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'साहब'....पोषण ट्रैकर एप में डाटा फीड कैसे होगा?

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Published : Jul 13, 2022, 6:31 PM IST

Updated : Jul 13, 2022, 7:40 PM IST

कोरबा के आंगनबाड़ी में पोषक आहार वितरण व्यवस्था आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए मुसीबत बनती जा रही है. नई व्यवस्था के तहत पोषण ट्रैकर एप के जरिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों के साथ ही शिशुवती और गर्भवती महिलाओं का डाटा सेंड करना है. लेकिन आलम यह है कि कहीं नेटवर्क की समस्या है. कहीं स्मार्टफोन ही ऑपरेट करने नहीं आता तो कहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का पद ही रिक्त है.

nutritious food delivery system
पोषक आहार वितरण व्यवस्था

कोरबा: महिला एवं बाल विकास विभाग ने पोषण आहार वितरण के लिए एक नई व्यवस्था लागू की है. उचित मूल्य की दुकानों से राशन वितरण की तर्ज पर अब पोषण ट्रैकर एप में आंगनबाड़ी पहुंचने वाले बच्चों के साथ ही शिशुवती और गर्भवती महिलाओं का डाटा सेंड करना होगा. अधिकारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर जल्द से जल्द डाटा फीड करने का दबाव बना रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनके पास डाटा फीड करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. डाटा फीड नहीं होने पर संबंधित हितग्राहियों को पोषण आहार से वंचित कर दिया (Nutritious food distribution system became trouble in Anganwadi of Korba )जाएगा.

पोषण ट्रैकर एप

सहायिका को पता नहीं कैसे फीड होगा डाटा: पोषण आहार और इस नई व्यवस्था के विषय में ईटीवी भारत ने पड़ताल की. शहर के रिस्दी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में स्थिति बेहद चौंकाने वाली है. दरअसल, इस आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता का पद पिछले 5 सालों से रिक्त है. यहां सहायिका के तौर पर फूलबाई पदस्थ हैं. आंगनबाड़ी सहायिका के भरोसे ही संचालित किया जा रहा है. फूलबाई उतनी पढ़ी-लिखी नहीं है. उसे मोबाइल में डाटा फीड करने की कोई जानकारी नहीं है. फूलबाई ने बताया कि "अन्य केंद्र के पदस्थ आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता को यहां का प्रभार सौंपा गया है. वह 15 दिनों में एक बार यहां आती है. सारे दस्तावेज का काम वही करती है. मेरे पास स्मार्टफोन नहीं है. ना ही मुझे स्मार्टफोन चलाना आता है. बच्चों का डाटा मोबाइल में है.. कैसे दर्ज होगा? और विभाग के क्या निर्देश हैं? मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है."

ऐसे में वंचित हो सकते हैं बच्चे : शहर के रिस्दी केन्द्र में कार्यकर्ता का पद रिक्त है. दूसरे केंद्र की कार्यकर्ता को यहां का प्रभार सौंपा गया है. लेकिन वह इस केंद्र में कब आएंगी और बच्चों का डाटा पोषण ट्रेकर एप में कब फीड होगा? इस विषय में किसी को भी जानकारी नहीं है. जिले में ऐसे कई केंद्र हैं, जो कनेक्टिविटी से दूर हैं. या फिर कार्यकर्ताओं का पद रिक्त है. ऐसे केंद्रों में पोषण आहार प्राप्त करने वाले हितग्राहियों का डाटा पोषण ट्रेकर एप में किस तरह से फीड किया जाएगा..ये एक बड़ा सवाल है?

रेडी टू ईट फूड के लाभार्थी: महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिला के गर्भवती होने के तीसरे महीने से ही रेडी टू ईट फूड दिया जाता है. यह तब तक मिलता है, जब तक वह बच्चे को जन्म न दे दें. इसके बाद भी 6 माह तक के बच्चों के लिए इन महिलाओं को शिशुवती की श्रेणी में रखा जाता है और इन्हें भी पोषण आहार मिलता है. इसके बाद 6 माह से लेकर 6 वर्ष तक के बच्चों को केंद्रों में ही रेडी टू ईट फूड दिया जाता है ताकि उनमें पोषण की कमी ना होने पाए. बच्चे के गर्भ में रहने से लेकर 6 वर्ष तक के पोषण की व्यवस्था सरकार इस योजना के माध्यम से करती है. यह प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों से महीने के पहले और तीसरे मंगलवार को दिया जाता है.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में कुपोषण का खतरा बढ़ा, जानिए वजह

क्या होता है रेडी टू ईट फूड : रेडी इट ईट फूड एक खास तरह का तैयार किया गया पैक्ड पाउडर की तरह होता है. इसमें गेहूं, चीनी, चना, सोयाबीन, मूंगफली, रागी और सोयाबीन का तेल एक निश्चित अनुपात में मिलाया जाता है. यह गर्भवती महिलाओं को 900 ग्राम, शिशुवती महिलाओं को 750 और 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को 1250 ग्राम केंद्र में ही रोजाना 50 ग्राम के हिसाब से दिया जाता है. महीने में दो बार दो-दो पैकेट दिया जाता है. यदि किसी महीने में पांच मंगलवार पड़े तो दूसरी बार के आवंटन में तीन पैकेट दिए जाते हैं.

फैक्ट फाइल:

कुल सेक्टर83
कुल परियोजना10
कुल आंगनबाड़ी केंद्र2548
पूर्व में कार्यरत कुल महिला स्व-सहायता79

कोरबा: महिला एवं बाल विकास विभाग ने पोषण आहार वितरण के लिए एक नई व्यवस्था लागू की है. उचित मूल्य की दुकानों से राशन वितरण की तर्ज पर अब पोषण ट्रैकर एप में आंगनबाड़ी पहुंचने वाले बच्चों के साथ ही शिशुवती और गर्भवती महिलाओं का डाटा सेंड करना होगा. अधिकारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर जल्द से जल्द डाटा फीड करने का दबाव बना रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनके पास डाटा फीड करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. डाटा फीड नहीं होने पर संबंधित हितग्राहियों को पोषण आहार से वंचित कर दिया (Nutritious food distribution system became trouble in Anganwadi of Korba )जाएगा.

पोषण ट्रैकर एप

सहायिका को पता नहीं कैसे फीड होगा डाटा: पोषण आहार और इस नई व्यवस्था के विषय में ईटीवी भारत ने पड़ताल की. शहर के रिस्दी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में स्थिति बेहद चौंकाने वाली है. दरअसल, इस आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता का पद पिछले 5 सालों से रिक्त है. यहां सहायिका के तौर पर फूलबाई पदस्थ हैं. आंगनबाड़ी सहायिका के भरोसे ही संचालित किया जा रहा है. फूलबाई उतनी पढ़ी-लिखी नहीं है. उसे मोबाइल में डाटा फीड करने की कोई जानकारी नहीं है. फूलबाई ने बताया कि "अन्य केंद्र के पदस्थ आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता को यहां का प्रभार सौंपा गया है. वह 15 दिनों में एक बार यहां आती है. सारे दस्तावेज का काम वही करती है. मेरे पास स्मार्टफोन नहीं है. ना ही मुझे स्मार्टफोन चलाना आता है. बच्चों का डाटा मोबाइल में है.. कैसे दर्ज होगा? और विभाग के क्या निर्देश हैं? मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है."

ऐसे में वंचित हो सकते हैं बच्चे : शहर के रिस्दी केन्द्र में कार्यकर्ता का पद रिक्त है. दूसरे केंद्र की कार्यकर्ता को यहां का प्रभार सौंपा गया है. लेकिन वह इस केंद्र में कब आएंगी और बच्चों का डाटा पोषण ट्रेकर एप में कब फीड होगा? इस विषय में किसी को भी जानकारी नहीं है. जिले में ऐसे कई केंद्र हैं, जो कनेक्टिविटी से दूर हैं. या फिर कार्यकर्ताओं का पद रिक्त है. ऐसे केंद्रों में पोषण आहार प्राप्त करने वाले हितग्राहियों का डाटा पोषण ट्रेकर एप में किस तरह से फीड किया जाएगा..ये एक बड़ा सवाल है?

रेडी टू ईट फूड के लाभार्थी: महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिला के गर्भवती होने के तीसरे महीने से ही रेडी टू ईट फूड दिया जाता है. यह तब तक मिलता है, जब तक वह बच्चे को जन्म न दे दें. इसके बाद भी 6 माह तक के बच्चों के लिए इन महिलाओं को शिशुवती की श्रेणी में रखा जाता है और इन्हें भी पोषण आहार मिलता है. इसके बाद 6 माह से लेकर 6 वर्ष तक के बच्चों को केंद्रों में ही रेडी टू ईट फूड दिया जाता है ताकि उनमें पोषण की कमी ना होने पाए. बच्चे के गर्भ में रहने से लेकर 6 वर्ष तक के पोषण की व्यवस्था सरकार इस योजना के माध्यम से करती है. यह प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों से महीने के पहले और तीसरे मंगलवार को दिया जाता है.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में कुपोषण का खतरा बढ़ा, जानिए वजह

क्या होता है रेडी टू ईट फूड : रेडी इट ईट फूड एक खास तरह का तैयार किया गया पैक्ड पाउडर की तरह होता है. इसमें गेहूं, चीनी, चना, सोयाबीन, मूंगफली, रागी और सोयाबीन का तेल एक निश्चित अनुपात में मिलाया जाता है. यह गर्भवती महिलाओं को 900 ग्राम, शिशुवती महिलाओं को 750 और 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को 1250 ग्राम केंद्र में ही रोजाना 50 ग्राम के हिसाब से दिया जाता है. महीने में दो बार दो-दो पैकेट दिया जाता है. यदि किसी महीने में पांच मंगलवार पड़े तो दूसरी बार के आवंटन में तीन पैकेट दिए जाते हैं.

फैक्ट फाइल:

कुल सेक्टर83
कुल परियोजना10
कुल आंगनबाड़ी केंद्र2548
पूर्व में कार्यरत कुल महिला स्व-सहायता79
Last Updated : Jul 13, 2022, 7:40 PM IST
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