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कांकेर: बैंक मैनेजर की लापरवाही से किसान परेशान, बोनस के पैसे निकालने में हो रही दिक्कत - कोरोना से राहत की राशि

धान के बोनस की दूसरी किस्त किसानों के बैंक खाते में डाली गई. कोरोना के राहत कार्य के लिए भी किसानों और गरीबों के बैंक खाते में राशि डाली गई है, लेकिन उन्हें ये राशि निकालने में समस्या हो रही है.

Farmers sitting outside the bank
बैंक के बाहर बैठे किसान
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Published : Aug 28, 2020, 1:10 PM IST

Updated : Aug 28, 2020, 1:20 PM IST

कांकेर: जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बांदे के बैंक मैनेजर की लापरवाही से किसान परेशान हैं. धान के बोनस की दूसरी किस्त किसानों के खाते में डाली गई है, लेकिन किसानों को अब तक रुपए मिल नहीं पाए हैं. किसान रोजाना 30 से 35 किलोमीटर दूर बरसात में भीगते हुए बैंक आते हैं, लेकिन बैंक मैनेजर की लापरवाही की वजह से पैसा नहीं मिल पाता है.

बैंक के बाहर खड़े किसान
बैंक के बाहर खड़े किसान

राज्य सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के दिन धान के बोनस की दूसरी किस्त किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की थी. कोरोना के राहत कार्य के लिए भी किसानों और गरीबों के बैंक खाते में राशि डाली गई है. किसान बताते हैं कि बारिश के समय में धान और मक्के की खेती के लिए कीटनाशक दवा समेत कई चीजों की जरूरत पड़ती है, लेकिन बैंक की लापरवाही की वजह से वे खेती का सामान नहीं खरीद पा रहे हैं.

घंटों करना पड़ता है इंतजार

भारी बारिश में कई नदी-नालों को पार कर बारिश में भीगते हुए किसान बैंक पहुंचते हैं और अव्यवस्थाओं के कारण 5 से 6 घंटे बैंक में बैठकर मैनेजर का इंतजार करते हैं. किसान बताते हैं कि बैंक के स्टाफ उनसे दुर्व्यवहार करते हैं. शुक्रवार की सुबह भी किसानों के साथ दुर्व्यवहार किया गया था. इस पर बैंक मैनेजर ने सफाई देते हुए कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं.

मैनेजर ने मांगी माफी

बैंक परिसर में किसानों के बैठने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित बांदे शाखा के मैनेजर ने बताया कि बैंक में बांटे जाने वाले रुपए को पखांजूर स्टेट बैंक से बांदे शाखा तक ले जाने में दोपहर बीत जाता है. मैनेजर ने बैंककर्मियों के दुर्व्यवहार पर माफी भी मांगी है.

कांकेर: जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बांदे के बैंक मैनेजर की लापरवाही से किसान परेशान हैं. धान के बोनस की दूसरी किस्त किसानों के खाते में डाली गई है, लेकिन किसानों को अब तक रुपए मिल नहीं पाए हैं. किसान रोजाना 30 से 35 किलोमीटर दूर बरसात में भीगते हुए बैंक आते हैं, लेकिन बैंक मैनेजर की लापरवाही की वजह से पैसा नहीं मिल पाता है.

बैंक के बाहर खड़े किसान
बैंक के बाहर खड़े किसान

राज्य सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के दिन धान के बोनस की दूसरी किस्त किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की थी. कोरोना के राहत कार्य के लिए भी किसानों और गरीबों के बैंक खाते में राशि डाली गई है. किसान बताते हैं कि बारिश के समय में धान और मक्के की खेती के लिए कीटनाशक दवा समेत कई चीजों की जरूरत पड़ती है, लेकिन बैंक की लापरवाही की वजह से वे खेती का सामान नहीं खरीद पा रहे हैं.

घंटों करना पड़ता है इंतजार

भारी बारिश में कई नदी-नालों को पार कर बारिश में भीगते हुए किसान बैंक पहुंचते हैं और अव्यवस्थाओं के कारण 5 से 6 घंटे बैंक में बैठकर मैनेजर का इंतजार करते हैं. किसान बताते हैं कि बैंक के स्टाफ उनसे दुर्व्यवहार करते हैं. शुक्रवार की सुबह भी किसानों के साथ दुर्व्यवहार किया गया था. इस पर बैंक मैनेजर ने सफाई देते हुए कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं.

मैनेजर ने मांगी माफी

बैंक परिसर में किसानों के बैठने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित बांदे शाखा के मैनेजर ने बताया कि बैंक में बांटे जाने वाले रुपए को पखांजूर स्टेट बैंक से बांदे शाखा तक ले जाने में दोपहर बीत जाता है. मैनेजर ने बैंककर्मियों के दुर्व्यवहार पर माफी भी मांगी है.

Last Updated : Aug 28, 2020, 1:20 PM IST
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