कोंडागांव: मां शब्द की तो महिमा ही निराली है. कहते हैं मां की दुआ कभी खाली नहीं जाती. क्योंकि एक मां ही है जिसकी बात भगवान भी नहीं टाल सकते. मां बच्चे को डांटने के बाद खुद रो देती है और अगर बच्चा खाना ना खाए तो खुद भी नहीं खाती है. मां-बच्चे के हर सुख-दुख में उसके साथ खड़ी रहती है. उसके लिए हर गम झेल जाती है. पिता की डांट से बच्चे को बचाती है और अपने हिस्से की भी रोटी उसे खिलाती है.
कर्तव्य और ममता का एक साथ निर्वहन
इस मदर्स डे पर हम आपको कुछ ऐसी महिलाओं से मिला रहे हैं जिन्होंने अपनी जान हथेली पर रखकर कोरोना काल में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है. ड्यूटी और परिवार के दायित्व के बीच सामंजस्य बनाए रखा है. वे ड्यूटी पर इस कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ रहीं हैं. दुनिया के लिए एक मिसाल बनकर खड़ी हैं. अभी भी ये कोरोना वॉरियर लगातार अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहीं हैं. कुछ महिलाएं पुलिस विभाग में हैं और कुछ अस्पताल में पदस्थ हैं. इन महिलाओं के छोटे-छोटे बच्चे हैं. इनका परिवार है, फिर भी यह महिलाएं अपनी जान हथेली पर रखकर कोरोना महामारी से लड़ने के लिए ड्यूटी पर तैनात हैं. ड्यूटी पर रहते हुए इन पर संक्रमण का खतरा भी रहता है. लेकिन खुद की परवाह किए बगैर लोगों की जान बचाने और व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए महिलाएं लगातार काम कर रहीं हैं.
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इन महिलाओं को सलाम
ETV भारत माताओं को प्रणाम करता है जो इस कोरोना महामारी के भयावह दौर में अपने बच्चों को घर पर छोड़ अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन कर रही हैं. ऐसी कई माताएं हैं जो इस भयावह माहौल में कोरोना वायरस को दूर करने में डटी हुई हैं. कोंडागांव में ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ माताओं से बात की उनके अनुभवों को जाना है.
- कोंडागांव में यातायात प्रभारी के तौर पर काम कर रहीं अर्चना धुरंधर बताती हैं कि 24 घंटे जिले की यातायात व्यवस्था को संभालना इनका काम है. लॉकडाउन में भी लगातार ये यातायात व्यवस्था के साथ-साथ लॉकडाउन को सफल बनाने का प्रयास कर रही हैं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान लगातार काम कर रहीं हैं. लोग अनावश्यक बाहर न निकलें इसके लिए हम तैनात हैं. उन्होंने कहा कि घर पर परिवार को कोरोना संक्रमण न हो इसका भी ख्याल रखना पड़ता है.
- रानू माली आरक्षक के तौर पर कोंडागांव में काम कर रहीं हैं. वो बताती हैं कि कोरोना काल ने ड्यूटी को काफी मुश्किल बना दिया है. घर जाने के बाद बच्चों को छूने में भी डर लगता है. रानू कहती हैं कि सभी इससे बचने का प्रयास करें. समाजिक दूरी और लॉकडाउन के नियम का पालन करें.
- विमला नेताम महिला आरक्षक के तौर पर कोंडागांव में सेवा दे रही हैं. उन्होंने बताया कि मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं, लेकिन मैं लगातार ड्यटी कर रही हूं. उन्होंने बताया कि घर जाने के बाद बच्चों को भी संभालना पड़ता है. एक साथ दोनों ड्यूटी निभा रहीं हैं. उन्होंने लोगों से अपील की है कि सभी कोरोना संक्रमण रोकने में सहयोग करें.
- कोरोना काल में मेडिकल स्टाफ भगवान की तरह हमारी रक्षा कर रहा है. स्वास्थ्य विभाग में कई ऐसी माताएं हैं जो परिवार के साथ आम लोगों की सेवा कर रहीं हैं. यशोदा यादव और मोहंती दीवान एएनएम के तौर पर जिला अस्पताल कोंडागांव में काम कर रहीं हैं. उनका कहना है कि कोरोना जैसी बीमारी जब तेजी से फैल रही है तो हम घर में कैसे बैठ सकते हैं. वो एएनएम के तौर पर लगातार कोरोना काल के दौरान लोगों को सेवा दे रही हैं. परिवार के लिए उन्हें डर तो लगता है लेकिन अपने काम से पीछे हटने के बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं है.