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Successful Train Trial to Tadoki :नक्सली गढ़ में दौड़ेगी छुक छुक गाड़ी, अंतागढ़ से ताड़ोकी तक ट्रेन का ट्रायल - Tadoki

Successful Train Trial to Tadoki छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल इलाके में अब गोलियों की गूंज नहीं बल्कि ट्रेन की सीटी सुनाई देगी. अंतागढ़ के बाद अब ताड़ोकी तक रेलवे ने इंजन का ट्रायल पूरा कर लिया है. ताड़ोकी तक रेल लाइन का विस्तार होने के बाद इस क्षेत्र के लगभग 200 गांवों को फायदा होगा.

Successful Train Trial to Tadoki
नक्सली गढ़ में बजेगी रेल इंजन की सीटी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 24, 2023, 7:04 PM IST

नक्सली गढ़ में दौड़ेगी छुक छुक गाड़ी

कांकेर: अंतागढ़ के बाद अब ट्रेन नक्सल प्रभावित क्षेत्र ताड़ोकी तक जाएगी. इस क्षेत्र में कभी नक्सलियों की गोलियों की गूंज सुनाई दिया करती थी. लेकिन अब जल्द ही ट्रेन चलेगी. ताड़ोकी तक रेल लाइन विस्तार होने के बाद ट्रेन चलने से नारायणपुर से राजधानी रायपुर तक का सफर आसान हो जाएगा. ताड़ोकी क्षेत्र तक रेललाइन बिछने के बाद कोलकाता से कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी की टीम ने रेललाइन का निरीक्षण किया.

रेल मंत्रालय को भेजी गई ट्रायल रिपोर्ट : अंतागढ़ से ताड़ोकी के बीच करीब 17 किमी लंबे रेल ट्रैक में ट्रायल किया गया. ट्रायल की रिपोर्ट बिलासपुर जोन और दिल्ली रेल मंत्रालय को भेजी जाएगी. सब कुछ सही होने पर अंतागढ़ से ताड़ोकी के बीच ट्रेन को हरी झंडी मिलेगी. इसके बाद रायपुर से अंतागढ़ के बीच चलने वाली ट्रेन को ताड़ोकी तक बढ़ाया जाएगा.

रेलवे अधिकारियों ने किया निरीक्षण : रेलवे डीआरएम संजीव कुमार ने बताया कि ट्रायल के लिए कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी कोलकाता और एसीआर की मुख्यालय से टीम आई थी. जिसके साथ मंडल के अधिकारियों ने ट्रैक का निरीक्षण किया. निरीक्षण अभी लगभग कंप्लीट हो चुका है. इसके बाद स्पीड ट्रायल होगा. स्पीड ट्रायल सक्सेसफुली कंप्लीट करने के बाद अधिकारियों की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार रहेगा. फिर गाड़ियां चलाई जाएगी.

'' ताड़ोकी से रावघाट तक कुल 14 किमी तक पटरी बिछना बाकी है. जंगल, पहाड़ी होने के साथ नक्सल संवेदनशील इलाका है. इस वजह से काम काफी चुनौतीपूर्ण है. दो बड़े पुल भी हैं. साल 2025 तक काम पूरा होने का अनुमान लगाया जा रहा है. रावघाट परियोजना अंतर्गत बस्तर संभाग के चार जिले नक्सल प्रभावित हैं. इसके अलावा तीन जिले मैदानी क्षेत्र के हैं. अभी कांकेर, बालोद, दुर्ग और रायपुर आपस में जुड़ चुके हैं.'' संजीव कुमार, डीआरएम

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रेल लाइन शुरु होने से यात्रियों को नहीं होगी परेशानी : ताड़ोकी से नियमित ट्रेन शुरू होने के लिए दो से तीन महीने का इंतजार करना पड़ सकता है. लेकिन इसके शुरू होने के बाद ताड़ोकी के यात्रियों को रायपुर तक रेल में यात्रा करने के लिए मात्र 85 रुपए देने होंगे. मौजूदा समय में रायपुर बस से ताड़ोकी आने के लिए 280 रुपए देने होते हैं. अंतागढ़ से ताड़ोकी तक नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रेलवे ट्रैक बिछ चुका है. ताड़ोकी स्टेशन भी बनकर तैयार है. माह के पहले सप्ताह में इंजन को चलाकर पटरी का ट्रायल किया गया था. आज इंजन और कोच को चलाकर ट्रायल किया गया. बिलासपुर से स्पेशल ट्रेन सुबह 9.30 बजे पहुंची. दोपहर 2 बजे तक ताड़ोकी यार्ड की जांच हुई. दोनों जांच पूरी होने के बाद दोपहर 2 बजे से ट्रेन को स्पीड से चलाकर ट्रैक की जांच की गई.

नक्सली गढ़ में दौड़ेगी छुक छुक गाड़ी

कांकेर: अंतागढ़ के बाद अब ट्रेन नक्सल प्रभावित क्षेत्र ताड़ोकी तक जाएगी. इस क्षेत्र में कभी नक्सलियों की गोलियों की गूंज सुनाई दिया करती थी. लेकिन अब जल्द ही ट्रेन चलेगी. ताड़ोकी तक रेल लाइन विस्तार होने के बाद ट्रेन चलने से नारायणपुर से राजधानी रायपुर तक का सफर आसान हो जाएगा. ताड़ोकी क्षेत्र तक रेललाइन बिछने के बाद कोलकाता से कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी की टीम ने रेललाइन का निरीक्षण किया.

रेल मंत्रालय को भेजी गई ट्रायल रिपोर्ट : अंतागढ़ से ताड़ोकी के बीच करीब 17 किमी लंबे रेल ट्रैक में ट्रायल किया गया. ट्रायल की रिपोर्ट बिलासपुर जोन और दिल्ली रेल मंत्रालय को भेजी जाएगी. सब कुछ सही होने पर अंतागढ़ से ताड़ोकी के बीच ट्रेन को हरी झंडी मिलेगी. इसके बाद रायपुर से अंतागढ़ के बीच चलने वाली ट्रेन को ताड़ोकी तक बढ़ाया जाएगा.

रेलवे अधिकारियों ने किया निरीक्षण : रेलवे डीआरएम संजीव कुमार ने बताया कि ट्रायल के लिए कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी कोलकाता और एसीआर की मुख्यालय से टीम आई थी. जिसके साथ मंडल के अधिकारियों ने ट्रैक का निरीक्षण किया. निरीक्षण अभी लगभग कंप्लीट हो चुका है. इसके बाद स्पीड ट्रायल होगा. स्पीड ट्रायल सक्सेसफुली कंप्लीट करने के बाद अधिकारियों की फाइनल रिपोर्ट का इंतजार रहेगा. फिर गाड़ियां चलाई जाएगी.

'' ताड़ोकी से रावघाट तक कुल 14 किमी तक पटरी बिछना बाकी है. जंगल, पहाड़ी होने के साथ नक्सल संवेदनशील इलाका है. इस वजह से काम काफी चुनौतीपूर्ण है. दो बड़े पुल भी हैं. साल 2025 तक काम पूरा होने का अनुमान लगाया जा रहा है. रावघाट परियोजना अंतर्गत बस्तर संभाग के चार जिले नक्सल प्रभावित हैं. इसके अलावा तीन जिले मैदानी क्षेत्र के हैं. अभी कांकेर, बालोद, दुर्ग और रायपुर आपस में जुड़ चुके हैं.'' संजीव कुमार, डीआरएम

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