भानुप्रतापपुर: इन तस्वीरों को देखकर कलेजा मुंह को आ गया न. अगर यहीं जिंदगी सियासी लोगों को जीनी पड़े तो. ये तस्वीरें विकासखंड से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर घोठा ग्राम पंचायत की. यहां करीब 25 आदिवासी परिवारों को पीने के लिए साफ पानी तक नसीब नहीं है. वे मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं.
गांव में 2 हैंड पंप है, जिससे आयरन युक्त खराब पानी निकलता है. ग्रामीण इस पानी के उपयोग से गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में इनका सहारा केवल ये झिरिया का पानी होता है.
आयरन युक्त है यहां का पानी
ग्रामीणों ने बताया कि, पहले हम इस पानी को हैंडपंप के पानी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन भोजन में उपयोग करने पर भोजन भी खराब हो जाता था. जिसके बाद झरिया का पानी खाना बनाने के लिए भी इस्तेमाल करते है.
ग्रामीणों ने खुद बना लिया लकड़ी का पूल
एक तरफ विकास के दावे करते सरकारें नहीं थक रही हैं, तो वहीं हर कोई अपने-अपने क्षेत्र के विकास की गाथा गा रहा है. लेकिन जब क्षेत्र के अंदरूनी इलाको में पहुंचिए तो हकीकत साफ नजर आती है. यहां के ग्रामीणों का कहना है कि, सालों से पु ल की मांग कर रहे हैं, विधायक हो या कलेक्टर, सांसद, जन प्रतिनिधि को आवेदन दे-दे कर थक चुके हैं, अब ग्रामीण खुद ही लकड़ी का पुल बना कर अपना काम चला रहे हैं.