कांकेर: जिले के अंतागढ़ क्षेत्र में बस्तर का हरा सोना कहे जाने वाले तेंदूपत्ता के संग्रहण काम शुरू हो गया है. जिसमें हितग्राही सुबह-सुबह पहले इसे तोड़ने के लिए निकल जाते हैं और पत्ते तोड़कर 100 पत्ते को बांध कर एक पुडा बनाया जाता है. जिसके बाद शाम के समय इसे फड़ मुंशी के माध्यम से सूखाकर बेच दिया जाता है.
देखने में तो यह काम सहज और सरल लगता है, लेकिन इसे बारीकी से देखा जाए तो, ये हितग्राहियों के लिए दिन भर धूप में रह कर कड़ी मेहनत के दम पर किया जाने वाला काम है. इसके बदले हितग्राहियों को प्रति सैकड़ा पत्ते पर 400 रु शासन की तरफ से दिया जाता है. वहीं शासन राशि देने के बाद बेचे गए पत्तों के अनुसार एक्सट्रा राशि बोनस के तौर पर देता है, जिससे हितग्राहियों को अच्छी खासी आमदनी हो जाती है, इसी राशि को हितग्राही बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
आय का मुख्य जरिया है तेंदूपत्ता
इसे बस्तर का हरा सोना इसलिए कहा जाता है क्योंकि बस्तर वासियों के लिए यह पत्ता सोने के बराबर ही है. बस्तर में आय का मुख्य स्त्रोत ये तेंदूपत्ता है, जिसे बेच कर मिलने वाली पैसे से बस्तर वासियों का जीवन-यापन चलता है. बस्तर वासियों के जीविका का साधन वनसंपदा ही है. इस काम का क्षेत्र वासियों को बेसब्री से इंतजार रहता है. बस्तर के अंदरूनी इलाके में रहने वाले लोग इसी काम के माध्यम से मिलने वाले पैसे से शादी विवाह और घर के लिए आवश्यक वस्तु ला पाते हैं.
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फड़ मुंशी के अनुसार इस साल तेंदूपत्ता तोड़ाई का काम खराब मौसम, बारिश और लॉकडाउन की वजह से लेट शुरू हुआ है. जिसके कारण पत्ते ज्यादा पक गए हैं अगर एक हफ्ते पहले तोड़ाई का काम शुरू होता तो अच्छी गुणवत्ता वाले पत्तों का संग्रहण हो पाता.इसके साथ ही उन्होंने सरकार से तेंदूपत्ता के कीमत को बढ़ाने की मांग की ताकि हितग्राहियों को ज्यादा लाभ मिल सके.