जशपुर: 15 साल का वनवास काटकर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में शराबबंदी का वादा किया है. सरकार ने अभी इस तरफ न तो कोई कदम बढ़ाया है और न ही कोई स्पष्ट बयान सामने आया है. एक तरफ जहां भाजपा और जोगी कांग्रेस प्रदेश सरकार को शराबबंदी के मुद्दे पर घेर रहे हैं, तो वहीं एक नेता ऐसा है जिसने आदिवासियों से शराब छुड़वाने के लिए 49 साल से नमक नहीं खाया है.
अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साय ने शराब के खिलाफ 50 साल से मुहिम छेड़ रखी है और इसके लिए 49 साल से नमक नहीं खाया. नंदकुमार साय छात्र जीवन से राजनीति में रहे. 1969 में वे जशपुर के एनईएस महाविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे.
इस दौरान उन्होंने देखा कि शराब की वजह से लोगों की मौत हो रही है. इस लत की वजह से कई परिवार निर्धन हुए जा रहे हैं, दाने-दाने को मोहताज हैं. इसके बाद उन्होंने इस दिशा में कुछ करने की ठानी और अन्य कॉलेज के छात्रों की मदद से शराबबंदी के लिए मुहिम छेड़ दी थी. आदिवासियों के साथ साथ अन्य वर्गों में शराब छुड़ाने के लिए वो छात्र जीवन से ही प्रयासरत थे.
नंदकुमार साय ने सुनाई कहानी
साल 1970 में जशपुर के ही एक गांव में बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने शराबबन्दी और शराब छोड़ने के मुद्दे पर नंदकुमार साय से कहा कि आप शराबबंदी के लिए तो काफी मेहनत कर रहे पर ग्रामीण शराब नहीं छोड़ पा रहे.
गांववालों ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति नमक का त्याग कर देता तो उसे आदर्श मानकर सारे ग्रामीण शराब छोड़ देंगे.
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ग्रामीणों ने नंदकुमार साय से कहा कि अगर आप नमक छोड़ दें तो हम भी शराब छोड़ देंगे तब से नंदकुमार साय ने आज तक नमक नहीं खाया और पिछले 49 साल से लगातार शराबबंदी के पक्ष में खड़े हैं.
प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा घोषणापत्र में शामिल शराबबंदी के मुद्दे पर नंदकुमार साय ने कहा कि इसके लिए मन में इरादे मजबूत होने चाहिए.
उन्होंने गुजरात और बिहार में सरकार ने पहल की और आज वहां शराबबंदी पूरी तरह सफल हुई है. साय ने कहा कि अगर सरकार ने शराबबंदी का वादा किया है तो उसे निभाना चाहिए.