बस्तर: छत्तीसगढ़ पुलिस ने नक्सल प्रभावित बस्तर के लिए बड़ा फैसला लिया है. यहां पूरे संभाग में 250 महिला जवान समेत कुल 2,258 सहायक कांस्टेबलों को कांस्टेबल के रूप में पदोन्नत किया है. अब यह जिला स्ट्राइक फोर्स यानि की डीएसएफ का हिस्सा होंगे. फोर्स की इस नई यूनिट में इन्हें शामिल किया गया है.
सहायक कॉन्स्टेबल में कौन होते हैं शामिल: असिस्टेंट कॉन्स्टेबल में बस्तर के स्थानीय युवकों और युवतियों को शामिल किया जाता है. इसके अलावा सरेंडर करने वाले नक्सलियों को भी इसमें भर्ती किया जाता है. ये सभी जवान नक्सल विरोधी अभियान में बड़ी भूमिका निभाते हैं. लंबे समय से ये सहायक आरक्षक प्रमोशन की मांग कर रहे थे. जिन्हें बुधवार को प्रमोशन की सौगात दी गई. इसके साथ ही इन्हें जिला स्ट्राइक फोर्स (डीएसएफ) में शामिल किया गया. विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार की तरफ से उठाए गए इस कदम की अब चर्चा हो रही है. पुलिस के मुताबिक, बस्तर फाइटर्स, डिस्ट्रिक्ट स्ट्राइक फोर्स और जिला पुलिस के आरक्षकों का वेतनमान एक समान है
"गृह विभाग ने सहायक कांस्टेबलों को कांस्टेबल के रूप में पदोन्नत करने के लिए जिला स्ट्राइक फोर्स कांस्टेबल विभागीय चयन प्रक्रिया आयोजित की. जिसके साथ नई इकाई, डीएसएफ बनाई गई है.बस्तर संभाग के सात जिलों में तैनात सहायक आरक्षकों की स्क्रीनिंग परीक्षा के बाद उनमें से 2,258 का चयन आरक्षक पद के लिए किया गया. प्रक्रिया पूरी करने के बाद 14 अगस्त को 250 महिलाओं सहित 2,258 कर्मियों की सूची जारी की गई. फिर इन्हें डीएसएफ में शामिल किया गया"- सुंदरराज पी, बस्तर आईजी
ऐसे प्रक्रिया हुई पूरी: चयन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, सहायक कांस्टेबलों का सेवा मूल्यांकन इस साल 18 जुलाई से 21 जुलाई के बीच आयोजित किया गया था. जिसके बाद 24 जुलाई से 4 अगस्त के बीच फिटनेस परीक्षण आयोजित की गई थी.
इन जिलों में डीएसएफ जवानों की होगी तैनात
- बीजापुर में 1004
- सुकमा में 445
- दंतेवाड़ा में 206
- नारायणपुर में 199
- कांकेर में 190
- बस्तर में 135
- कोंडागांव में 79 जिला स्ट्राइक फोर्स के जवान होंगे तैनात
सहायक आरक्षक पिछले 12 वर्षों से बस्तर क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में काम कर रहे हैं. राज्य सरकार ने उनके लंबे समय से जारी की गई अपील को पूरा किया है. राज्य पुलिस ने पिछले साल एक विशेष इकाई 'बस्तर फाइटर्स' बनाई थी. फिर उसके बाद 2,100 युवाओं को टास्क फोर्स में भर्ती किया था. जो स्थानीय संस्कृति, भाषा, इलाके से परिचित थे ताकि बस्तर में नक्सलियों को उसकी मांद में घुसकर पस्त किया जा सके.
सोर्स: पीटीआई