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SPECIAL: दुनिया के 12 देशों में है बस्तरिया इमली की डिमांड, 20 अरब रुपये का है कारोबार

बस्तर में वनोपज को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार माना जाता है. यहां के ग्रामीणों के लिए वनोपज ही उनकी आजिविका का एकमात्र साधन होता है. अब वन विभाग बस्तर के इन ग्रामीणों से इमली खरीदने की तैयारी कर रहा है.

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Published : Mar 11, 2021, 8:04 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

Bastaria eamli is in demand in 12 countries of the world
बस्तर के इमली की मांग

जगदलपुर: आदिवासी बाहुल्य बस्तर में वनोपज ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार माना जाता है. यहीं वजह है कि बस्तर में 60 फीसदी से अधिक आदिवासी बस्तर की वनोपज पर पूरी तरह से आश्रित है. खासकर बस्तर की इमली की विदेशों में काफी डिमांड है. बस्तर में खट्टी इमली के साथ-साथ मीठी इमली की भी काफी डिमांड है. वन विभाग इसकी खरीददारी करने की तैयारी कर रहा है.

बस्तरिया इमली की मांग

विश्व बाजार में थाईलैंड की मीठी इमली की धाक है, लेकिन अब बस्तर की गुड़हा इमली इसे चुनौती दे रही है. वन विभाग बस्तर की गुड़हा इमली की पैकेजिंग और मार्केटिंग की तैयारी में है. संजीवनी मार्ट के माध्यम से इसे बेचने का भी फैसला लिया गया है.

40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से होगी बिक्री

अभी कुछ दिन पहले बस्तर जिले के दरभा वन परिक्षेत्र के कनकापाल गांव में गुड़हा इमली की पहली खरीदी की गई है. तीन दिवसीय प्रवास पर बस्तर पहुंचे अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक बी. आनंद बाबू ने दरभा रेंज के चिंगीतरई गांव में इसके बारे में जानकारी ली थी. वन विभाग इस परिक्षेत्र के कनकापाल में लगभग 75 किलो गुड़हा इमली की खरीदी कर इस नए कारोबार की शुरुआत की है. बताया जा रहा है कि यह इमली प्रति किलो 40 रु की दर से महिला स्व-सहायता समूह खरीदेगा. इन समूहों को दोगुना कमीशन भी दिया जाएगा. छत्तीसगढ़ वन्यजीव बोर्ड के सदस्य और बस्तर वनोपज के जानकार हेमंत कश्यप बताते हैं बस्तर के लगभग हर गांव में 2 से चार गुड़हा इमली के पेड़ हैं. अब तक इसे सामान्य दर पर ही खरीदा बेचा गया है, लेकिन अब इसकी मार्केटिंग की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है.

Bastaria eamli is in demand in 12 countries of the world
बस्तर की इमली

20 अरब का कारोबार

हेमंत कश्यप कहते हैं, मंडी कार्यालय के मुताबिक बस्तर संभाग में सालाना लगभग 20 अरब रुपये की इमली का कारोबार होता है. बस्तर की इमली खाड़ी देशों के साथ दुनिया के 12 देशों को निर्यात की जाती है. बस्तर में खट्टी और मीठी दोनों इमली मिलती है. मीठी इमली यहां गुड़हा इमली के नाम से चर्चित है. खट्टी इमली की डिमांड हर साल रहती है, लेकिन गुड़हा इमली को आजतक बाजार नहीं मिल पाया है. यहां के लोग लंबे समय से इस इमली की अलग से खरीद-बिक्री की मांग करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके एक वृक्ष से औसतन 3 क्विंटल इमली मिल जाती है.

Bastaria eamli is in demand in 12 countries of the world
इमली खरीदने पहुंचे वन विभाग के अधिकारी

ये बस्तर के युवा हैं, ये अबूझमाड़ की संस्कृति है और यहां बदलाव की तैयारी हो रही है

इमली के पेड़ो को किया जाएगा संरक्षित

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बस्तर में गुड़हा इमली के वृक्षों को चिन्हित कर इन्हें संरक्षित किया जाएगा. इसके बीज से नए पौधे तैयार कर ग्रामीणों को वितरित किए जाएंगे. मीठी इमली के कारोबार को बस्तर में बढ़ाने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है. दरभा ब्लॉक के चिंगीतरई में 10 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर वनोपज कोल्ड स्टोरेज का निर्माण वन विभाग आगामी दिनों में करने जा रहा है.

Bastaria eamli is in demand in 12 countries of the world
इमली

संजीवनी मार्ट के जरिए होगी बिक्री

हेमंत कश्यप ने बताया कि कुछ दिन पहले बस्तर पहुंचे अपर प्रधान मुख्य संरक्षक बी. आनंद बाबू इसी संबंध में चिंगीतरई गांव पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि इन दिनों वन विभाग खट्टी इमली 36 रु प्रति किलो की दर से खरीद रहा है. वहीं मीठी इमली की दर 40 रुपये निर्धारित की गई है. गुड़हा इमली छिलका सहित खरीदी की जाएगी. इसे पैकेजिंग कर छत्तीसगढ़ लघु वनोपज मर्यादित समिति की संजीवनी मार्ट के माध्यम से बेचा जाएगा.

Bastaria eamli is in demand in 12 countries of the world
बस्तर की इमली

इसलिए पड़ा गुड़हा इमली नाम

गुड़हा इमली का नाम ग्रामीणों के स्थानीय बोली में गुड़ जैसे मीठी होने के कारण रखा है. यह इमली बस्तर में पाए जाने वाले अन्य प्रजातियों के इमली से अलग है. हेमंत कश्यप बताते हैं, बस्तर की इमली खट्टी होती है, लेकिन गुड़हा इमली के बीज छोटे और इसका फल काफी मीठा होता है. विदेशों में भी इस इमली की काफी डिमांड है, लेकिन बस्तर में कई सालों से इस इमली की पैदावार हो रही है. बावजूद इसके विभाग इसपर किसी तरह कोई ध्यान और मार्केटिंग नहीं कर रहा था, लेकिन अब बस्तर की गुड़हा इमली विदेशों में भी धूम मचाएगी और इससे न सिर्फ इस इमली के वृक्ष को संरक्षित किया जाएगा, बल्कि इसकी डिमांड से ग्रामीणों को भी अच्छी खासी आय होगी.

जगदलपुर: आदिवासी बाहुल्य बस्तर में वनोपज ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार माना जाता है. यहीं वजह है कि बस्तर में 60 फीसदी से अधिक आदिवासी बस्तर की वनोपज पर पूरी तरह से आश्रित है. खासकर बस्तर की इमली की विदेशों में काफी डिमांड है. बस्तर में खट्टी इमली के साथ-साथ मीठी इमली की भी काफी डिमांड है. वन विभाग इसकी खरीददारी करने की तैयारी कर रहा है.

बस्तरिया इमली की मांग

विश्व बाजार में थाईलैंड की मीठी इमली की धाक है, लेकिन अब बस्तर की गुड़हा इमली इसे चुनौती दे रही है. वन विभाग बस्तर की गुड़हा इमली की पैकेजिंग और मार्केटिंग की तैयारी में है. संजीवनी मार्ट के माध्यम से इसे बेचने का भी फैसला लिया गया है.

40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से होगी बिक्री

अभी कुछ दिन पहले बस्तर जिले के दरभा वन परिक्षेत्र के कनकापाल गांव में गुड़हा इमली की पहली खरीदी की गई है. तीन दिवसीय प्रवास पर बस्तर पहुंचे अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक बी. आनंद बाबू ने दरभा रेंज के चिंगीतरई गांव में इसके बारे में जानकारी ली थी. वन विभाग इस परिक्षेत्र के कनकापाल में लगभग 75 किलो गुड़हा इमली की खरीदी कर इस नए कारोबार की शुरुआत की है. बताया जा रहा है कि यह इमली प्रति किलो 40 रु की दर से महिला स्व-सहायता समूह खरीदेगा. इन समूहों को दोगुना कमीशन भी दिया जाएगा. छत्तीसगढ़ वन्यजीव बोर्ड के सदस्य और बस्तर वनोपज के जानकार हेमंत कश्यप बताते हैं बस्तर के लगभग हर गांव में 2 से चार गुड़हा इमली के पेड़ हैं. अब तक इसे सामान्य दर पर ही खरीदा बेचा गया है, लेकिन अब इसकी मार्केटिंग की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है.

Bastaria eamli is in demand in 12 countries of the world
बस्तर की इमली

20 अरब का कारोबार

हेमंत कश्यप कहते हैं, मंडी कार्यालय के मुताबिक बस्तर संभाग में सालाना लगभग 20 अरब रुपये की इमली का कारोबार होता है. बस्तर की इमली खाड़ी देशों के साथ दुनिया के 12 देशों को निर्यात की जाती है. बस्तर में खट्टी और मीठी दोनों इमली मिलती है. मीठी इमली यहां गुड़हा इमली के नाम से चर्चित है. खट्टी इमली की डिमांड हर साल रहती है, लेकिन गुड़हा इमली को आजतक बाजार नहीं मिल पाया है. यहां के लोग लंबे समय से इस इमली की अलग से खरीद-बिक्री की मांग करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके एक वृक्ष से औसतन 3 क्विंटल इमली मिल जाती है.

Bastaria eamli is in demand in 12 countries of the world
इमली खरीदने पहुंचे वन विभाग के अधिकारी

ये बस्तर के युवा हैं, ये अबूझमाड़ की संस्कृति है और यहां बदलाव की तैयारी हो रही है

इमली के पेड़ो को किया जाएगा संरक्षित

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बस्तर में गुड़हा इमली के वृक्षों को चिन्हित कर इन्हें संरक्षित किया जाएगा. इसके बीज से नए पौधे तैयार कर ग्रामीणों को वितरित किए जाएंगे. मीठी इमली के कारोबार को बस्तर में बढ़ाने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है. दरभा ब्लॉक के चिंगीतरई में 10 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर वनोपज कोल्ड स्टोरेज का निर्माण वन विभाग आगामी दिनों में करने जा रहा है.

Bastaria eamli is in demand in 12 countries of the world
इमली

संजीवनी मार्ट के जरिए होगी बिक्री

हेमंत कश्यप ने बताया कि कुछ दिन पहले बस्तर पहुंचे अपर प्रधान मुख्य संरक्षक बी. आनंद बाबू इसी संबंध में चिंगीतरई गांव पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि इन दिनों वन विभाग खट्टी इमली 36 रु प्रति किलो की दर से खरीद रहा है. वहीं मीठी इमली की दर 40 रुपये निर्धारित की गई है. गुड़हा इमली छिलका सहित खरीदी की जाएगी. इसे पैकेजिंग कर छत्तीसगढ़ लघु वनोपज मर्यादित समिति की संजीवनी मार्ट के माध्यम से बेचा जाएगा.

Bastaria eamli is in demand in 12 countries of the world
बस्तर की इमली

इसलिए पड़ा गुड़हा इमली नाम

गुड़हा इमली का नाम ग्रामीणों के स्थानीय बोली में गुड़ जैसे मीठी होने के कारण रखा है. यह इमली बस्तर में पाए जाने वाले अन्य प्रजातियों के इमली से अलग है. हेमंत कश्यप बताते हैं, बस्तर की इमली खट्टी होती है, लेकिन गुड़हा इमली के बीज छोटे और इसका फल काफी मीठा होता है. विदेशों में भी इस इमली की काफी डिमांड है, लेकिन बस्तर में कई सालों से इस इमली की पैदावार हो रही है. बावजूद इसके विभाग इसपर किसी तरह कोई ध्यान और मार्केटिंग नहीं कर रहा था, लेकिन अब बस्तर की गुड़हा इमली विदेशों में भी धूम मचाएगी और इससे न सिर्फ इस इमली के वृक्ष को संरक्षित किया जाएगा, बल्कि इसकी डिमांड से ग्रामीणों को भी अच्छी खासी आय होगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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