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जशपुर: शिक्षा विभाग के आदेश से निजी स्कूल संचालक नाराज, जाने क्या है मामला

शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए निजी संस्थाओं को शिक्षा सत्र 2020- 21 की निशुल्क पुस्तकों को लाने के लिए खुद के खर्च पर रायगढ़ जाने और पुस्तक लेकर आने के निर्देश दिए हैं. निजी स्कूल संचालकों ने आदेश पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि कोरोना काल में यह एक नई मुसीबत है.

Private school operator angry
निजी स्कूल संचालक नाराज
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Published : Sep 11, 2020, 9:37 PM IST

Updated : Sep 11, 2020, 10:16 PM IST

जशपुर: बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से सभी स्कूल बंद हैं. वहीं अब इन स्कूलों को खोले जाने की तैयारी के साथ ऑनलाइन क्लास लगाई जा रही है. लेकिन इन सब के बीच निजी शैक्षणिक संस्थाओं के लिए एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है. शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए निजी संस्थाओं को शिक्षा सत्र 2020-21 की निशुल्क पुस्तकों को लाने के लिए खुद के खर्च पर रायगढ़ जाने और पुस्तक लेकर आने के निर्देश दिए हैं. जिससे निजी स्कूल संचालकों के सामने कोरोना काल में मुसीबत खड़ी हुई है. शिक्षा अधिकारी ने इसे शासन का निर्देश बताया है.

निजी स्कूल संचालक नाराज

जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी विकासखंड शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि अशासकीय संस्थाओं को शिक्षा सत्र में निशुल्क पाठ्य पुस्तक का कक्षा पहली से दसवीं तक छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम भंडार रायगढ़ में वितरण किया जाएगा. निजी विद्यालयों को वर्ष 2020-21 की मान्यता आदेश और मांग पत्र के साथ जिला शिक्षा कार्यालय में उपस्थित होने के लिए निर्देशित करें. वहीं इस संदर्भ में अशासकीय विद्यालयों के संचालकों का कहना है कि उनके लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है.

पढ़ें: SPECIAL : कहां गए सरकार के दावे, आखिर क्यों रोटी के लिए मजदूर फिर शहरों की ओर भागे

विभाग मुहैया कराए पुस्तक

पिछले साल तक जिला मुख्यालय ही नहीं बल्कि संकुलों के माध्यम से अशासकीय संस्थाओं को पाठ्य पुस्तक वितरण किया जाता था. अशासकीय संस्थाओं के संचालकों के कहना है कि कोरोना संक्रमण के काल में आवागमन कठिन है. वहीं विद्यालयों की आर्थिक स्थिति भी खराब है. संस्थाओं की मांग है कि विभाग ही पाठ्यपुस्तक रायगढ़ से मंगा कर स्कूलों तक पहुंचाए. जशपुर जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों का संचालन कर रहे संस्थाओं को भी किताब विभाग ही पहुंचाए. संस्थान शिक्षा विभाग को सम्मिलित रूप से बराबर शुल्क देने को भी तैयार हैं.

अनियमित तरीके से मिलती हैं किताबें

जिला शिक्षा अधिकारी एन कुजूर ने बताया कि हर वर्ष अनियमित तरीके से किताबें मिलती थीं. जिस कारण आगे समस्या होती थी. ऐसे में शासन स्तर से ही ये व्यवस्था की गई है. इससे पहले पाठ्य पुस्तक निगम ने जिले में ही लाकर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पुस्तकों का वितरण किया था. लेकिन जशपुर में पाठ्यपुस्तक निगम का डिपो नहीं है. बहरहाल कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति दूर भी हो जाए तो भी शैक्षणिक कार्य बिना पुस्तक के नहीं हो पाएंगे. देखना होगा की स्कूल संचालक क्या फैसला लेते हैं.

जशपुर: बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से सभी स्कूल बंद हैं. वहीं अब इन स्कूलों को खोले जाने की तैयारी के साथ ऑनलाइन क्लास लगाई जा रही है. लेकिन इन सब के बीच निजी शैक्षणिक संस्थाओं के लिए एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है. शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए निजी संस्थाओं को शिक्षा सत्र 2020-21 की निशुल्क पुस्तकों को लाने के लिए खुद के खर्च पर रायगढ़ जाने और पुस्तक लेकर आने के निर्देश दिए हैं. जिससे निजी स्कूल संचालकों के सामने कोरोना काल में मुसीबत खड़ी हुई है. शिक्षा अधिकारी ने इसे शासन का निर्देश बताया है.

निजी स्कूल संचालक नाराज

जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी विकासखंड शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि अशासकीय संस्थाओं को शिक्षा सत्र में निशुल्क पाठ्य पुस्तक का कक्षा पहली से दसवीं तक छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम भंडार रायगढ़ में वितरण किया जाएगा. निजी विद्यालयों को वर्ष 2020-21 की मान्यता आदेश और मांग पत्र के साथ जिला शिक्षा कार्यालय में उपस्थित होने के लिए निर्देशित करें. वहीं इस संदर्भ में अशासकीय विद्यालयों के संचालकों का कहना है कि उनके लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है.

पढ़ें: SPECIAL : कहां गए सरकार के दावे, आखिर क्यों रोटी के लिए मजदूर फिर शहरों की ओर भागे

विभाग मुहैया कराए पुस्तक

पिछले साल तक जिला मुख्यालय ही नहीं बल्कि संकुलों के माध्यम से अशासकीय संस्थाओं को पाठ्य पुस्तक वितरण किया जाता था. अशासकीय संस्थाओं के संचालकों के कहना है कि कोरोना संक्रमण के काल में आवागमन कठिन है. वहीं विद्यालयों की आर्थिक स्थिति भी खराब है. संस्थाओं की मांग है कि विभाग ही पाठ्यपुस्तक रायगढ़ से मंगा कर स्कूलों तक पहुंचाए. जशपुर जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों का संचालन कर रहे संस्थाओं को भी किताब विभाग ही पहुंचाए. संस्थान शिक्षा विभाग को सम्मिलित रूप से बराबर शुल्क देने को भी तैयार हैं.

अनियमित तरीके से मिलती हैं किताबें

जिला शिक्षा अधिकारी एन कुजूर ने बताया कि हर वर्ष अनियमित तरीके से किताबें मिलती थीं. जिस कारण आगे समस्या होती थी. ऐसे में शासन स्तर से ही ये व्यवस्था की गई है. इससे पहले पाठ्य पुस्तक निगम ने जिले में ही लाकर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पुस्तकों का वितरण किया था. लेकिन जशपुर में पाठ्यपुस्तक निगम का डिपो नहीं है. बहरहाल कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति दूर भी हो जाए तो भी शैक्षणिक कार्य बिना पुस्तक के नहीं हो पाएंगे. देखना होगा की स्कूल संचालक क्या फैसला लेते हैं.

Last Updated : Sep 11, 2020, 10:16 PM IST
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