ETV Bharat / state

अपनी प्यास ऐसे बुझा सकते हैं आप, इन परिवारों की सुन लो सरकार

आज भी यहां के लोगों को पानी कि सुविधा नहीं है. यहां के ग्रामीणों ने आवेदन दे-दे कर थक चुके हैं, अब ग्रामीण खुद ही लकड़ी का पुल बना कर अपना काम चला रहे हैं.

पानी कि समस्या
author img

By

Published : Mar 28, 2019, 10:55 PM IST

भानुप्रतापपुर: इन तस्वीरों को देखकर कलेजा मुंह को आ गया न. अगर यहीं जिंदगी सियासी लोगों को जीनी पड़े तो. ये तस्वीरें विकासखंड से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर घोठा ग्राम पंचायत की. यहां करीब 25 आदिवासी परिवारों को पीने के लिए साफ पानी तक नसीब नहीं है. वे मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं.

गांव में 2 हैंड पंप है, जिससे आयरन युक्त खराब पानी निकलता है. ग्रामीण इस पानी के उपयोग से गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में इनका सहारा केवल ये झिरिया का पानी होता है.

मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर हैं यहां के ग्रामीण

आयरन युक्त है यहां का पानी
ग्रामीणों ने बताया कि, पहले हम इस पानी को हैंडपंप के पानी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन भोजन में उपयोग करने पर भोजन भी खराब हो जाता था. जिसके बाद झरिया का पानी खाना बनाने के लिए भी इस्तेमाल करते है.

ग्रामीणों ने खुद बना लिया लकड़ी का पूल
एक तरफ विकास के दावे करते सरकारें नहीं थक रही हैं, तो वहीं हर कोई अपने-अपने क्षेत्र के विकास की गाथा गा रहा है. लेकिन जब क्षेत्र के अंदरूनी इलाको में पहुंचिए तो हकीकत साफ नजर आती है. यहां के ग्रामीणों का कहना है कि, सालों से पु ल की मांग कर रहे हैं, विधायक हो या कलेक्टर, सांसद, जन प्रतिनिधि को आवेदन दे-दे कर थक चुके हैं, अब ग्रामीण खुद ही लकड़ी का पुल बना कर अपना काम चला रहे हैं.


भानुप्रतापपुर: इन तस्वीरों को देखकर कलेजा मुंह को आ गया न. अगर यहीं जिंदगी सियासी लोगों को जीनी पड़े तो. ये तस्वीरें विकासखंड से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर घोठा ग्राम पंचायत की. यहां करीब 25 आदिवासी परिवारों को पीने के लिए साफ पानी तक नसीब नहीं है. वे मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं.

गांव में 2 हैंड पंप है, जिससे आयरन युक्त खराब पानी निकलता है. ग्रामीण इस पानी के उपयोग से गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में इनका सहारा केवल ये झिरिया का पानी होता है.

मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर हैं यहां के ग्रामीण

आयरन युक्त है यहां का पानी
ग्रामीणों ने बताया कि, पहले हम इस पानी को हैंडपंप के पानी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन भोजन में उपयोग करने पर भोजन भी खराब हो जाता था. जिसके बाद झरिया का पानी खाना बनाने के लिए भी इस्तेमाल करते है.

ग्रामीणों ने खुद बना लिया लकड़ी का पूल
एक तरफ विकास के दावे करते सरकारें नहीं थक रही हैं, तो वहीं हर कोई अपने-अपने क्षेत्र के विकास की गाथा गा रहा है. लेकिन जब क्षेत्र के अंदरूनी इलाको में पहुंचिए तो हकीकत साफ नजर आती है. यहां के ग्रामीणों का कहना है कि, सालों से पु ल की मांग कर रहे हैं, विधायक हो या कलेक्टर, सांसद, जन प्रतिनिधि को आवेदन दे-दे कर थक चुके हैं, अब ग्रामीण खुद ही लकड़ी का पुल बना कर अपना काम चला रहे हैं.


विकास के दावे की पोल खोलती है ये तस्वीर , आज भी झरिया का पानी पी रहे ग्रामीण 


भानुप्रतापपुर- विकासखंड से महज दस किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत घोठा में 23 से 24  आदिवासी परिवार आज भी मूलभूत सुविधाओं से वांछित है।


जी हां हम बात कर रहे है भानुप्रतापपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत घोठा के आश्रित पारा डोंगरीपारा की जहाँ आज भी 22 से 23 परिवार झरिया का पानी पी रहे गांव में 2 हैंड पंप है जिससे खराब पानी आयरन युक्त निकलती है जिससे ग्रामीण उस पानी का उपयोग खाने पीने में नही करते वही ग्रामीणों ने बताया कि पहले हम इस पानी को हैंडपंप के पानी का इस्तेमाल करते थे लेकिन भोजन में उपयोग करने पर भोजन भी खराब हो जाता था जिसके बाद झरिया का पानी भोजन के लिए भी इस्तेमाल करते है। एक तरफ विकास के दावे करते सरकारे नही थकती हर कोई अपने अपने क्षेत्र के विकास की गाथा गा रहा है , लेकिन जब क्षेत्र के अंदरूनी इलाको में पहुँचो तो हकीकत नज़र आती है। 


पूल की मांग करते भी थके ,जुगाड़ के पूल से चल रहा काम 

वहीं ग्रामीणों का कहना है गांव तक आने नदी पर पूल की वर्षो से मांग की जा रही है  बार-बार विधायक कलेक्टर सांसद जन प्रतिनिधि को आवेदन दे दे कर थक गए लेकिन आज तक   पूल नही बन सका  जिससे ग्रामीण खुद ही लकड़ी के पूल बना अपना काम चल रहे है ।



रिपोर्टर- जावेद खान भानुप्रतापपुर संवाददाता जिला कांकेर

बाईट - ग्रामीण 

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.