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Bastar Dussehra Jogi Bithai Ritual: बस्तर दशहरे की एक और अनोखी रस्म जोगी बिठाई हुई पूरी, जानिए 9 दिनों तक हल्बा जाति का युवक क्यों रहता है निर्जला व्रत - jagdalpur news

Bastar Dussehra Jogi Bithai Ritual बस्तर दशहरे में जोगी बिठाई की रस्म पूरी कर ली गई. पूरे विश्व में मशहूर बस्तर दशहरा में जोगी बिठाई की रस्म बहुत महत्वपूर्ण है. इस रस्म के बिना बस्तर दशहरा पूरा नहीं हो सकता.

Bastar Dussehra Jogi Bithai Ritual
बस्तर दशहरा
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 16, 2023, 7:11 AM IST

Updated : Oct 17, 2023, 1:26 PM IST

बस्तर दशहरा

जगदलपुर: 75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा अपनी अनोखी परंपराओं के लिये विश्वभर में मशहूर है. कई रस्मों के साथ मनाने वाले बस्तर दशहरे की एक और अनूठी व महत्वपूर्ण रस्म, जोगी बिठाई रविवार देर शाम सिरहासार भवन में विधि विधान के साथ निभाई गई.

क्या है जोगी बिठाई रस्म: परंपरानुसार हल्बा जाति का युवक 9 दिनों तक निर्जला उपवास रखकर दंतेश्वरी मंदिर के नजदीक बने सिरहासार भवन के स्थित एक निश्चित स्थान पर तपस्या के लिए बैठता है. इस तपस्या का मुख्य उद्देश्य बस्तर दशहरा पर्व को शांतिपूर्वक व निर्बाध रूप से संपन्न कराना होता है.

जोगी बिठाई रस्म की कहानी: जोगी बिठाई रस्म में जोगी का तात्पर्य योगी से है. इस रस्म से एक किवदंती जुड़ी हुई है. मान्यताओं के अनुसार सालों पहले बस्तर दशहरे के दौरान हल्बा जाति का एक युवक जगदलपुर स्थित महल के नजदीक तप की मुद्रा में निर्जल उपवास पर बैठ गया था. दशहरे के दौरान 9 दिनों तक बिना कुछ खाये पिये मौन अवस्था में युवक के बैठे होने की जानकारी जब तत्कालीन महाराजा को मिली तो स्वयं महाराजा योगी से मिलने उसके पास पहुंचे. योगी से इस तरह तप पर बैठने का कारण पूछा. तब योगी ने जवाब देते हुए बताया कि उसने दशहरा पर्व को निर्विघ्न व शांति पूर्वक रूप से संपन्न कराने के लिये यह तप किया है. जिसके बाद महाराजा खुश हुए और उन्होंने योगी के लिये महल से कुछ ही दूरी पर सिरहासार भवन का निर्माण करवाकर इस परंपरा को आगे बढ़ाये रखने में सहायता की. तब से हर साल इस रस्म में जोगी बनकर हल्बा जाति का युवक 9 दिनों की तपस्या में बैठता है. इस साल इस रस्म को बड़े आमाबाल के युवक रघुनाथ नाग ने निभाया है. जो पिछले 4 सालों से इसे निभाते आ रहे हैं.

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इस परंपरा को राजा महाराजा के जमाने से एक ही गांव के लोग निभाते आ रहे हैं. हमारे पूर्वज पिछले 4 दशक से जोगी बिठाई की रस्म निभाते आ रहे हैं. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पिछले चार से मैं जोगी बिठाई की रस्म पूरा कर रहा हूं. बस्तर दशहरा शांति पूर्वक पूरा हो, बस्तर संभाग के लोग खुशहाली से रहे, इसके लिए बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी से प्रार्थना की जाती है.- रघुनाथ नाग, जोगी

काछनगादी रस्म: जोगी बिठाई रस्म के एक दिन पहले ही काछनगादी रस्म निभाई गई थी. जिसमें बस्तर राज परिवार को दशहरा मनाने और रथ चलाने की अनुमति मिली थी. जिसके बाद सोमवार की शाम से बस्तर दशहरा में प्रमुख आकर्षण का केंद्र विशालकाय रथ को चलाया जायेगा.

बस्तर दशहरा

जगदलपुर: 75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा अपनी अनोखी परंपराओं के लिये विश्वभर में मशहूर है. कई रस्मों के साथ मनाने वाले बस्तर दशहरे की एक और अनूठी व महत्वपूर्ण रस्म, जोगी बिठाई रविवार देर शाम सिरहासार भवन में विधि विधान के साथ निभाई गई.

क्या है जोगी बिठाई रस्म: परंपरानुसार हल्बा जाति का युवक 9 दिनों तक निर्जला उपवास रखकर दंतेश्वरी मंदिर के नजदीक बने सिरहासार भवन के स्थित एक निश्चित स्थान पर तपस्या के लिए बैठता है. इस तपस्या का मुख्य उद्देश्य बस्तर दशहरा पर्व को शांतिपूर्वक व निर्बाध रूप से संपन्न कराना होता है.

जोगी बिठाई रस्म की कहानी: जोगी बिठाई रस्म में जोगी का तात्पर्य योगी से है. इस रस्म से एक किवदंती जुड़ी हुई है. मान्यताओं के अनुसार सालों पहले बस्तर दशहरे के दौरान हल्बा जाति का एक युवक जगदलपुर स्थित महल के नजदीक तप की मुद्रा में निर्जल उपवास पर बैठ गया था. दशहरे के दौरान 9 दिनों तक बिना कुछ खाये पिये मौन अवस्था में युवक के बैठे होने की जानकारी जब तत्कालीन महाराजा को मिली तो स्वयं महाराजा योगी से मिलने उसके पास पहुंचे. योगी से इस तरह तप पर बैठने का कारण पूछा. तब योगी ने जवाब देते हुए बताया कि उसने दशहरा पर्व को निर्विघ्न व शांति पूर्वक रूप से संपन्न कराने के लिये यह तप किया है. जिसके बाद महाराजा खुश हुए और उन्होंने योगी के लिये महल से कुछ ही दूरी पर सिरहासार भवन का निर्माण करवाकर इस परंपरा को आगे बढ़ाये रखने में सहायता की. तब से हर साल इस रस्म में जोगी बनकर हल्बा जाति का युवक 9 दिनों की तपस्या में बैठता है. इस साल इस रस्म को बड़े आमाबाल के युवक रघुनाथ नाग ने निभाया है. जो पिछले 4 सालों से इसे निभाते आ रहे हैं.

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इस परंपरा को राजा महाराजा के जमाने से एक ही गांव के लोग निभाते आ रहे हैं. हमारे पूर्वज पिछले 4 दशक से जोगी बिठाई की रस्म निभाते आ रहे हैं. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पिछले चार से मैं जोगी बिठाई की रस्म पूरा कर रहा हूं. बस्तर दशहरा शांति पूर्वक पूरा हो, बस्तर संभाग के लोग खुशहाली से रहे, इसके लिए बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी से प्रार्थना की जाती है.- रघुनाथ नाग, जोगी

काछनगादी रस्म: जोगी बिठाई रस्म के एक दिन पहले ही काछनगादी रस्म निभाई गई थी. जिसमें बस्तर राज परिवार को दशहरा मनाने और रथ चलाने की अनुमति मिली थी. जिसके बाद सोमवार की शाम से बस्तर दशहरा में प्रमुख आकर्षण का केंद्र विशालकाय रथ को चलाया जायेगा.

Last Updated : Oct 17, 2023, 1:26 PM IST
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