कवर्धा/बिलासपुर/दुर्ग: बारिश की लापरवाही इन दिनों हादसों की वजह बनते जा रहे हैं. शनिवार को कवर्धा में करंट की चपेट में आने से जहां एक किसान और 2 भैंसों की मौत हो गई. वहीं एक दिन पहले बिलासपुर में रोड एक्सीडेंट में 18 गौवंश और दुर्ग में खारून नदी में जलकुंभी में फंसकर 17 मवेशियों की मौत हो गई. इन हादसों ने पशुपालकों में डर पैदा कर दिया है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है.
कवर्धा में खेत जोतने के दौरान करंट की चपेट में आया किसान: पहली घटना कबीरधाम जिले के दशरंगपुर चौकी के नवागांव का है. शनिवार को खेत में नागर जोतने के दौरान किसान ओमप्रकाश सिन्हा और उसके दो भैंसों की हाईटेंशन तार की चपेट आने से मौत हो गई. घटना के बाद पूरा गांव खेत किनारे इकट्ठा हो गया. लेकिन खेत के बीच में शव होने के कारण पानी में उतरने की किसी की हिम्मत नहीं हुई. तब गांव के कोटवार ने पुलिस को सूचना दी. दशरंगपुर चौकी प्रभारी सन्ता लकड़ा मौके पर पहुंचे और लोगों को पानी से दूर किया. साथ ही बिजली विभाग के कर्मचारियों को बुलाकर हाईटेंशन तार में करंट सप्लाई बंद कराई. बिजली विभाग के कर्मचारियों की मौजूदगी में शव को खेत से बहार निकला गया. पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है.
बिलासपुर में सड़क पर बैठे 18 गौवंशों को ट्रक ने कुचला: सिरगिट्टी थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत धूमा सिलपहरी नेशनल हाईवे पर शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात सड़क किनारे बैठे गौवंश को अज्ञात तेज रफ्तार ट्रक ने कुचल दिया. दुर्घटना में 18 गौवंशों की मौत हो गई और 3 गंभीर रूप से घायल हो गए. बड़ी संख्या में मृत गौवंशों को देख इलाके के लोग भड़क गए. सूचना पर बिलासपुर गौसेवा धाम के गौसेवकों मौके पर पहुंचे और मृत गौवंशों का कफन दफन और घायल गौवंशों का प्राथमिक उपचार किया. गौसेवक गोपाल कृष्ण रामानुज दास ने अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने के साथ ही गौपालको के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की.
Kawardha News: हाईटेंशन तार की चपेट में आने से पांच मवेशियों की मौत |
Jashpur: मवेशियों से भरी ट्रक पलटी, 12 मवेशियों की मौत |
दंतेवाड़ा में आकाशीय बिजली गिरने से 25 मवेशियों की मौत |
दुर्ग में नदी की जलकुंभी ने ली 17 मवेशियों की जान: दुर्ग जिले के कुम्हारी स्थित खारून नदी में फैले जलकुंभी में फंस कर शुक्रवार को 17 मवेशियों की मौत हो गई. जलकुंभी में फंस जाने की वजह से मवेशी नदी से बाहर नहीं आ पाए. तेज बहाव के कारण मवेशियों का शव घटनास्थल से पांच किलोमीटर दूर अकोला घाट और उसके आसपास तक पहुंचा गया. कुम्हारी में करीब चार साल पहले इसी तरह की घटना में 35 मवेशियों की मौत हुई थी.
बहरहाल तीनों घटनाओं के पीछे कहीं न कहीं बड़ी लापरवाही नजर आई. कहीं प्रशासन जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा तो कहीं पशुपालक. लेकिन इसका खामियाजा बेजुबानों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा.