कोरबा: चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही आचार संहिता लग जाती है. इस दौरान राजनीतिक शक्तियां क्षीण हो जाती हैं. इस समय निर्वाचन आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. किसी भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि को सरकारी सुविधाओं का लाभ भी नहीं दिया जाता. छत्तीसगढ़ में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. नगर पालिका निगम कोरबा के महापौर राजकिशोर प्रसाद ने आचार संहिता लगते ही एक उदाहरण पेश किया. संभवत: वह प्रदेश के ऐसे निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं. जिन्होंने आचार संहिता लगने के चंद घंटे के अंदर ही ये काम किया.
इलेक्शन डेट घोषित होते ही लागू हुई आचार संहिता : इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने जैसे ही चुनाव की तारीखों का ऐलान किया, वैसे ही आचार संहिता लागू हो गई. छत्तीसगढ़ में 7 और 17 नवंबर को दो चरण में मतदान होंगे. इसके बाद अब आचार संहिता के पालन के लिए सभी सरकारी बैनर पोस्टर से जनप्रतिनिधियों के नाम को भी हटाया जाएगा. सरकारी गाड़ियों को सरेंडर किया जाएगा. किसी भी तरह के सरकारी सुविधा किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि को नहीं दी जाएगी. इन्हीं नियम का पालन करते हुए नगर पालिका निगम कोरबा के महा पर राजकिशोर प्रसाद ने अपनी सरकारी गाड़ी नगर पालिका निगम के सुपुर्द कर दिया है. गाड़ी को कार्यशाला में जमा कर दिया है. महापौर के ड्राइवर ने ने गाड़ी कार्यशाल के प्रभारी इंजीनियर को सौंपी है. अब महापौर इस सरकारी गाड़ी का उपयोग आचार संहिता खत्म होने तक नहीं करेंगे.
आचार संहिता का पालन हम सभी का दायित्व :आचार संहिता लागू होने की 1 घंटे के अंदर ही महापौर ने अपनी गाड़ी को ऑफिस में जमा कर दिया. निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के आचरण को लेकर एक उदाहरण पेश किया. महापौर ने कहा कि चुनाव की तारीख घोषित होते ही आचार संहिता लागू हो चुकी है. ऐसे में किसी भी सरकारी सुविधाओं का लाभ लेना ठीक नहीं है. यह आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन. इसलिए हमने चुनावी तारीखों की घोषणा होते ही तुरंत अपनी गाड़ी जमा करा दी है.
सरल व्यक्तित्व, सदैव विपक्ष के निशाने पर: मेयर राजकिशोर प्रसाद वैसे भी अपने सरल और सौम्य व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं. इसके कारण ही वह सदैव विपक्ष के निशान पर रहते हैं. नगर पालिका निगम कोरबा में विपक्ष के पार्षद उन्हें घेरने की प्लानिंग करते हैं, एक बार तो उनके विपक्ष ने सड़क की गिट्टी उठाकर उनके टेबल पर रख दिया था. महापौर के घर का भी घेराव हो चुका है.