बिलासपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह कोरिया जिले में संदिग्ध जहर के कारण बाघ की मौत के मामले में सोमवार को स्वतः संज्ञान लिया है. कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए कार्यवाही की है. इस संबंध में कोर्ट ने राज्य के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को इस संबंध में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों और कार्रवाई के बारे में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
आठ नवंबर को कोरिया में हुई थी बाघ की मौत: 8 नवंबर शुक्रवार को कोरिया में एक बाघ मृत अवस्था में मिला था. गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के पास एक जंगल में एक वयस्क बाघ मृत पाया गया था. वन अधिकारियों को संदेह था कि उसे जहर देकर मारा गया था. अधिकारियों ने कहा कि बाघ के विसरा के नमूने मौत के कारण का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला जांच के लिए भेजे गए थे. इस घटना पर मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट का संज्ञान लिया, और कहा कि वर्तमान जनहित याचिका स्वतः संज्ञान लेते हुए दर्ज की गई है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस समाचार को पढ़ने से पता चलता है कि शव उसी स्थान पर मिला है, जहां जून 2022 में बाघ का शिकार हुआ था.
10 दिन के अंदर हलफनामा दाखिल करने के आदेश : हालांकि बाघ की मौत का मामला जहर के कारण होने का संदेह था, लेकिन चूंकि पास में एक आधा खाया हुआ भैंसा पड़ा था, इसलिए इसे बदला लेने के लिए हत्या माना जा रहा है. अदालत ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, वन्यजीवों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और क्या कार्रवाई की गई है. इस बारे में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए आदेश दिया गया है. यह आदेश छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त मुख्य सचिव को दिया गया है. उन्हें 10 दिन के अंदर हलफनामा दाखिल करना होगा.
SOURCE- PTI