बस्तर: 20 फरवरी को बस्तर राजपरिवार से आने वाले कमलचंद्र भंजदेव की शादी है. शादी की रस्में राजपरिवार के सदस्यों की ओर से राजमहल में निभाए जा रहे हैं. लंबे अरसे के बाद बस्तर का राजमहल ऐतिहासिक शादी का गवाह फिर से बनने जा रहा है. मां दंतेश्वरी को बस्तर राजघराने और बस्तर की आराध्य देवी माना जाता है. राजघराने में होने वाली शादी में मां दंतेश्वरी की आशीर्वाद रहे इसके लिए समारोह स्थल पर मां मां दंतेश्वरी की छत्र और छ़ड़ी की स्थापना भी की जाएगी. मां दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी ने बताया कि छत्र और छड़ी को विधि विधान से पूजा अर्चना कर भेज दिया गया है.
20 फरवरी को बस्तर राजपरिवार में शादी: बस्तर राजपरिवार में होने वाली शादी को लेकर परंपरा अनुसार सबसे पहले न्योता मां दंतेश्वरी को भेजा गया. मां को निमंत्रण पत्र भेजकर उनसे विवाह की अनुमति ली गई. मां दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी हरेंद्र नाथ जिया ने बताया कि राजपरिवार की ओर से इच्छा जताई गई कि शादी समारोह के दौरान मां की छत्र और छड़ी की स्थापना वहां पर की जाए. जिसके बाद आज मां दंतेश्वरी की विधि विधान से पूजा अर्चना कर माता का छात्र और छड़ी मंदिर प्रांगण बाहर ले जाया गया. इस मौके पर मां के छत्र और छड़ी को पुलिस के जवानों द्वारा सलामी दी गई. सलामी देने के बाद छत्र और छड़ी को मंदिर के पुजारी, सेवादार और12 लंकवारों द्वारा मंदिर चौक जय स्तंभ पर ले जाया गया.
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उनकी इच्छा है कि उनका भी विवाह उनकी मौजूदगी में हो इसके लिए छत्र और छड़ी वहां ले जाया जा रहा है. विवाह संपन्न होने के बाद छत्र को वापस या लाकर विधि विधान से पुन: स्थापित किया जाएगा - हरेंद्र नाथ जिया, पुजारी
नगर छोड़ने की मांगी गई अनुमति: जय स्तंभ पर बौद्ध राज देव के समक्ष मां दंतेश्वरी के नगर छोड़ने की अनुमति ली गई. अनुमति लेने के बाद ढोल नगाड़ों के साथ मां दंतेश्वरी के छत्र और छड़ी को जगदलपुर के लिए रवाना किया गया. मंदिर के पुजारी हरेंद्र नाथ जिया ने बताया कि छत्र और छड़ी ले जाने की पुरानी मान्यता है. मान्यता के अनुसार राज परिवार में जब भी कमलचंद्र भंजदेव का विवाह हो उनके विवाह स्थल पर राज परिवार की कुलदेवी मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी मौजूद रहे. राजपरिवार को मां का आशीर्वाद मिले.