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ये हैं गोबर और मुल्तानी मिट्टी से बने ईको फ्रेंडली दीये, उपयोग के बाद बन जाएंगे खाद

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Published : Oct 27, 2019, 9:01 PM IST

Updated : Oct 27, 2019, 10:51 PM IST

बिहान योजना के तहत ग्राम कठबिटला की महिलाओं ने इको फ्रेंडली दीये तैयार किए हैं. यह दिये मुल्तानी मिट्टी और गोबर से बनाए गए हैं.

गोबर और मुल्तानी मिट्टी से बने इको फ्रेंडली दीये

कोरबा: दीपावली पर्व पर शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां दीये जगमगाते हुए न दिखे. मिट्टी के दिए चलन में है, लेकिन कोरबा की महिला स्व-सहायता समूह ने एक कदम और आगे बढ़ कर इको फ्रेंडली दीये तैयार किये हैं. जिसे गोंद मिली हुई मुल्तानी मिट्टी और गोबर से बनाया गया है. दीपावली के दिन यह दीये घर तो रोशन करेंगे ही उपयोग के बाद पूरी तरह से डीकंपोज होकर मिट्टी में मिल जाएंगे और खाद का काम करेंगे. जिससे मिट्टी की उर्वता शक्ति भी बढ़ेगी.

गोबर और मुल्तानी मिट्टी से बने ईको फ्रेंडली दीये

इको फ्रेंडली दीये बिहान योजना के तहत काम करने वाली कोरबा जनपद के ग्राम कठबिटला की महिलाओं ने तैयार किया है. जिसे कलेक्ट्रेट परिसर में भी स्टॉल लगाकर बेचा जा रहा है. महिला स्व-सहायता समूह पटाखा दुकान के पास भी दीये बेचने का व्यवसाय कर रहे हैं.

पढ़ें :संगवारी संघ ने वृद्धाश्रम में मनाई दिवाली, बुजुर्गों ने जाहिर की खुशी

3 रुपये प्रति दिये दर बिक रहा

समूह की महिलाओं ने बताया कि 'इको फ्रेंडली दीये तैयार करने में प्रति दीया लागत 2 से 3 रुपये की आती है. जिसे वे 3 रुपये प्रति दीये की दर से बेच रहे हैं. जिन लोगों को इन दियों की जानकारी है. वे खुशी-खुशी इन दीयों को खरीदारी कर घर ले जा रहे हैं'.

कोरबा: दीपावली पर्व पर शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां दीये जगमगाते हुए न दिखे. मिट्टी के दिए चलन में है, लेकिन कोरबा की महिला स्व-सहायता समूह ने एक कदम और आगे बढ़ कर इको फ्रेंडली दीये तैयार किये हैं. जिसे गोंद मिली हुई मुल्तानी मिट्टी और गोबर से बनाया गया है. दीपावली के दिन यह दीये घर तो रोशन करेंगे ही उपयोग के बाद पूरी तरह से डीकंपोज होकर मिट्टी में मिल जाएंगे और खाद का काम करेंगे. जिससे मिट्टी की उर्वता शक्ति भी बढ़ेगी.

गोबर और मुल्तानी मिट्टी से बने ईको फ्रेंडली दीये

इको फ्रेंडली दीये बिहान योजना के तहत काम करने वाली कोरबा जनपद के ग्राम कठबिटला की महिलाओं ने तैयार किया है. जिसे कलेक्ट्रेट परिसर में भी स्टॉल लगाकर बेचा जा रहा है. महिला स्व-सहायता समूह पटाखा दुकान के पास भी दीये बेचने का व्यवसाय कर रहे हैं.

पढ़ें :संगवारी संघ ने वृद्धाश्रम में मनाई दिवाली, बुजुर्गों ने जाहिर की खुशी

3 रुपये प्रति दिये दर बिक रहा

समूह की महिलाओं ने बताया कि 'इको फ्रेंडली दीये तैयार करने में प्रति दीया लागत 2 से 3 रुपये की आती है. जिसे वे 3 रुपये प्रति दीये की दर से बेच रहे हैं. जिन लोगों को इन दियों की जानकारी है. वे खुशी-खुशी इन दीयों को खरीदारी कर घर ले जा रहे हैं'.

Intro:कोरबा। दीपावली के पर्व पर शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां दीये जगमगाते हुए न दिखें। मिट्टी के दिए चलन में है, और उपयोगी भी। लेकिन कोरबा की महिला स्व सहायता समूह ने एक कदम और आगे बढ़ कर इको फ्रेंडली दीये तैयार किये हैं। जिसे गोंद मिली हुई मुल्तानी मिट्टी और गोबर से बनाया गया है। दीपावली के दिन यह दीये घर तो रोशन करेंगे ही, उपयोग के बाद यह पूरी तरह से डीकंपोज होकर मिट्टी में मिल जाएंगे और खाद का काम करेंगे। जिससे मिट्टी की उर्वरकता भी बढ़ेगी। Body:इस तरह के दीये बिहान योजना के तहत काम करने वाली कोरबा जनपद के ग्राम कठबिटला की महिलाओं ने तैयार किया है। जिसे कलेक्ट्रेट परिसर में भी स्टॉल लगाकर बेचा जा रहा है।महिला स्व सहायता समूह पटाखा दुकान के इर्द-गिर्द भी दीये बेचने का व्यवसाय कर रहे हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि इको फ्रेंडली दीये तैयार करने में प्रति दीया 2 से 3 रुपये की लागत आती है। जिसे वह 3 रुपये प्रति दीये की दर से बेच रहे हैं। जिन लोगों को इन दियों की जानकारी है। वह खुशी-खुशी इनकी खरीदारी कर दीये अपने घर ले जा रहे हैं।Conclusion:बिहान योजना की परियोजना अधिकारी ने बताया कि कठबिटला की स्व सहायता समूह ने इको फ्रेंडली दीये तैयार किये हैं। इसके लिए हमने सांचे बाहर से मंगवाए थे। पहले मुल्तानी मिट्टी में गोंद बनाकर उसे आटे की तरह गूंथ लिया। इसके बाद इसमें गोबर मिलाया और फिर सांचे से दीये तैयार कर इनका रंग रोगन भी किया गया है। अभी यह रंग-बिरंगे दीये बाजारों में बेचे जा रहे हैं।

बाइट
स्व सहायता समूह की महिला, दीये की खरीदारी करती महिला व परियोजना अधिकारी

विजुअल
इको फ्रेंडली दीये, महिला स्व सहायता समूह
Last Updated : Oct 27, 2019, 10:51 PM IST
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