बता दें कि देश की आजादी के लिए यहां अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बस्तर में संघर्ष के लिए भूमकाल की शुरुआत की गई थी. भूमकाल यानी जमीन से जुड़े लोगों का आंदोलन. इसी आंदोलन की 109वीं वर्षगांठ के मौके पर भूमकाल के महानायक शहीद गुंडाधुर, डेबरीधुर और अन्य क्रांतिकारियों को बस्तर संभाग से आए हजारों आदिवासियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर शहर में विशाल रैली निकाली गई. इसके बाद शहर के सीरासार परिसर में आदिवासी समाज के अध्यक्षों ने जनसभा को संबोधित किया.
सभा को बताया गैर राजनैतिक
भूमकाल दिवस के संयोजक कुमार जयदेव ने इस सभा को गैर राजनैतिक बताया. उन्होंने कहा कि यह भूमकाल दिवस बस्तर में अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लेने वाले वीर शहीद गुंडाधुर और आदिवासी क्रांतिकारियों के याद में हर साल 10 फरवरी को मनाया जाता है. इस दिन सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन समूचे बस्तर संभाग में किया गया.
गृह ग्राम में स्थापित की जाएगी मूर्ति
भूमकाल दिवस के मौके पर कुमार जयदेव ने घोषणा करते हुए कहा कि अंग्रेजों से लोहा लेने के दौरान शहीद हुए आदिवासी क्रांतिकारियों के सम्मान में अब उनकी मूर्ति उनके गृह ग्राम में स्थापित की जाएगी और यह पूरी तरह से गैर राजनीतिक होगा. इसके लिए उन गांवों के ग्रामीणों के घर से मिट्टी और चंदे के रूप में पैसे लेकर शहीद क्रांतिकारी आदिवासियों की मूर्ति बनवाकर स्थापित की जाएगी.