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कांकेर: परलकोट जलाशय के जिर्णोंधार की राह देख रहे स्थानीय

परलकोट जलाशय लंबे वक्त से प्रशासन की अनदेखी का शिकार है. यहां के किसान आने वाले वक्त को लेकर चिंतित हैं.

Parlakot reservoir gates broken farmers worried in kanker
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Published : Nov 23, 2019, 1:59 PM IST

कांकेर: देखभाल की कमी, प्रशासन की लापरवाही और विभाग की लचर व्यवस्था का सबसे बड़ा उदाहरण परलकोट जलाशय है. जिले की दूसरी सबसे बड़ी और एक वक्त प्रदेश भर में पर्यटन की दृष्टी से देखे जाने वाली परलकोट जलाशय के हलात बेहद खराब है. बांध की टूटी गेट से दिन-रात पानी बर्बाद हो रहा है. जिससे यहां के किसानों की चिंता बढ़ गई है.

परलकोट जलाशय के जिर्णोंधार की राह देख रहे स्थानीय

परलकोट जलाशय का इतिहास
विभाजन से पहले मध्य प्रदेश सरकार ने 9717 हेक्टेयर भूमि पर 5 करोड़ 46 लाख रुपये की लागत से 1966 में सेटेलमेंट के दौरान दंडकारण्य प्रोजेक्ट के तहत शुरू की थी. 15 साल तक लगातार कड़ी मेहनत के बाद हजारों मजदूरों ने बनाया था.

वर्ष 1981 में परलकोट जलाशय का उद्घाटन किया गया था. जलाश्य के निचले हिस्से में हजारों हेक्टेयर जमीन पर स्टॉफ क्वार्टर, गार्डन और अस्पताल के साथ उच्च अधिकारियों और नेताओं के लिए विश्राम गृह बनाया गया था. प्राकृतिक सौंदर्य और बनाये गए गार्डन स्टॉफ कॉलोनी और व्यवस्थित सजावट परलकोट क्षेत्र के मनमोहक पर्यटन स्थल था. जिसे देखने लोग दूर-दूर से आते थे.

इलाके के किसान चिंतित
परलकोट में 133 गांव मतलब लाखों की संख्या में लोगों को बसाया गया था, हर परिवार को जीवन यापन के लिए शासन ने 5/6 एकड़ जमीन दिया था. उक्त जमीन पर फसल उगाकर अपने परिवार की भरण पोषण के लिए प्रशासन ने परलकोट जलाशय का निर्माण किया, ताकि जलाशय की पानी से रबी और खरीफ फसलों की सिंचाई कर अच्छी पैदावार लिया जा सके, लेकिन आज स्थिति बदल गई है, और पानी की समस्या को देखते हुए किसान चिंतित हैं.

पढ़ें : CM बनने के लिए तैयार हुए उद्धव ठाकरे, संजय राउत ने की पुष्टि

पसरा है सन्नाटा
एक वक्त जिस परलकोट में लोगों का हूजूम होता था, आज वहां सन्नाटा पसरा रहता है. डैम के गेट टूट चूके हैं. स्टॉफ क्वॉर्टर खाली हो गए हैं. इसकी मरम्मत के लिए भेजे गए बजट को रिजेक्ट कर दिया गया है. इससे साफ है कि प्रशासन का अब भी परलकोट के जिर्णोंधार के मूड में नही है.

कांकेर: देखभाल की कमी, प्रशासन की लापरवाही और विभाग की लचर व्यवस्था का सबसे बड़ा उदाहरण परलकोट जलाशय है. जिले की दूसरी सबसे बड़ी और एक वक्त प्रदेश भर में पर्यटन की दृष्टी से देखे जाने वाली परलकोट जलाशय के हलात बेहद खराब है. बांध की टूटी गेट से दिन-रात पानी बर्बाद हो रहा है. जिससे यहां के किसानों की चिंता बढ़ गई है.

परलकोट जलाशय के जिर्णोंधार की राह देख रहे स्थानीय

परलकोट जलाशय का इतिहास
विभाजन से पहले मध्य प्रदेश सरकार ने 9717 हेक्टेयर भूमि पर 5 करोड़ 46 लाख रुपये की लागत से 1966 में सेटेलमेंट के दौरान दंडकारण्य प्रोजेक्ट के तहत शुरू की थी. 15 साल तक लगातार कड़ी मेहनत के बाद हजारों मजदूरों ने बनाया था.

वर्ष 1981 में परलकोट जलाशय का उद्घाटन किया गया था. जलाश्य के निचले हिस्से में हजारों हेक्टेयर जमीन पर स्टॉफ क्वार्टर, गार्डन और अस्पताल के साथ उच्च अधिकारियों और नेताओं के लिए विश्राम गृह बनाया गया था. प्राकृतिक सौंदर्य और बनाये गए गार्डन स्टॉफ कॉलोनी और व्यवस्थित सजावट परलकोट क्षेत्र के मनमोहक पर्यटन स्थल था. जिसे देखने लोग दूर-दूर से आते थे.

इलाके के किसान चिंतित
परलकोट में 133 गांव मतलब लाखों की संख्या में लोगों को बसाया गया था, हर परिवार को जीवन यापन के लिए शासन ने 5/6 एकड़ जमीन दिया था. उक्त जमीन पर फसल उगाकर अपने परिवार की भरण पोषण के लिए प्रशासन ने परलकोट जलाशय का निर्माण किया, ताकि जलाशय की पानी से रबी और खरीफ फसलों की सिंचाई कर अच्छी पैदावार लिया जा सके, लेकिन आज स्थिति बदल गई है, और पानी की समस्या को देखते हुए किसान चिंतित हैं.

पढ़ें : CM बनने के लिए तैयार हुए उद्धव ठाकरे, संजय राउत ने की पुष्टि

पसरा है सन्नाटा
एक वक्त जिस परलकोट में लोगों का हूजूम होता था, आज वहां सन्नाटा पसरा रहता है. डैम के गेट टूट चूके हैं. स्टॉफ क्वॉर्टर खाली हो गए हैं. इसकी मरम्मत के लिए भेजे गए बजट को रिजेक्ट कर दिया गया है. इससे साफ है कि प्रशासन का अब भी परलकोट के जिर्णोंधार के मूड में नही है.

Intro:परलकोट जलाशय की खबर दोबार में 5 बाइट,2 वॉक थ्रू एवं 13 विजुअल भेजा हु।Body:ऐंकर - परलकोट जलाशय की अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है दरअसल हम बात कर रहे हैं कांकेर जिले के दूसरे सबसे बड़े जलाशय की,परलकोट जलाशय विभाजन से पहले मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 9717 हेक्टेयर भूमि पर 546 लाख की लागत से वर्ष 1966 में सेटेलमेंट के दौरान दंडकारण्य प्रोजेक्ट के तहत डी एन के द्वारा निर्माण किया शरू किया गया था तथा वर्ष 1981 में जलाशय निर्माण कार्य पूर्ण किया गया था,उस वक्त रोजाना 10 रुपए की रोजी से हजारों मजदूरों द्वारा 15 वर्ष तक लगातार कड़ी मेहनत के बाद निर्माण कार्य वर्ष 1981 में सम्पूर्ण परलकोट जलाशय का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया था,बतादे परलकोट में बंग बंधुओं की 133 गांव यानिकि लाखो की संख्या में लोगों को बसाया गया था एवं हर परिवार को जीवन यापन करने के लिए शासन द्वारा 5/6 एकड़ जमीन दिया गया था उक्त जमीन पर फसल उगाकर अपने परिवार की भरण पोषण के लिए शासन प्रशासन द्वारा परलकोट जलाशय का निर्माण किया था ताकि जलाशय की पानी से रबी एवं खरीफ फसलों को शिचाई कर अच्छा पैदावार किया जा सके।।

बतादे की वर्ष 1981 में परलकोट जलाशय का उद्घाटन किया गया था जलाश्य के निचली हिस्से में हजारों हेक्टेयर जमीन पर सरकारी कर्मचारियों के लिए स्टाफ क्वार्टर एवं गार्डन तथा अस्पताल निर्माण के साथ उच्च अधिकारियों - नेताओं के बिश्राम के लिए सर्वसुविधायुक्त रेस्टहाउस का निर्माण किया गया था जो कि परलकोट क्षेत्र में सबसे पहला सबसे बड़ा शासकीय निर्माण कार्य हुआ था।परलकोट दौरे पर आए हुए सभी अधिकारी कलेक्टर, सी ई ओ एवं सभी बड़े अधिकारी एवं नेता मंत्री परलकोट जलाशय के रेस्ट हाउस में बिश्राम किया करते थे।उस वक्त परलकोट जलाशय का प्राकृतिक सौंदर्य एवं बनाये गए गार्डन स्टाफ कालोनी तथा व्यवस्थित सजावट परलकोट क्षेत्र के मनमोहक पर्यटन स्थल था।रोजाना सैकड़ों लोग परलकोट जलाशय के मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने यहाँ खिंचे चले आते थे।।

जलसंसाधन विभाग की लापरवाही के चलते परलकोट जलाशय का मेंटेनेंस कई वर्षों से नहीं किया गया।जलसंसाधन विभाग के एस डी ओ सिविल इंजीनियर एवं सभी कर्मचारियों ने परलकोट जलाशय पर बना हुआ शासकीय स्टाफ क्वार्टर छोड़ कर कापसी कालोनी में शिफ्ट हो गए और देखते ही देखते परलकोट जलाशय पर बना सशकिय स्टाफ क्वार्टर, रेस्ट हाउस तथा जलाशय के बांध में चढ़ने के लिए बना हुआ सीढ़िया एवं ओवर पुल तथा शिचाई के लिए छोड़े जाने वाले पानी की दो गेट मेंटेनेंस की अभाव में टूटने बिखरने लगे।देख रेख के लिए जलसंसाधन विभाग के सभी कर्मचारी अधिकारी पदस्त तो हैं सरकार इन कर्मचारियों को मोटी पगार के साथ समय समय पर ए री एस भी दे रहे हैं लापरवाह कर्मचारी कभी भी परलकोट जलाशय का मेंटेनेंस भी नहीं कराई है स्थानीय निवासियों ने कहा कि परलकोट जलाशय कभी क्षेत्र में देखने लायक जगह हुआ करता था तब हमेशा चहल पहल हुआ करता था हजारों लोगों की आवागमन होती थी बड़े बड़े दुकानें लगी हुई थी एवं बड़ा बाजार भी हुआ करता था मगर आज वो खुशनुमा माहौल खंडहरों में तब्दील हो गया तथा जलाशय भी दम तोड़ती हुई नजर आ रही हैं।।

परलकोट जलाशय के प्रति शासन एवं विभाग की उदासीनता के कारण क्षेत्र के किसानों की चिंता बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं किसानों का कहना है कि पहले परलकोट जलाशय की पानी से रबी एवं खरीफ फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी शिचाई के लिए मिलता था मगर टूटी हुई नहर के गेट एवं टूटा हुआ नहर से हमेशा चौबिसों घंटे पानी व्यर्थ में वहे जा रहा है संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारी कोई मरम्मत कई वर्षों से नहीं कर रहे हैं जिस वजय से गर्मी के समय पूरा जलाशय सुख जाते हैं और किसानों की मेहनत की फसल आधी अधूरी ही सुक जाते हैं।।

जलसंसाधन विभाग कापसी के एस डी ओ ने कहा 2017 में उनकी पोस्टिंग यहाँ होने के बाद से कई बार विभाग को जलाशय की मेंटेनेंस के लिए लिखित अवगत करवायाद गया है मगर परलकोट जलाशय के नहर एवं बांध तथा रेस्ट हाउस गार्डन की कभी विभाग द्वारा मेंटेनेंस करने के लिए कोई राशि आवंटन नहीं किया गया है जिस कारण से परलकोट जलाशय की मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है।।Conclusion:अव देखने वाली बात ये होगी की डी एन के प्रोजेक्ट परलकोट जलाशय की मेंटेनेंस पर किसान हितेषी भूपेष बघेल की मौजूदा सरकार एवं जलसंसाधन विभाग कितनी रूचि दिखाते हैं या भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता हैं परलकोट जलाशय को,क्योंकि ये एक मात्र जलाशय हैं जहाँ से परलकोट क्षेत्र के किसान हजारों हेक्टेयर जमीनों पर फसल उगाकर अपने परिवार की भरणपोषण करते आ रहे हैं।।

बाइट 01 - रानी हालदार (मजदूर परलकोट जलाशय निर्माण कार्य की सबसे बूढ़ी औरत)

बाइट 02 - चारुलता सन्याशी (निर्माण कार्य के समय हुई थी शादी दूसरी औरत)

बाइट 03 - उत्तम हालदार ग्रामीण(नीले शार्ट पर सफेद कलार)

बाइट 04 - गोपाल बाला ग्रामीण(गले पर काला एवं सफेद रंग का मोती की माला)

बाइट 05 - के.एस.उईके(एस.डी.ओ जलसंसाधन विभाग कापसी)कुर्सी पर बैठा है

वॉक थ्रू रेस्टहाउस परलकोट जलाशय.

वॉक थ्रू परलकोट जलाशय.

रिपोर्टर - देबाशीष बिस्वास पखांजूर 7587849010,6266609661

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