कवर्धा: पंडरिया ब्लॉक में गुरुवार को भी देवउठनी एकादशी मनाई गई. इसे हरि उठनी या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है. एकादशी पर्व को लेकर बाजारों में गन्ने की डिमांड भी खूब रही. चौक चौराहों पर गन्ने की दुकन भी लगाई गई थी.
चार महीने बाद उठते हैं भगवान
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद नींद से उठते हैं. कार्तिक शुक्ल पक्ष के इस पावन पर्व पर तुलसी जी की भी पूजा की जाती है. शालिग्राम भगवान से उनका विवाह किया जाता है. कहा जाता है कि इस एकादशी व्रत से अश्वमेध यज्ञ जैसे सैकड़ों यज्ञ के फलों की प्राप्ति होती है.
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किसानों ने की गन्ने की थान की पूजा
विष्णु जी की पूजा नए गुड़, शकरकंद, गन्ने आदि से भोग लगाकर की गई. कुछ लोग ने निर्जला व्रत भी रखा. इसके साथ ही किसानों ने अपने खेत में गन्ने के थान की पूजा कर सुख समृद्धि की कामना की.
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त्योहार में बदलाव
समय के साथ इस पर्व में बदलाव होने लगा है. पहले धनतेरस से देव दीपावली तक (करीब 18 दिन) रोज आंगन में रंगोली बनाने के साथ दीये जलाए जाते थे. अब काम की व्यस्तता के चलते लोग दीपावली के पांच दिन, फिर देवउठनी एकादशी पर और फिर कार्तिक पूर्णिमा पर दीपक जलाते हैं. इस तरह ये त्योहार 7 दिनों में ही सिमट कर रह गया है.