ETV Bharat / bharat

लखीमपुर खीरी केस; आशीष मिश्रा पर गवाहों को प्रभावित करने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से मांगी रिपोर्ट - LAKHIMPUR KHERI CASE

प्रशांत भूषण ने अदालत में कहा-उनके पास ऑडियो रिकॉर्डिंग है जिसमें यह साबित होता है कि मामले के महत्वपूर्ण गवाहों को प्रभावित किया गया है.

LAKHIMPUR KHERI CASE
सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ((ETV Bharat))
author img

By Sumit Saxena

Published : Jan 20, 2025, 4:04 PM IST

नई दिल्ली: सोमवार को, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया, जिसमें 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गवाहों को प्रभावित करने के आरोपों की जांच का आदेश दिया गया था. यह कदम केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ लगे आरोपों के जवाब में आया है, जो इस घटना में मुख्य अभियुक्तों में से एक हैं.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई की. शिकायतकर्ताओं के लिए पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि उनके पास एक ऑडियो रिकॉर्डिंग है जो स्पष्ट रूप से दिखाती है कि मामले में प्रमुख गवाहों को प्रभावित करने के प्रयास किए जा रहे थे. भूषण ने आगे कहा कि मिश्रा ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है, सार्वजनिक बैठकों में भाग लिया है, और जमानत का दुरुपयोग कर रहे हैं.

आशीष मिश्रा के वकील ने आरोपों का किया खंडन
आशीष मिश्रा के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को अनावश्यक रूप से निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि जिस दिन सार्वजनिक बैठक का आरोप लगाया गया था, उस दिन मिश्रा दिल्ली में लोकसभा सचिवालय में थे.

मिश्रा ने हलफनामे के माध्यम से आरोपों से इनकार किया और इस बात पर जोर दिया कि अदालत के समक्ष मामला आने पर हमेशा उनकी जमानत रद्द करने की मांग की जाती है. उन्हें पहले शीर्ष अदालत द्वारा जमानत दी गई थी.

अदालत ने पुलिस को दिया निर्देश
न्यायालय ने कहा कि भूषण कुछ अतिरिक्त सबूतों को रिकॉर्ड में शामिल करना चाहते हैं और कहा कि इस सामग्री की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता की जांच पुलिस द्वारा की जा सकती है. अदालत ने पुलिस को जमानत रद्द करने के अनुरोध में लगाए गए आरोपों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. अपनी रिपोर्ट के बाद, अदालत ने भूषण और दवे को निर्देश दिया कि वे अपनी सामग्री उत्तर प्रदेश सरकार की स्थायी वकील रुचिरा गोयल को सौंप दें, जो इसे लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) को सौंपेंगी.

भूषण ने इस बात पर जोर दिया कि जांच एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए, और एसपी को बहुत बड़ा पद नहीं बताया. दवे ने जवाब दिया कि एसपी जिले में सबसे उच्च पद पर हैं. अदालत ने कहा कि एसपी भी एक वरिष्ठ अधिकारी हैं. भूषण ने आगे कहा कि “वह शायद नशे में होंगे और…,” जिसके बाद दवे ने भूषण के तर्क पर आपत्ति जताई. अदालत ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और कहा कि अब वे सत्ता में नहीं हैं, और हमें पुलिस अधिकारियों में विश्वास रखना चाहिए.

अंततः, शीर्ष अदालत ने एसपी लखीमपुर खीरी को एक तथ्य-खोज जांच के बाद अदालत में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले मिश्रा को जमानत दे दी थी, लेकिन उन्हें दिल्ली या लखनऊ आने-जाने पर रोक लगा दी थी. यह मामला 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में हुई हिंसा से संबंधित है, जहां उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र के दौरे के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान चार किसानों सहित आठ लोगों की जान चली गई थी.

यह भी पढ़ें- अक्षय शिंदे एनकाउंटर मामले में 5 पुलिसवालों पर दर्ज होगी FIR, बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश

नई दिल्ली: सोमवार को, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया, जिसमें 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गवाहों को प्रभावित करने के आरोपों की जांच का आदेश दिया गया था. यह कदम केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ लगे आरोपों के जवाब में आया है, जो इस घटना में मुख्य अभियुक्तों में से एक हैं.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई की. शिकायतकर्ताओं के लिए पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि उनके पास एक ऑडियो रिकॉर्डिंग है जो स्पष्ट रूप से दिखाती है कि मामले में प्रमुख गवाहों को प्रभावित करने के प्रयास किए जा रहे थे. भूषण ने आगे कहा कि मिश्रा ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है, सार्वजनिक बैठकों में भाग लिया है, और जमानत का दुरुपयोग कर रहे हैं.

आशीष मिश्रा के वकील ने आरोपों का किया खंडन
आशीष मिश्रा के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को अनावश्यक रूप से निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि जिस दिन सार्वजनिक बैठक का आरोप लगाया गया था, उस दिन मिश्रा दिल्ली में लोकसभा सचिवालय में थे.

मिश्रा ने हलफनामे के माध्यम से आरोपों से इनकार किया और इस बात पर जोर दिया कि अदालत के समक्ष मामला आने पर हमेशा उनकी जमानत रद्द करने की मांग की जाती है. उन्हें पहले शीर्ष अदालत द्वारा जमानत दी गई थी.

अदालत ने पुलिस को दिया निर्देश
न्यायालय ने कहा कि भूषण कुछ अतिरिक्त सबूतों को रिकॉर्ड में शामिल करना चाहते हैं और कहा कि इस सामग्री की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता की जांच पुलिस द्वारा की जा सकती है. अदालत ने पुलिस को जमानत रद्द करने के अनुरोध में लगाए गए आरोपों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. अपनी रिपोर्ट के बाद, अदालत ने भूषण और दवे को निर्देश दिया कि वे अपनी सामग्री उत्तर प्रदेश सरकार की स्थायी वकील रुचिरा गोयल को सौंप दें, जो इसे लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) को सौंपेंगी.

भूषण ने इस बात पर जोर दिया कि जांच एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए, और एसपी को बहुत बड़ा पद नहीं बताया. दवे ने जवाब दिया कि एसपी जिले में सबसे उच्च पद पर हैं. अदालत ने कहा कि एसपी भी एक वरिष्ठ अधिकारी हैं. भूषण ने आगे कहा कि “वह शायद नशे में होंगे और…,” जिसके बाद दवे ने भूषण के तर्क पर आपत्ति जताई. अदालत ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और कहा कि अब वे सत्ता में नहीं हैं, और हमें पुलिस अधिकारियों में विश्वास रखना चाहिए.

अंततः, शीर्ष अदालत ने एसपी लखीमपुर खीरी को एक तथ्य-खोज जांच के बाद अदालत में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले मिश्रा को जमानत दे दी थी, लेकिन उन्हें दिल्ली या लखनऊ आने-जाने पर रोक लगा दी थी. यह मामला 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में हुई हिंसा से संबंधित है, जहां उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र के दौरे के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान चार किसानों सहित आठ लोगों की जान चली गई थी.

यह भी पढ़ें- अक्षय शिंदे एनकाउंटर मामले में 5 पुलिसवालों पर दर्ज होगी FIR, बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.