बीजापुर : बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद सुर्खियों में आया नेलनसार-गंगालुर सड़क सुर्खियों में है.सड़क को लेकर करवाए जा रहे निर्माण कार्य को लेकर जब सवाल उठने शुरु हुए तो पत्रकार की हत्या करके उस आवाज को दबाने की कोशिश की गई.आपको बता दें कि नेलसनार से मिरतूर- गंगालूर तक 52.4 किलोमीटर का सड़क बन रहा था.जिसका ठेका सुरेश चंद्राकर की कंपनी को मिला. इस सड़क की लागत 54 करोड़ रुपए थी.लेकिन ना जाने वो कौन सी कारामात हुई कि सड़क की लागत बढ़ते-बढ़ते दोगुनी से भी ज्यादा हो गई.अब जब मामला खुल गया है तो पीडब्ल्यूडी विभाग और उसके अधिकारियों पर ही सवाल उठने लगे हैं.
क्या हैं आरोप ?: किसी भी सड़क का बनना और उसके निर्माण में लगी राशि देने के लिए उस सड़क की जांच की जाती है. सड़क को बनाने के लिए कई पैमाने निर्धारित हैं.जो समय-समय पर अधिकारी मौके पर जाकर करते हैं.लेकिन नेलनसार-गंगालुर सड़क निर्माण में शायद ये सारे पैमाने सिर्फ कागजों में ही रखे गए थे.क्योंकि जिस सड़क के निर्माण में जवानों का लहू नक्सलियों से लोहा लेते हुए बहा,उस सड़क को बनाने वाले ठेकेदार और अधिकारी बिना जमीर के निकले.ठेकेदार और अधिकारियों ने इमान बेचकर सड़क का घटिया निर्माण किया.
रिनोवेशन के नाम पर पैसों का बंदरबाट : रिनोवेशन के नाम पर इस घटिया सड़क निर्माण की लागत 54 से बढ़कर 144 करोड़ तक पहुंचा दी गई. 16 भागों में सड़क निर्माण का काम बांटा गया.जिसमें से सुरेश चंद्राकर 54 किलोमीटर में से 32 किलोमीटर की सड़क बना रहा था. ठेकेदार की पैठ भी ऐसी थी कि महज 2 भाग का काम यानी 4 किलोमीटर का घटिया काम पूरा करके आरोपी ने 90 फीसदी राशि निकाल ली थी.ये बंदरबाट तभी संभव है जब पीडब्लूडी के इंजीनियर,अधिकारी और एसडीओ सारे -सारे भ्रष्टाचार के तालाब में डूबे हो.
अनगिनत पेड़ों की दी गई बलि : इस सड़क निर्माण के लिए ठेकेदार ने 1000 से ज्यादा पेड़ों की बलि दी.मुरुम डालने के लिए बिना किसी रॉयल्टी और परमिशन के वनविभाग की जमीन को खोदा गया. सड़क पर 5 कैंप CAF और CRPF के बने हैं.सड़क निर्माण पर लगातार जवान ROP (रोड ओपनिंग पार्टी) देते हैं. तब जाकर नक्सलक्षेत्र में काम चलता है. इस सड़क के निर्माण कार्य में लगभग 20 जवान शहीद हुए,लेकिन ठेकेदार को देश के नाम शहीद होने वाले जवानों से ज्यादा करारे नोट प्यारे थे. इस सड़क पर 20-20 मीटर पर छोटी- बड़ी दर्जनों पुल-पुलिया का निर्माण किया गया है.जो इतने घटिया हैं कि अपनी कहानी खुद बया कर रहे हैं.सड़क पर पुलियों के साइड एबॉटमेन्ट टूट गए हैं. बहुत जगह 8MM की रॉड भी साफ-साफ भ्रष्टाचार की कहानी कहती दिख जाएगी.
सड़क का निरीक्षण कार्य पूरा, रिपोर्ट आना बाकी : इस सड़क की जांच के लिए दिसंबर में ही टीम का गठन कर दिया था. इस टीम में एआर मरकाम ईई कोंडागांव, संजय सूयर्वंशी एसई कांकेर, आरएन उसेंडी एसडीओ कोंडागांव, जितेन्द्र साहू सब इंजीनियर कोंडागांव के अलावा 3 अन्य अफसर शामिल हैं. टीम में शामिल जांच अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने 7, 8 और 9 जनवरी को इस सड़क का तीन बार निरीक्षण किया है. इस बारे में चीफ इंजीनियर रावटे ने कहा कि दो दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन उन्हें मिलेगा,जिसके रिपोर्ट देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
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