कवर्धा: अगर आप घूमने के शौकिन हैं, तो चलिए आज हम आपको छत्तीसगढ़ के खूबसूरत पर्यटन स्थलों से रूबरू कराते हैं. दरअसल, छत्तीसगढ़ का कोना-कोना प्राकृतिक सुंदरता अपने अंदर समेटे हुए हैं. प्रदेश में कई झरने, पहाड़, मंदिर ऐसे हैं, जिसके बारे में भले ही कोई न जानता हो, लेकिन वो प्रकृति का अनुपम धरोहर है. छत्तीसगढ़ का कवर्धा जिला, जो कि प्रकृति की गोद में बसा है. यहां मैकल पर्वत, झरना और हजारों साल पुरानी मंदिर के साथ ही जलाशय का दृश्य पर्यटकों का मन मोह लेता है.
कवर्धा में इन जगहों पर जरूर जाएं
छत्तीसगढ़ का खजुराहो है भोरमदेव मंदिर: सबसे पहले हम आपको कवर्धा के पुराने और मशहूर भोरमदेव मंदिर ले चलते हैं. भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के खजुराहों के नाम से मशहूर है. यहां देश के अलग-अलग कोनों से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सैलानी घूमने आते हैं. इस मंदिर को 11वीं सदी में नागवंशी राजाओं ने बनवाया था. मंदिर के अंदर खूबसूरत कलाकृति उकेरी गई है, जिन्हें देखकर पर्यटक आश्चर्य से भर जाते हैं. मंदिर के सामने एक तालाब मौजूद है, जिससे जुड़ी बहुत सी कहानियां सुनने को मिलती हैं. बताया जाता है यह तालाब रहस्यमयी है. इसका पानी कभी नहीं सूखता है. यही वजह है कि इसे देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से यहां आते हैं.
कवर्धा का मैकल पर्वत मोहता है लोगों का मन: कवर्धा में मौजूद मैकल पर्वत भी पर्यटकों का मन मोहता है. मनोरम वादियों के बीच मैकल पर्वत स्थित है. पर्वतों को काट कर बनाए रास्ते से एक तरफ मैकल पर्वत पड़ता है. वहीं, दूसरी ओर ये पर्वत हजारों फिट गहरी खाई के रास्ते से होकर गुजरता है. ये रास्ता मध्यप्रदेश को छत्तीसगढ़ से जोड़ता भी है. ग्राम चिल्फी से 5 किलोमीटर दूर सरोधादादर मौजूद है. यहां सैलानियों के ठहरने के लिए होटल भी है. इन होटलों में देश और विदेश के पर्यटक आते हैं और छत्तीसगढ़ी व्यंजन का लुत्फ उठाते हैं. मैकल पर्वत पर स्थित सरोधादादर को निहारने पर मैकल पर्वत की चोटियां और हरियाली ऐसी लगती है मानों पर्वत को हरे मखमली चादर से ढक दिया गया हो. यहां से सुबह-शाम उगते और डूबते हुए सूरज के दृश्य को देखना एक अलग ही अनुभव है. सरोधा दादर से कुछ ही दूरी पर एक छोटा सा गांव है. इस गांव को पीड़ा घाट के नाम से जाना जाता है. यहां वन विभाग ने 40 फीट ऊंचा एक टॉवर बनाया है. जिसे देखने पर मैकल पर्वत छोटा नजर आता है.
दुरदुरी और रानी देहरा झरना का नजारा अद्भुत: कवर्धा में कई झरने भी हैं. जिले का दुरदुरी झरना और रानी देहरा झरना काफी मनोरम हैं. इन झरनों से 90 फीट की उंचाई से पानी जमीन पर गिरता है. झरने से गिरता हुआ पानी का नजारा अद्भुत होता है. साथ ही झरने से निकलने वाली झर-झर की आवाज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. जिले में ऐसे कई झरने हैं, जहां अब तक जिला प्रशासन भी नहीं पहुंच पाई है.
कवर्धा के भोरमदेव अभ्यारण में मौजूद कई वन्यप्राणी: कवर्धा में भोरमदेव अभ्यारण भी मौजूद है. यहां कई तरह के जानवर आसानी से देखे जा सकते हैं. यहां प्रशासन कॉरीडोर भी बनाया गया है. सैलानी यहां जंगलों का नजारा देखने जाते हैं, इस जंगल में हिरण, भालू, तेंदुआ, बाघ, वन भैंसा, खरगोश मोर जैसे कई प्रजाति के वन्यप्राणियों को पर्यटक बेहद ही करीब से निहारते हैं.
तीन ओर से पर्वतों से घिरा सरोदा बांध: वही मैकल पर्वत के बीच झरनों के साथ ही सरोदा बांध भी मौजूद है. यह बांध तीनों ओर से पर्वतों से घिरा हुआ है. इसके साथ ही इसके सामने एक खूबसूरत गार्डन भी है. यहां आने वाले सैलानी बांध का देखने के बाद अपनी थकान भूल जाते हैं. यहां पर बच्चों के मनोरंजन के अनेकों खेल सामग्री भी मौजूद हैं.
बता दें कि ऐसे कई पर्यटन स्थल कवर्धा ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में मौजूद हैं. लेकिन प्रशासन की पहल न होने से यहां विकास कार्य नहीं हो पाया है. कई प्राकृतिक सुंदरता को और भी मेंटनेंस की जरूरत है. हालांकि वो क्षेत्र या तो पहुंच वीहिन है या फिर सरकार की नजर उन खूबसूरती तक नहीं पहुंच पा रही है. लेकिन जीतने भी धरोहर लोगों की जानकारी में हैं, वहां आने के बाद सैलानी वापस बार-बार आना चाहते हैं.