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मां मजदूर, पिता छोड़कर चले गए, गांव वालों ने खरीदी किताब, बेटा टॉप कर गया - कांकेर

राहुल चारामा ब्लॉक के गिरहोला गांव का रहने वाला है. मां मजदूर हैं पिता 9 साल पहले ही परिवार का साथ छोड़ कहीं चल गए. गांव वालों के सहयोग से 12वीं में 92 प्रतिशत अंक लाकर जिले में तीसरा स्थान हासिल किया है.

राहुल साहू
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Published : May 12, 2019, 10:37 PM IST

Updated : May 12, 2019, 11:44 PM IST

कांकेर : मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में उड़ान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान होती है. ये कहानी गांव के उस गरीब बच्चे की है, जिसने अपने भविष्य पर कभी भी गरीबी को हावी नहीं होने दिया. अपनी मेहनत, लगन, हौसले और गांव वालों के सहयोग से 12वीं में 92 प्रतिशत अंक लाकर जिले में तीसरा स्थान हासिल किया है. अब वह डॉक्टर बनकर गांव वालों की मदद करना चाहता हैं.

राहुल साहू ने जिले में टॉप किया

हम जिस होनहार छात्र की बात कर रहे हैं, उसका नाम राहुल है. वह चारामा ब्लॉक के गिरहोला गांव का रहने वाला है, जो गरीबी में अपना जीवन गुजर-बसर कर रहा है. मां मजदूर हैं और मजदूरी से किसी तरह घर का राशन पानी चला रही हैं. उसके पिता 9 साल पहले ही परिवार का साथ छोड़ कहीं चल गए, जो आज तक घर वापस नहीं लौटे. इन तमाम परेशानियों के बाद भी राहुल ने हिम्मत नहीं हारी. वह डॉक्टर बनकर अपना सपना पूरा करना चाहता है.

गांव वाले बने राहुल की हिम्मत
राहुल के हौसले को उड़ान देने के लिए पूरा गांव एकजुट होकर उसकी हिम्मत बने. प्राचार्य नासिर खान ने ट्यूशन की फीस दी, तो गांव के सरपंच श्रवण कुमार ने किताबें खरीद कर दी. वहीं गांव के छगन ने अपने बुक स्टोर से फ्री में किताबें-कॉपी और पेन दी. इस तरह सभी गांव वालों की मदद से उसके सपने को उड़ान मिली.

मां को सारी खुशियां देना चाहता है राहुल
राहुल ने कड़ी मेहनत कर 12वीं की परीक्षा दी और जिले में तीसरा स्थान हासिल किया. राहुल का सपना था कि वह मेरिट लिस्ट में अपनी जगह बनाए, लेकिन चंद नंबर से वह चूक गया. राहुल बताता है कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. राहुल ने दसवीं बोर्ड में 96 प्रतिशत अंक हासिल किए थे और एक नंबर से मेरिट में स्थान बनाने से चूक गया था, जिसके बाद उसने ठाना कि 12वीं बोर्ड में मेरिट में स्थान बनाकर रहेगा, लेकिन यहां भी किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया, वो 92.40 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी मेरिट में जगह नहीं बना पाया. अब राहुल डॉक्टर बनकर अपनी मां को सारी खुशियां देना चाहता है.

टॉपर दोस्त ने की हौसला आफजाई
राहुल के दोस्त उदित देवांगन ने मेरिट लिस्ट में स्थान बनाया है और उन्होंने राहुल को पुनर्मूल्यांकन करवाने की सलाह दी है. उदित को राहुल पर भरोसा है कि उसके 9 नंबर बढ़ सकते हैं और उसे मेरिट में जगह मिल सकती है. बता दें की 12वीं में राहुल 9 नम्बर से मेरिट में स्थान बनाने से वंचित रह गए हैं.

कांकेर : मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में उड़ान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान होती है. ये कहानी गांव के उस गरीब बच्चे की है, जिसने अपने भविष्य पर कभी भी गरीबी को हावी नहीं होने दिया. अपनी मेहनत, लगन, हौसले और गांव वालों के सहयोग से 12वीं में 92 प्रतिशत अंक लाकर जिले में तीसरा स्थान हासिल किया है. अब वह डॉक्टर बनकर गांव वालों की मदद करना चाहता हैं.

राहुल साहू ने जिले में टॉप किया

हम जिस होनहार छात्र की बात कर रहे हैं, उसका नाम राहुल है. वह चारामा ब्लॉक के गिरहोला गांव का रहने वाला है, जो गरीबी में अपना जीवन गुजर-बसर कर रहा है. मां मजदूर हैं और मजदूरी से किसी तरह घर का राशन पानी चला रही हैं. उसके पिता 9 साल पहले ही परिवार का साथ छोड़ कहीं चल गए, जो आज तक घर वापस नहीं लौटे. इन तमाम परेशानियों के बाद भी राहुल ने हिम्मत नहीं हारी. वह डॉक्टर बनकर अपना सपना पूरा करना चाहता है.

गांव वाले बने राहुल की हिम्मत
राहुल के हौसले को उड़ान देने के लिए पूरा गांव एकजुट होकर उसकी हिम्मत बने. प्राचार्य नासिर खान ने ट्यूशन की फीस दी, तो गांव के सरपंच श्रवण कुमार ने किताबें खरीद कर दी. वहीं गांव के छगन ने अपने बुक स्टोर से फ्री में किताबें-कॉपी और पेन दी. इस तरह सभी गांव वालों की मदद से उसके सपने को उड़ान मिली.

मां को सारी खुशियां देना चाहता है राहुल
राहुल ने कड़ी मेहनत कर 12वीं की परीक्षा दी और जिले में तीसरा स्थान हासिल किया. राहुल का सपना था कि वह मेरिट लिस्ट में अपनी जगह बनाए, लेकिन चंद नंबर से वह चूक गया. राहुल बताता है कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. राहुल ने दसवीं बोर्ड में 96 प्रतिशत अंक हासिल किए थे और एक नंबर से मेरिट में स्थान बनाने से चूक गया था, जिसके बाद उसने ठाना कि 12वीं बोर्ड में मेरिट में स्थान बनाकर रहेगा, लेकिन यहां भी किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया, वो 92.40 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी मेरिट में जगह नहीं बना पाया. अब राहुल डॉक्टर बनकर अपनी मां को सारी खुशियां देना चाहता है.

टॉपर दोस्त ने की हौसला आफजाई
राहुल के दोस्त उदित देवांगन ने मेरिट लिस्ट में स्थान बनाया है और उन्होंने राहुल को पुनर्मूल्यांकन करवाने की सलाह दी है. उदित को राहुल पर भरोसा है कि उसके 9 नंबर बढ़ सकते हैं और उसे मेरिट में जगह मिल सकती है. बता दें की 12वीं में राहुल 9 नम्बर से मेरिट में स्थान बनाने से वंचित रह गए हैं.

Intro:कांकेर - जिले के चारामा ब्लॉक का गिरहोला गांव जहा होनहार छात्रों की कमी नही है , यहां का एक छात्र उदित देवांगन पहले दसवीं और फिर बारहवीं बोर्ड में मेरिट लिस्ट में पांचवा स्थान पर आया है तो वही एक छात्र ऐसा भी है जिसे दो बार उसकी किस्मत ने दगा दे दिया , दो बार मेरिट सूची में आने वाले उदित देवांगन के साथ ही पढ़ने वाले राहुल साहू जिन्हें दसवीं और बारहवीं दोनों में ही चंद नम्बरो से मेरिट में आने से चूक गए । राहुल जहा दसवीं में मात्र एक नम्बर से मेरिट में आने से चूक गए थे वो वही इस बार भी चंद नम्बर से वो मेरिट में स्थान बनाने से चूक गए । लेकिन राहुल ने जिन परिस्थितयो में यहां तक का सफर किया है उससे उनके लिए मन मे सम्मान बढ़ जाता है , राहुल के परिवार आर्थिक स्तिथि इतनी कमजोर है कि राहुल के पास पुस्तक कॉपी खरीदने तक के भी पैसे नही थे । फिर जब लोगो ने सहयोग किया तो राहुल ने उन्हें निराश भी नही किया और 92 प्रतिशत अंक बारहवीं में लाकर जिले में तीसरा स्थान बनाया है।


Body:राहुल साहू से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की इस दौरान राहुल ने बताया कि यह बात सच है कि उनके परिवार की आर्थिक स्तिथि बेहद खराब है , उनके पिता पिछले 9 साल से लापता है जबकि उनकी माँ मजदूरी करके घर का खर्च चलाती है , राहुल ने दसवीं बोर्ड में 96 प्रतिशत अंक हासिल किए थे और एक नम्बर से मेरिट में स्थान बनाने से चूक गए थे , जिसके बाद उन्होंने ठाना था कि बारहवीं बोर्ड में मेरिट में स्थान बनाकर रहेंगे लेकिन यहां भी किस्मत ने उनका साथ नही दिया और वो 92. 40 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी मेरिट में जगह नही बना सके। राहुल बताते है उनके परिवार की स्तिथि खराब थी , जिसके चलते उनके स्कूल के प्राचार्य नासिर खान उनके पूरी ट्यूशन की फीस देते थे , जबकि गांव के सरपंच श्रवण कुमार ने उन्हें किताबे खरीद कर दी थी , यही नही गांव के ही एक अन्य व्यक्ति छगन भी उन्हें कॉपी पेन अपने बुक स्टोर से फ़्री में देते थे , राहुल इन सभी का धन्यवाद करते हुए यह कहते है कि वो इन सभी की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहते है और डॉक्टर बनकर अपने गांव में सेवा देने के साथ ही अपनी माँ को हर सुख देना चाहते है ।

शिरडी से लापता हो गए थे पिता
राहुल बताते है कि 2010 में पुरा परिवार शिरडी घूमने गया था उसी दौरान उनकें पिता कही चले गए और आज 9 साल से उनका परिवार उनका इंतजार कर रहा है लेकिन अब तक उनकी कोई खबर नही है , पिता के जाने के बाद घर की आर्थिक स्तिथि बेहद खराब हो गई है और अब राहुल डॉक्टर बनकर अपनी माँ को सभी ऐशो आराम देना चाहते है ।

टॉपर दोस्त ने दिया हौसला ,पेपर खुलवाने को कहा
राहुल के दोस्त उदित देवांगन ने मेरिट लिस्ट में स्थान बनाया है , राहुल ने बताया कि उदित ने घर आकर उसे हौसला दिया और पेपर खुलवाने को कहा है राहुल बताते है कि मुझसे ज्यादा उदित को उम्मीद है कि मेरे 9 नम्बर बढ़ सकते है और मुझे मेरिट में स्थान मिल सकता है , बता दे की बारहवीं में राहुल 9 नम्बर से मेरिट में स्थान बनाने से चुके है ।




Conclusion:परिवार में थी शादी , शिक्षक के घर रहकर दी परीक्षा
बारहवीं में बोर्ड परीक्षा के दौरान राहुल के परिवार में शादी थी , जिससे उन्हें परीक्षा में असर पड़ने का डर था , इसलिए राहुल ने अपने शिक्षक नायक सर से मदद मांगी और शिक्षक ने राहुल को अपने घर लेजाकर वही रहकर परीक्षा देने को कहा , जिस पर राहुल ने पूरी परीक्षा शिक्षक के घर पर रहकर ही दी। खाना , पढ़ना सब शिक्षक के घर पर ही किया ।

बाइट- श्रवण कुमार सरपंच गिरहोला

1 2 1 राहुल साहू
Last Updated : May 12, 2019, 11:44 PM IST
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