखकर इस योजना की परिकल्पना की गई है. जिसके अंतर्गत 14 पानी टंकियों का निर्माण, 29 एमएलडी की क्षमता के जल उपचार संयंत्र की स्थापना और लगभग 500 किलोमीटर के पाइप लाइन को बिछाने का काम अब भी जारी है. कार्य पूर्ण करने के लिए जो समय निर्धारित किया गया था,उसे पूर्ण हुए 1 साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है.

घोटाले में फंसा एनीकट

जल आवर्धन भाग- 2 के तहत पश्चिम क्षेत्र को पानी देने के लिए गेरवा घाट के नजदीक हसदेव नदी पर 50 करोड़ की लागत से एनीकट का निर्माण कराया जा रहा है. यहीं से पश्चिम क्षेत्र के सभी 25 वार्डों में पेयजल की गंभीर समस्या के दीर्घकालिक समाधान के लिए पानी लिया जाएगा, लेकिन एनीकट ही घोटाले में फंस गया. गड़बड़ी के बाद अफसरों पर कार्रवाई हुई. तबादले के बाद वर्तमान में सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता पीके वासनिक के कंधों पर इस एनीकट को पूर्ण करने की जिम्मेदारी है.

पढ़ें- SPECIAL : किसानों का हो रहा सम्मान या फिर सरकारें कर रही छल !

पाइप लाइन के लिए बेतरतीब खुदाई

जल आवर्धन योजना भाग 1 और 2 के तहत पाइप लाइन बिछाने के लिए कांक्रीट युक्त सड़कों की खुदाई की गई है. निगम के कई वार्ड बस्तियों में शामिल हैं. छोटे-छोटे गली कूचे तक घर-घर पानी पहुंचाने के लिए छोटी गलियों में भी निगम के कर्मचारियों ने सड़कों की खुदाई कर दी है. खुदाई के बाद पर्याप्त मरम्मत नहीं की गई है, जिससे सड़कें भी उखड़ गई हैं. घर-घर पानी पहुंचना तो फिलहाल प्रारंभ नहीं हुआ है, लेकिन बेतरतीब खुदाई से बस्ती में रहने वाले लोगों की परेशानियां बढ़ जरूर गई है.

कोरबा: 24 घंटे पानी सप्लाई का दावा करने वाली शहर की सरकार कोरबा की आधी आबादी की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रही है. कोरबा शहर में जल आवर्धन योजना के तहत पानी की तरह पैसे बहाया गया, लेकिन यह योजना आज भी अधूरी है. करीब 394 करोड़ रुपये बजट वाली योजना भी शहर के लोगों का प्यास नहीं बुझा पा रही है. पेयजल जैसी मूलभूत आवश्यकता के लिए शहरवासी तरस रहे हैं. शहर के कुछ वार्ड तो ऐसे हैं, जहां के लोग अब भी नदी के पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

कोरबा में पानी की समस्या से जूझ रहे लोग

पेयजल के मामले में खास तौर पर नगर पालिका निगम का पश्चिम क्षेत्र, जिसमें उपनगरीय क्षेत्र बालको, दर्री, कुसमुंडा, बांकीमोंगरा, गेवरा जैसे क्षेत्र शामिल हैं. वह ज्यादा उपेक्षित हैं. निगम का पश्चिम क्षेत्र वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहा है. बावजूद इसके क्षेत्र की समस्याओं के समाधान की पहल अबतक नगर निगम प्रशासन ने नहीं की है. नगर निगम के पिछले कार्यकाल में पश्चिम क्षेत्र से निर्वाचित पार्षद धुरपाल सिंह कंवर सभापति भी बने, लेकिन इसका कुछ खास लाभ पश्चिम क्षेत्र को नहीं मिला. पश्चिमी क्षेत्र अब भी उतना ही उपेक्षित है जितना की पहले था.

जल आवर्धन भाग-1 की परिकल्पना

नगर निगम के इलाकों में पेयजल सप्लाई के लिए जल आवर्धन भाग-1 की परिकल्पना की गई थी. जिसपर 134 करोड़ रुपए की लागत से 8 टंकियों का निर्माण कराया गया. 400 किलोमीटर की पाइपलाइन और 12 एमएलडी क्षमता वाले जल संयंत्र का निर्माण हुआ. इस योजना के तहत निगम के कोरबा, कोसाबाड़ी, टीपी नगर और बालको जोन के वार्ड क्रमांक 1 से 42 तक के वार्ड योजना में शामिल है. कागजों में नगर निगम ने इस योजना को भले ही पूर्ण बता दिया हो लेकिन, वास्तविकता यह है कि अब भी इसका समुचित लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है. घर-घर कनेक्शन तो लगे लेकिन जल की आपूर्ति नहीं हो रही है. कहीं पाइप लीकेज है, तो कहीं कनेक्शन आधे-अधूरे हैं.

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जल आवर्धन भाग-2 योजना

अमृत मिशन के अंतर्गत जल आवर्धन भाग- 2 पर भी काम शुरू किया गया. इसके लिए भाग 1 की तुलना में और भी भारी भरकम बजट निगम को मिला. कुल 207 करोड़ 36 लाख रुपए की लागत से निगम ने यह योजना लांच की, जिसके तहत नगर निगम के पश्चिम क्षेत्र अंतर्गत आने वाले दर्री, बांकीमोंगरा और सर्वमंगला जोन के वार्ड क्रमांक 43 से 67 को इस योजना का लाभ देने की कवायद शुरू की गई. निगम प्रशासन का दावा है कि आने वाले 30 वर्षों तक पानी की आवश्यकता को ध्यान में रखकर इस योजना की परिकल्पना की गई है. जिसके अंतर्गत 14 पानी टंकियों का निर्माण, 29 एमएलडी की क्षमता के जल उपचार संयंत्र की स्थापना और लगभग 500 किलोमीटर के पाइप लाइन को बिछाने का काम अब भी जारी है. कार्य पूर्ण करने के लिए जो समय निर्धारित किया गया था,उसे पूर्ण हुए 1 साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है.

घोटाले में फंसा एनीकट

जल आवर्धन भाग- 2 के तहत पश्चिम क्षेत्र को पानी देने के लिए गेरवा घाट के नजदीक हसदेव नदी पर 50 करोड़ की लागत से एनीकट का निर्माण कराया जा रहा है. यहीं से पश्चिम क्षेत्र के सभी 25 वार्डों में पेयजल की गंभीर समस्या के दीर्घकालिक समाधान के लिए पानी लिया जाएगा, लेकिन एनीकट ही घोटाले में फंस गया. गड़बड़ी के बाद अफसरों पर कार्रवाई हुई. तबादले के बाद वर्तमान में सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता पीके वासनिक के कंधों पर इस एनीकट को पूर्ण करने की जिम्मेदारी है.

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पाइप लाइन के लिए बेतरतीब खुदाई

जल आवर्धन योजना भाग 1 और 2 के तहत पाइप लाइन बिछाने के लिए कांक्रीट युक्त सड़कों की खुदाई की गई है. निगम के कई वार्ड बस्तियों में शामिल हैं. छोटे-छोटे गली कूचे तक घर-घर पानी पहुंचाने के लिए छोटी गलियों में भी निगम के कर्मचारियों ने सड़कों की खुदाई कर दी है. खुदाई के बाद पर्याप्त मरम्मत नहीं की गई है, जिससे सड़कें भी उखड़ गई हैं. घर-घर पानी पहुंचना तो फिलहाल प्रारंभ नहीं हुआ है, लेकिन बेतरतीब खुदाई से बस्ती में रहने वाले लोगों की परेशानियां बढ़ जरूर गई है.

Last Updated : Oct 18, 2020, 11:54 AM IST
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