जशपुर: फरसाबहार विकासखंड के तपकरा रेंज के अंतर्गत जंगली हाथी के हमले (wild elephant attack) से एक ग्रामीण की दर्दनाक मौत हो गई. ग्रामीण श्याम कुमार सुबह करीब 5:30 बजे शौच के लिए अपने घर के पीछे खेत की ओर जा रहा था. इसी दौरान उसका जंगली हाथी से सामना हो गया. जंगली हाथी ( wild elephant) को देखकर श्याम कुमार ने भागने का प्रयास किया. लेकिन वह भाग नहीं पाया. हाथी ने श्याम कुमार को दौड़ाकर कुचल कर मार डाला. जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. सोमवार को भी हाथी ने चलती बाइक से महिला को खींचकर उसकी जान ले ली थी. हाथियों के हमले से हो रही मौतों से ग्रामीणों में दहशत है.
डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव (DFO Shri Krishna Jadhav) ने बताया कि मृतक के परिजनों को तात्कालिक सहायता राशि 25 हजार रुपए दी गई है. शव के पंचनामा की कार्रवाई की जा रही है. जिसके बाद पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को शव सौंप दिया गया है. SDO फॉरेस्ट नवीन निराला ने बताया कि तपकारा वन क्षेत्र में हाथियों का दल घूम रहा हैं. फरसाबहार विकासखंड में हाथी के हमले में ग्रामीण घायल हो गया. उसके भाइयों ने आनन-फानन में घायल व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजन को सौंप दिया जाएगा.
पति संग बाजार जा रही महिला को बाइक से खींच हाथी ने कुचला
सोमवार की सुबह भी तपकरा रेंज में पति के साथ बाइक में बाजार जा रही एक महिला को हाथी ने बाइक से खींच कर मार डाला था. दरअसल गोठान के जंगल में दंपति पर पीछे से हाथी ने हमला कर दिया था. हाथी ने चलती हुई बाइक को खूब दौड़ाया और सूंड में लपेटकर पीछे बैठी महिला को नीचे गिरा दिया. हाथी के इस हमले से बाइक अनियंत्रित होकर गिर गई. जमीन पर गिरी खिज्मती को हाथी ने कुचल कर मार डाला. जबकि मृतका के पति रामकुमार ने मौके से भागकर किसी तरह से जान बचाई.
जशपुर में हाथी के हमले से दो ग्रामीणों की मौत, एक बच्ची घायल
16 महीने में 40 की मौत
जशपुर में पिछले एक सप्ताह में हाथी के हमले में तीन लोगों की जान जा चुकी है. बीते 16 महीने में हाथियों का दल 40 लोगों की जान ले चुका है. बावजूद इसके वन विभाग लोगों को अलर्ट करने के अलावा कुछ नहीं कर रहा है. वन विभाग हाथियों से बचाव के लिए साल भर में करोड़ों रुपये खर्च कर देती है. फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.
ग्रामीणों की मानें तो सबसे अधिक समस्या दल से अलग होकर भटकने वाले लोनर एलिफेंट (हाथी) से होती है. अकेले होने की स्थिति में हाथी और आक्रामक हो जाते हैं. इसके साथ ही इनके हलचल की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है. अकेले होने पर वन विभाग भी इनकी लोकेशन का पता नहीं कर पाता है. ऐसे में इस तरह की घटना बढ़ जाती है.