बस्तर: बस्तर जिले में खाद की किल्लत से किसान खासा परेशान हैं. इस बीच भाजपा खाद की कमी को लेकर राज्य सरकार को घेरने में लगी हुई (Farmers buying fertilizers at expensive prices in Bastar) है. भाजपा किसान मोर्चा के नेताओं ने आरोप लगाया है कि जिले में खाद की कालाबाजारी जोरों पर है. वही केंद्र सरकार द्वारा 50 फीसद अनुदान पर दिए जाने वाला खाद्य राज्य सरकार के द्वारा सही तरीके से नहीं बांटा जा रहा है.
महंगे दाम में खाद खरीदने को मजबूर किसान: डिमांड के अनुसार सप्लाई न करने का आरोप भी राज्य सरकार पर भाजपा लगा रहे हैं. बस्तर के किसान बुधरु नाग की मानें तो लेम्प्स में केवल यूरिया खाद ही मिला है. डीएपी खाद जो फसलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है, वे किसानों को अब तक उन्हें नहीं मिली है. यही कारण है कि अब किसान प्राइवेट दुकानों की ओर रुख कर रहे हैं. मजबूरन महंगे दामों में खाद की खरीदारी किसानों को करना पड़ रहा है.
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खाद को लेकर दर-दर भटक रहे किसान: इस विषय में सहकारी बैंक के सीईओ ए.के खान का कहना है, "विभाग में जितने खाद का भंडारण हुआ था. उनमें से सभी खाद उन्होंने किसानों को बांट दिया है. लेकिन लगातार बस्तर में खाद की कमी बनी हुई है. यही कारण है कि किसान खाद को लेकर अब दर-दर भटकने को मजबूर हैं. जिले में अब तक 17300 मेट्रिक टन यूरिया का भंडारण किया जा चुका है, जिसमें से 15000 मीट्रिक टन का वितरण किसानों को कर दिया गया है. इसी तरह सुपर फास्फेट 5000 मीट्रिक टन भंडारण किया गया है, जिसमें से 4300 मीट्रिक टन वितरण किया गया है. डीएपी 10,000 मीट्रिक टन का भंडारण हुआ, जिसमें से 9000 मीटर टन का वितरण किया गया. पोटास 3000 टन का भंडारण हुआ, जिसमें से 2000 टन का वितरण किया गया है."