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कांकेर: बीएसएफ कैंप के विरोध में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे ग्रामीण

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Published : Dec 18, 2020, 12:49 AM IST

कोयलीबेड़ा क्षेत्र में 103 ग्राम पंचायत के ग्रामीण बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध कर रहे हैं. इसके लिए आसपास के ग्रामीण धरने पर बैठ गए हैं. ग्रामीण इसे उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की साजिश बता रहे हैं.

Villagers sitting on strike against BSF camp
बीएसएफ कैंप का विरोध

कांकेर: कोयलीबेड़ा क्षेत्र में 103 ग्राम पंचायत के ग्रामीण बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. कड़काघाट और तुमिरघाट में खोले गए कैंप को ग्रामीण देव स्थल बताते हुए, ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना, उद्योगपतियों को लाभ पहुंचने के लिए कैंप खोले जाने की बात कर रहे हैं.

अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे ग्रामीण

एसटी, एससी,ओबीसी समाज अनिश्चितकालीन धरना पर राशन पानी सहित सभी जरूरी चीजें लेकर डटे हुए हैं. उनका कहना है जब तक कैंप नहीं हटाया जाएगा धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. दरअसल शासन जिले के कुछ इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान के तहत कैंप की तैनाती कर रही है. जिसके तहत कुछ जगहों पर नए बीएसएफ कैंप खोले गए हैं. जिसमें कड़काघाट और तुमिरघाट भी शामिल है. बीएसएफ कैंप खुले महज 15 दिन हुए हैं. लेकिन अब इसका विरोध शुरू हो गया.

15 सौ ग्रामीण हुए इकट्ठा

तुमिरघाट में करीब 18 पंचायत के ग्रामीण और कड़काघाट में 85 ग्राम पंचायत सहित करीब 15 सौ की संख्या में ग्रामीण अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे है. जिसमें अबूझमाड़ के ग्रामीण भी शामिल हैं. सभी राशन पानी और अन्य सामान लेकर धरने पर डटे हुए हैं.

पढ़ें: धर्म कोड विवाद: छत्तीसगढ़ में भी शुरू हुई सरना धर्म कोड की मांग, लोगों ने किया विरोध

कैंप की जरुरत नहीं: ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की ओर से उक्त स्थान जो कि देव स्थल है, जहां उनके देवी देवता निवास करते हैं, वहां कैंप खोला गया है. कैंप खोले जाने के पहले ग्राम पंचायत, ग्राम गायता, पटेल से इस बारे में बिना चर्चा और अनुमति के कैंप खोला गया है. ग्रामीणों का कहना है कि कैंप की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि यह जल, जंगल, जमीन को नुकसान पहुंचाने की साजिश है. यह जल, जंगल, जमीन उनकी है. कैंप बैठाकर लौह अयस्क निकाल कर अत्याचार करने की साजिश है. ताकि सुरक्षा व्यवस्था के जरिए लौह अयस्क निकालकर उद्योगपतियों को लोहा पहुंचाया जा सके.

ग्रामीणों का हो रहा शोषण

ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी दुर्गुकोंदल, रावघाट सहित अन्य जगहों पर लौह अयस्क खदान खोले गए हैं. जिसमें आम ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. केवल यहां के ग्रामीणों का शोषण किया जा रहा है.

राज्यपाल को सौंपा जा चुका है ज्ञापन

ग्रामीणों ने बीएसएफ कैंप खोले जाने की सूचना मिलने पर प्रतापतापुर में आंदोलन रैली की थी. जिसके जरिए कैंप खोलने जाने का विरोध करते हुए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया था. इस संबंध में क्षेत्र के ग्रामीणों ने राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंप कर इसका विरोध जताया था. जिस पर राज्यपाल ने जांच कराए जाने की बात कही थी.

कांकेर: कोयलीबेड़ा क्षेत्र में 103 ग्राम पंचायत के ग्रामीण बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. कड़काघाट और तुमिरघाट में खोले गए कैंप को ग्रामीण देव स्थल बताते हुए, ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना, उद्योगपतियों को लाभ पहुंचने के लिए कैंप खोले जाने की बात कर रहे हैं.

अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे ग्रामीण

एसटी, एससी,ओबीसी समाज अनिश्चितकालीन धरना पर राशन पानी सहित सभी जरूरी चीजें लेकर डटे हुए हैं. उनका कहना है जब तक कैंप नहीं हटाया जाएगा धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. दरअसल शासन जिले के कुछ इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान के तहत कैंप की तैनाती कर रही है. जिसके तहत कुछ जगहों पर नए बीएसएफ कैंप खोले गए हैं. जिसमें कड़काघाट और तुमिरघाट भी शामिल है. बीएसएफ कैंप खुले महज 15 दिन हुए हैं. लेकिन अब इसका विरोध शुरू हो गया.

15 सौ ग्रामीण हुए इकट्ठा

तुमिरघाट में करीब 18 पंचायत के ग्रामीण और कड़काघाट में 85 ग्राम पंचायत सहित करीब 15 सौ की संख्या में ग्रामीण अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे है. जिसमें अबूझमाड़ के ग्रामीण भी शामिल हैं. सभी राशन पानी और अन्य सामान लेकर धरने पर डटे हुए हैं.

पढ़ें: धर्म कोड विवाद: छत्तीसगढ़ में भी शुरू हुई सरना धर्म कोड की मांग, लोगों ने किया विरोध

कैंप की जरुरत नहीं: ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की ओर से उक्त स्थान जो कि देव स्थल है, जहां उनके देवी देवता निवास करते हैं, वहां कैंप खोला गया है. कैंप खोले जाने के पहले ग्राम पंचायत, ग्राम गायता, पटेल से इस बारे में बिना चर्चा और अनुमति के कैंप खोला गया है. ग्रामीणों का कहना है कि कैंप की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि यह जल, जंगल, जमीन को नुकसान पहुंचाने की साजिश है. यह जल, जंगल, जमीन उनकी है. कैंप बैठाकर लौह अयस्क निकाल कर अत्याचार करने की साजिश है. ताकि सुरक्षा व्यवस्था के जरिए लौह अयस्क निकालकर उद्योगपतियों को लोहा पहुंचाया जा सके.

ग्रामीणों का हो रहा शोषण

ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी दुर्गुकोंदल, रावघाट सहित अन्य जगहों पर लौह अयस्क खदान खोले गए हैं. जिसमें आम ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. केवल यहां के ग्रामीणों का शोषण किया जा रहा है.

राज्यपाल को सौंपा जा चुका है ज्ञापन

ग्रामीणों ने बीएसएफ कैंप खोले जाने की सूचना मिलने पर प्रतापतापुर में आंदोलन रैली की थी. जिसके जरिए कैंप खोलने जाने का विरोध करते हुए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया था. इस संबंध में क्षेत्र के ग्रामीणों ने राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंप कर इसका विरोध जताया था. जिस पर राज्यपाल ने जांच कराए जाने की बात कही थी.

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