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आपके सांसद: विकसित गांव को ही आदर्श बना रहे थे सांसद साहब, जो काम बचा था वही करा लेते - , आदर्श गांव

जगदलपुर: नक्सल प्रभावित बस्तर, इस संसदीय क्षेत्र में 15 हजार गांव आते हैं, जिनमें से 40 की हालत ऐसी है कि कोई बस दशा सुधार दे. ये जिम्मा भी मिला सांसद साहब को कि कोई गांव गोद ले लें और वहां विकास का सूरज चमका दें लेकिन माननीय ने तो ऐसे गांव को अपनी गोद में बिठाया जहां पहले से ही सुविधाओं का चांद चमक रहा था.

बस्तर सांसद दिनेश कश्यप का गृह ग्राम
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Published : Feb 23, 2019, 7:01 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST


साल 2014 में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदर्श गांव बनाने के लिए एक योजना तैयार कर सभी सांसदों को ऐसा गांव गोद लेने के लिए कहा था जहां के लोग बुनियादी सुविधाओं से दूर हों, जहां सड़क, पानी, बिजली और शिक्षा का स्तर सुधारा जाए. लेकिन बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने तो इस सोच को ही ठेंगा दिखा दिया.

वीडियो


अपने गृह ग्राम के पास का गांव गोद लिया
बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने अपने गृह ग्राम के नजदीक के ही गांव चपका को गोद ले लिया. यहां विकास और साक्षरता की दर पहले से ही अच्छी है. बस्तर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. यहां के तमाम गांव ऐसे हैं जहां के लोगों ने विकास का सूरज नहीं देखा है. बस्तर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां वाकई आदिवासियों के लिए काम करने की जरूरत है.


पीएम मोदी भी ऐसे ही इलाकों में सुविधा और संसाधन मुहैया कराने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना का प्रस्ताव लेकर आए होंगे लेकिन सांसद दिनेश कश्यप साहब ने तो पहले से ही विकसित गांव को अपनी गोद में बिठा लिया.


चपका में पहले ही हुए थे विकास कार्य
आप चपका आइए यहां पर हुआ विकास सड़क से दिखाई देता है. इस गांव की साक्षरता दर अचछी है. साथ ही स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य सुविधा और पेयजल की उचित व्यवस्था गांव में दिखती है. गांव के ग्रामीण भी कह रहे हैं कि उनके गांव चपका में वे सभी सुविधाएं हैं जिसे आदर्श गांव कहा जाए. साथ ही बस्तर सांसद के गृह ग्राम के पास होने की वजह से यहां पहले ही विकास हो चुका है.

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गोद लेने के बाद वाटर एटीएम लगवाए और सीसी रोड बनवाई
हालांकि इस गांव को गोद लेने के बाद विकास के नाम पर बस्तर सांसद ने गांव में वाटर एटीएम में सीसी सड़कों का निर्माण जरूर करा दिया है. लेकिन इन सब के बीच ग्रामीणों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी कहे जाने वाले शौचालय का निर्माण आज भी अधूरा पड़ा हुआ है. गांव में ऐसे कई घर हैं जहां शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है. मजबूरन ग्रामीण आज भी शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं.


न शौचालय, न आवास योजना का लाभ
शौचालय के साथ साथ इस गांव के ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान पाने के लिए सांसद से गुहार लगाने को मजबूर हैं. पक्का मकान बनाने के लिए जरूरी सभी मापदंड में उतरने के बावजूद इस गांव के कई ऐसे गरीब परिवार हैं, जिन्हें इस आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा. सांसद ने एक विकसित गांव को गोद लेकर वाहवाही तो लूट ली लेकिन जो काम नहीं हुआ था, कम से कम वो तो करा देते.

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क्या कहते हैं सांसद साहब
बस्तर सांसद का कहना है कि यह गांव बस्तर के लिए धार्मिक स्थल के लिए मायने रखता है और बस्तर के ग्रामीणों की इस गांव से आस्था जुड़ी हुई है, इस वजह से उन्होंने इस गांव को गोद लिया गया है. वहीं जब विकसित गांव को गोद लेने के सवाल पर सांसद गोल-मोल जवाब देते नजर आए. हालांकि सांसद ने शौचालय और आवास जैसी मूलभूत सुविधा जल्द ही मुहैया कराने का आश्वासन यहां रहने वाले लोगों को दिया है.


किसी और गांव की हालत सुधार देते
बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप के संसदीय क्षेत्र में लगभग 15 हजार गांव आते हैं. उनमें से कई हजार गांव विकास से कोसों दूर हैं. साथ ही नक्सल इलाके के चलते प्रशासनिक अमला आज तक उन क्षेत्रों में नहीं गया है. हद तो ये है कि जिला प्रशासन की तरफ से सांसद को जिन 40 पिछड़े गांव की लिस्ट दी गई थी, उनमें ये गांव शामिल ही नहीं था.

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साहब ने नियम-निर्देश नहीं माने और अपने मन से चपका को गोद ले लिया. अगर कोई ऐसा गांव गोद लेते जो सुविधा के लिए तरस रहा था, तो वहां रहने वालों की और इस रिपोर्ट की तस्वीर कुछ और होती.


साल 2014 में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदर्श गांव बनाने के लिए एक योजना तैयार कर सभी सांसदों को ऐसा गांव गोद लेने के लिए कहा था जहां के लोग बुनियादी सुविधाओं से दूर हों, जहां सड़क, पानी, बिजली और शिक्षा का स्तर सुधारा जाए. लेकिन बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने तो इस सोच को ही ठेंगा दिखा दिया.

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अपने गृह ग्राम के पास का गांव गोद लिया
बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने अपने गृह ग्राम के नजदीक के ही गांव चपका को गोद ले लिया. यहां विकास और साक्षरता की दर पहले से ही अच्छी है. बस्तर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. यहां के तमाम गांव ऐसे हैं जहां के लोगों ने विकास का सूरज नहीं देखा है. बस्तर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां वाकई आदिवासियों के लिए काम करने की जरूरत है.


पीएम मोदी भी ऐसे ही इलाकों में सुविधा और संसाधन मुहैया कराने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना का प्रस्ताव लेकर आए होंगे लेकिन सांसद दिनेश कश्यप साहब ने तो पहले से ही विकसित गांव को अपनी गोद में बिठा लिया.


चपका में पहले ही हुए थे विकास कार्य
आप चपका आइए यहां पर हुआ विकास सड़क से दिखाई देता है. इस गांव की साक्षरता दर अचछी है. साथ ही स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य सुविधा और पेयजल की उचित व्यवस्था गांव में दिखती है. गांव के ग्रामीण भी कह रहे हैं कि उनके गांव चपका में वे सभी सुविधाएं हैं जिसे आदर्श गांव कहा जाए. साथ ही बस्तर सांसद के गृह ग्राम के पास होने की वजह से यहां पहले ही विकास हो चुका है.

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गोद लेने के बाद वाटर एटीएम लगवाए और सीसी रोड बनवाई
हालांकि इस गांव को गोद लेने के बाद विकास के नाम पर बस्तर सांसद ने गांव में वाटर एटीएम में सीसी सड़कों का निर्माण जरूर करा दिया है. लेकिन इन सब के बीच ग्रामीणों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी कहे जाने वाले शौचालय का निर्माण आज भी अधूरा पड़ा हुआ है. गांव में ऐसे कई घर हैं जहां शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है. मजबूरन ग्रामीण आज भी शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं.


न शौचालय, न आवास योजना का लाभ
शौचालय के साथ साथ इस गांव के ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान पाने के लिए सांसद से गुहार लगाने को मजबूर हैं. पक्का मकान बनाने के लिए जरूरी सभी मापदंड में उतरने के बावजूद इस गांव के कई ऐसे गरीब परिवार हैं, जिन्हें इस आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा. सांसद ने एक विकसित गांव को गोद लेकर वाहवाही तो लूट ली लेकिन जो काम नहीं हुआ था, कम से कम वो तो करा देते.

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क्या कहते हैं सांसद साहब
बस्तर सांसद का कहना है कि यह गांव बस्तर के लिए धार्मिक स्थल के लिए मायने रखता है और बस्तर के ग्रामीणों की इस गांव से आस्था जुड़ी हुई है, इस वजह से उन्होंने इस गांव को गोद लिया गया है. वहीं जब विकसित गांव को गोद लेने के सवाल पर सांसद गोल-मोल जवाब देते नजर आए. हालांकि सांसद ने शौचालय और आवास जैसी मूलभूत सुविधा जल्द ही मुहैया कराने का आश्वासन यहां रहने वाले लोगों को दिया है.


किसी और गांव की हालत सुधार देते
बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप के संसदीय क्षेत्र में लगभग 15 हजार गांव आते हैं. उनमें से कई हजार गांव विकास से कोसों दूर हैं. साथ ही नक्सल इलाके के चलते प्रशासनिक अमला आज तक उन क्षेत्रों में नहीं गया है. हद तो ये है कि जिला प्रशासन की तरफ से सांसद को जिन 40 पिछड़े गांव की लिस्ट दी गई थी, उनमें ये गांव शामिल ही नहीं था.

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साहब ने नियम-निर्देश नहीं माने और अपने मन से चपका को गोद ले लिया. अगर कोई ऐसा गांव गोद लेते जो सुविधा के लिए तरस रहा था, तो वहां रहने वालों की और इस रिपोर्ट की तस्वीर कुछ और होती.

Intro:जगदलपुर ।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदर्श गांव बनाने के लिए एक योजना तैयार कर सभी सांसदों को ऐसा गांव गोद लेने के लिए कहा था जहां मूलभूत की समस्या और विकास दिखता ना हो और ऐसे गांव को गोद लेकर सांसद उस गांव को एक आदर्श गांव बनाने में पहल करें । लेकिन देश के प्रधानमंत्री ने जिस मापदंड के तहत योजना बनाई थी ।उसकी परिकल्पना बस्तर सांसद ने नहीं की और अपने गृह ग्राम के नजदीक ही गांव को गोद ले लिया। जहां विकास और साक्षरता का दर काफी ज्यादा है।


Body:वो1- नक्सल प्रभावित बस्तर जहां शासन प्रशासन को विकास करने के लिए दो चार होना पड़ रहा है ।और बस्तर के आदिवासी आज भी विकास के लिए बांट जोट रहे हैं साथ ही उनको मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। इसी समस्याओं को दूर करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछड़े इलाकों में विकास पहुंचे इसके लिए सांसदों को एक- एक गांव गोद लेने के लिए कहा था। लेकिन बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने देश के प्रधानमंत्री के मापदंडों को दरकिनार करते हुए और अपने गृह ग्राम से लगे ग्राम चपका को गोद ले लिया है। जहां विकास सड़क से दिखाई देता है इस गांव की साक्षरता दर काफी ज्यादा है साथ ही स्कूल ,आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य सुविधा और पेयजल की उचित व्यवस्था गांव में दिखती है। गांव के ग्रामीण भी कह रहे हैं कि उनके गांव चपका में वे सभी सुविधाएं हैं जिसे आदर्श गांव कहा जाए। साथ ही बस्तर सांसद के गृह ग्राम से लगे हुए ग्राम के चलते इस गांव का विकास पहले हो चुका है और अन्य गांव की अपेक्षा चपका गांव शिक्षित विकसित गांव कहलाता है।

बाईट1- लखमू,ग्रामीण साईकल में
बाईट2- सोमारू कश्यप, सरपंच पति गाड़ी में बैठे हुए
बाईट3- रुक्मणी बघेल, बैठी हुई महिला


वो 3- हालांकि इस गाँव को गोद लेने के बाद विकास के नाम पर बस्तर सांसद ने गांव में वाटर एटीएम और गाँव के गलियों में सीसी सड़को का निर्माण। कराया है जबकि बाकी विकास कार्य इस गांव में पहले से हो रखे है। लेकिन इन सब के बीच ग्रामीणों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी कहे जाने वाले शौचालय का निर्माण कार्य आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। गाँव मेऐसे कई घर है जहाँ शौचालय का निर्माण नही किया गया है मजबूरन ग्रामीणों को आज भी शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है।

बाईट- कश्यप, बैठी हुई महिला
बाईट- लखमू , ग्रामीण

वो4- शौचालय के साथ साथ इस गांव के ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान पाने के लिए सांसद से गुहार लगाने को मजबूर है। पक्का मकान बनाने के लिए जरूरी सभी मापदंड में उतरने के बावजूद इस गाँव के कई ऐसे गरीब परिवार है जिन्हें इस आवास योजना का लाभ नही मिल पा रहा। सांसद ने एक विकसित गाँव को गोद लेकर अपनी वाह वाही तो लुटा ली लेकिन ईस गांव को गोद लिए आज 4 साल बीत जाने के बावजूद शौचालय आवास जैसे सुविधा के लिए ग्रामीण मोहताज है।

बाईट3-हेमलता, ग्रामीण युवती
बाईट4-,पाणिग्रही, ग्रामीण महिला खड़े हुए बाईट

वो 4 - वहीं बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप के संसदीय क्षेत्र में लगभग 15 हजार गांव आते हैं। उनमें से कई हजार गांव विकास से कोसों दूर हैं। साथ ही नक्सल इलाके के चलते प्रशासनिक अमला आज तक उन क्षेत्रों में नहीं गया है। ऐसे में बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने देश के प्रधानमंत्री के अनुरूप आदर्श गांव बनाने की योजना में पलीता लगा दिया है। और अपने गृह ग्राम से लगे गांव चपका को गोद ले लिया है। बस्तर सांसद का कहना है कि यह गांव बस्तर के लिए धार्मिक स्थल के लिए मायने रखता है और बस्तर के ग्रामीणों की इस गांव से आस्था जुड़ी हुई है ।इस वजह से इस गांव को गोद लिया गया है । वही विकसीत गाँव को गोद लेने के सवाल पर सांसद गोल मोल जवाब देते नजर आए। हालांकि सांसद ने शौचालय और आवाज जैसे मूलभूत सुविधा से जूझ रहे ग्रामीणों को जल्द ही गाँव मे सारी विकास कार्य जल्द ही दुरुस्त कर लेने की बात कह रहे है।

बाईट- दिनेश कश्यप, सांसद बस्तर ( बाईट मेल से भेजी गई है।



Conclusion:वो फाइनल - बरहाल आदर्श ग्राम बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा बस्तर सांसद को 40 पिछड़े गांव की सूची दी गई थी। और उन 40 पिछड़े गांव में इस गांव का नाम शामिल ही नहीं था। ऐसे में बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए नियम निर्देश को दरकिनार कर दिया साथ ही देश के प्रधानमंत्री ने जो आदिवासी इलाकों के लिए सपना देखा था वह सपना शायद अब सपना ही रह जाएगा । या फिर यूं कहें कि प्रधानमंत्री के मापदंड को बस्तर सांसद ने ठेंगा दिखा दिया है।

पीटीसी - अशोक नायडू …..….....
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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