साल 2014 में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदर्श गांव बनाने के लिए एक योजना तैयार कर सभी सांसदों को ऐसा गांव गोद लेने के लिए कहा था जहां के लोग बुनियादी सुविधाओं से दूर हों, जहां सड़क, पानी, बिजली और शिक्षा का स्तर सुधारा जाए. लेकिन बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने तो इस सोच को ही ठेंगा दिखा दिया.
अपने गृह ग्राम के पास का गांव गोद लिया
बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने अपने गृह ग्राम के नजदीक के ही गांव चपका को गोद ले लिया. यहां विकास और साक्षरता की दर पहले से ही अच्छी है. बस्तर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. यहां के तमाम गांव ऐसे हैं जहां के लोगों ने विकास का सूरज नहीं देखा है. बस्तर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां वाकई आदिवासियों के लिए काम करने की जरूरत है.
पीएम मोदी भी ऐसे ही इलाकों में सुविधा और संसाधन मुहैया कराने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना का प्रस्ताव लेकर आए होंगे लेकिन सांसद दिनेश कश्यप साहब ने तो पहले से ही विकसित गांव को अपनी गोद में बिठा लिया.
चपका में पहले ही हुए थे विकास कार्य
आप चपका आइए यहां पर हुआ विकास सड़क से दिखाई देता है. इस गांव की साक्षरता दर अचछी है. साथ ही स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य सुविधा और पेयजल की उचित व्यवस्था गांव में दिखती है. गांव के ग्रामीण भी कह रहे हैं कि उनके गांव चपका में वे सभी सुविधाएं हैं जिसे आदर्श गांव कहा जाए. साथ ही बस्तर सांसद के गृह ग्राम के पास होने की वजह से यहां पहले ही विकास हो चुका है.
गोद लेने के बाद वाटर एटीएम लगवाए और सीसी रोड बनवाई
हालांकि इस गांव को गोद लेने के बाद विकास के नाम पर बस्तर सांसद ने गांव में वाटर एटीएम में सीसी सड़कों का निर्माण जरूर करा दिया है. लेकिन इन सब के बीच ग्रामीणों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी कहे जाने वाले शौचालय का निर्माण आज भी अधूरा पड़ा हुआ है. गांव में ऐसे कई घर हैं जहां शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है. मजबूरन ग्रामीण आज भी शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं.
न शौचालय, न आवास योजना का लाभ
शौचालय के साथ साथ इस गांव के ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान पाने के लिए सांसद से गुहार लगाने को मजबूर हैं. पक्का मकान बनाने के लिए जरूरी सभी मापदंड में उतरने के बावजूद इस गांव के कई ऐसे गरीब परिवार हैं, जिन्हें इस आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा. सांसद ने एक विकसित गांव को गोद लेकर वाहवाही तो लूट ली लेकिन जो काम नहीं हुआ था, कम से कम वो तो करा देते.
क्या कहते हैं सांसद साहब
बस्तर सांसद का कहना है कि यह गांव बस्तर के लिए धार्मिक स्थल के लिए मायने रखता है और बस्तर के ग्रामीणों की इस गांव से आस्था जुड़ी हुई है, इस वजह से उन्होंने इस गांव को गोद लिया गया है. वहीं जब विकसित गांव को गोद लेने के सवाल पर सांसद गोल-मोल जवाब देते नजर आए. हालांकि सांसद ने शौचालय और आवास जैसी मूलभूत सुविधा जल्द ही मुहैया कराने का आश्वासन यहां रहने वाले लोगों को दिया है.
किसी और गांव की हालत सुधार देते
बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप के संसदीय क्षेत्र में लगभग 15 हजार गांव आते हैं. उनमें से कई हजार गांव विकास से कोसों दूर हैं. साथ ही नक्सल इलाके के चलते प्रशासनिक अमला आज तक उन क्षेत्रों में नहीं गया है. हद तो ये है कि जिला प्रशासन की तरफ से सांसद को जिन 40 पिछड़े गांव की लिस्ट दी गई थी, उनमें ये गांव शामिल ही नहीं था.
साहब ने नियम-निर्देश नहीं माने और अपने मन से चपका को गोद ले लिया. अगर कोई ऐसा गांव गोद लेते जो सुविधा के लिए तरस रहा था, तो वहां रहने वालों की और इस रिपोर्ट की तस्वीर कुछ और होती.