कोरबा: एनटीपीसी ने वित्तीय वर्ष समाप्त होने के ठीक पहले साल भर का खाका पेश किया. पिछले वर्ष की उपलब्धियों और आने वाले वर्ष की योजनाओं पर देश की महारत्न कंपनी किस तरह काम करेगी इसकी जानकारी दी गई. सम्मेलन में एनटीपीसी के मुख्य महाप्रबंधक अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने कंपनी से जुड़ी कई अहम जानकारियां साझा की. साथ ही कार्यक्रम के दौरान कोरबा के मीडियाकर्मियों के लिए पावर सेक्टर परिचय का आयोजन भी किया गया.
त्रिपाठी ने बताया कि 'एनटीपीसी 2 रूपये 20 पैसे प्रति यूनिट की दर से देश को सबसे सस्ती बिजली देने वाली कंपनी है. पावर प्लांट को चलाने के लिए जिसकी सबसे अधिक जरूरत होती है. वह कोयला और पानी कोरबा में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जिसके कारण हम देश को सबसे सस्ती बिजली प्रदान करते हैं. बिजली उत्पादन के मामले में एनटीपीसी विश्व में सातवें स्थान पर है. एनटीपीसी कोरबा की यूनिट फिलहाल देश में नौवें स्थान पर है. हमारा प्रयास है कि हम यह स्तर और रैंकिंग बरकरार रखें.
कोरबा से बांग्लादेश भेजी जा रही बिजली
आगे त्रिपाठी ने बताया कि 'एनटीपीसी देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता रहा है. गुजरात, महाराष्ट्र, एमपी जैसे कई राज्यों में कोरबा से ही बिजली निर्यात की जाती है, इसके अलावा दादर और नगर हवेली के साथ ही बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में भी कोरबा से बिजली भेजी जा रही है. एनटीपीसी एक ऐसा पावर प्लांट है, जो हमेशा फुल लोड पर चलता है. एनटीपीसी अपने शत-प्रतिशत क्षमता से कार्य कर रहा है.
राख के शत प्रतिशत यूटिलाइजेशन का लक्ष्य
वहीं मुख्य महाप्रबंधक ने बताया कि 'वर्तमान में एनटीपीसी राख यूटिलाइजेशन के मामले में 69 प्रतिशत पर अटका हुआ है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए शत प्रतिशत राख के यूटिलाइजेशन की योजना पर काम चल रहा है'.
1000 मिलियन यूनिट ज्यादा उत्पादन का लक्ष्य
वहीं उन्होंने कहा कि 'एनटीपीसी कोरबा ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 2030 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय किया है, जोकि पिछले वर्ष से 1000 मिलियन यूनिट ज्यादा है. इस वर्ष मेंटेनेंस का काम काफी कम है, जिसके कारण यह बढ़ा हुआ लक्ष्य एनटीपीसी कोरबा ने निर्धारित किया है. इसके लिए उन्हें आगामी वर्ष में 14 मैट्रिक टन कोयले की आवश्यकता होगी, जिसकी पूर्ति के लिए एसईसीएल के साथ मिलकर योजना बनाई गई है. साथ ही एसईसीएल ने कोयला आपूर्ति के लिए भी पूरी तरह से आश्वस्त किया है'.