कांकेर : मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में उड़ान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान होती है. ये कहानी गांव के उस गरीब बच्चे की है, जिसने अपने भविष्य पर कभी भी गरीबी को हावी नहीं होने दिया. अपनी मेहनत, लगन, हौसले और गांव वालों के सहयोग से 12वीं में 92 प्रतिशत अंक लाकर जिले में तीसरा स्थान हासिल किया है. अब वह डॉक्टर बनकर गांव वालों की मदद करना चाहता हैं.
हम जिस होनहार छात्र की बात कर रहे हैं, उसका नाम राहुल है. वह चारामा ब्लॉक के गिरहोला गांव का रहने वाला है, जो गरीबी में अपना जीवन गुजर-बसर कर रहा है. मां मजदूर हैं और मजदूरी से किसी तरह घर का राशन पानी चला रही हैं. उसके पिता 9 साल पहले ही परिवार का साथ छोड़ कहीं चल गए, जो आज तक घर वापस नहीं लौटे. इन तमाम परेशानियों के बाद भी राहुल ने हिम्मत नहीं हारी. वह डॉक्टर बनकर अपना सपना पूरा करना चाहता है.
गांव वाले बने राहुल की हिम्मत
राहुल के हौसले को उड़ान देने के लिए पूरा गांव एकजुट होकर उसकी हिम्मत बने. प्राचार्य नासिर खान ने ट्यूशन की फीस दी, तो गांव के सरपंच श्रवण कुमार ने किताबें खरीद कर दी. वहीं गांव के छगन ने अपने बुक स्टोर से फ्री में किताबें-कॉपी और पेन दी. इस तरह सभी गांव वालों की मदद से उसके सपने को उड़ान मिली.
मां को सारी खुशियां देना चाहता है राहुल
राहुल ने कड़ी मेहनत कर 12वीं की परीक्षा दी और जिले में तीसरा स्थान हासिल किया. राहुल का सपना था कि वह मेरिट लिस्ट में अपनी जगह बनाए, लेकिन चंद नंबर से वह चूक गया. राहुल बताता है कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. राहुल ने दसवीं बोर्ड में 96 प्रतिशत अंक हासिल किए थे और एक नंबर से मेरिट में स्थान बनाने से चूक गया था, जिसके बाद उसने ठाना कि 12वीं बोर्ड में मेरिट में स्थान बनाकर रहेगा, लेकिन यहां भी किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया, वो 92.40 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी मेरिट में जगह नहीं बना पाया. अब राहुल डॉक्टर बनकर अपनी मां को सारी खुशियां देना चाहता है.
टॉपर दोस्त ने की हौसला आफजाई
राहुल के दोस्त उदित देवांगन ने मेरिट लिस्ट में स्थान बनाया है और उन्होंने राहुल को पुनर्मूल्यांकन करवाने की सलाह दी है. उदित को राहुल पर भरोसा है कि उसके 9 नंबर बढ़ सकते हैं और उसे मेरिट में जगह मिल सकती है. बता दें की 12वीं में राहुल 9 नम्बर से मेरिट में स्थान बनाने से वंचित रह गए हैं.