गरियाबंद: पीएचई विभाग की नल जल योजना गरियाबंद के बुर्जाबाहल गांव में अफसरों की लापरवाही की भेंट चढ़ चुकी है. जनता की गाढ़ी कमाई खर्च कर विशाल टंकी बनाई गई थी, जो सफेद हाथी साबित हो रही है.
झिरिया का पानी लाती हैं महिलाएं
इस टंकी के बगल से होकर गांव की महिलाएं तेल नदी में जाकर झरिया बनाकर घर के लिए पानी लाती हैं. दरअसल टंकी का निर्माण तो एक साल पहले ही हो चुका है, लेकिन इसमें पानी भरने के लिए लगाई गई मोटर महज 15 दिन में ही खराब हो गया. इसके बाद से लोगों को पीने का पानी मुहैया कराने के लिए बनाई गई टंकी खुद अभी तक 'प्यासी' है.
हैंडपंप उगल रहे कसयला पानी
गांव के हैंडपंप कसयला पानी उगल रहे हैं, इसकी वजह से गांव की महिलाएं पीने के पानी के लिए तेल नदी में जाकर झरिया खोदकर पानी लाने को मजबूर हैं. ग्रामीणों की नाराजगी के बाद गांव के सरपंच ने कई बार PHE विभाग को इसकी शिकायत की, लेकिन विभाग के किसी अफसर ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.
‘गर्मी के आते ही शुरू हो जाती है किल्लत'
ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करती है. गर्मी के दिन आते ही पीने के पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. कुएं ,बोरिंग ,नदी नाले सब सुख जाते हैं और इसकी वजह से जल का स्तर में लगातार गिरावट होती है. जिसकी वजह से बोर के मालिक बोरवेल की गहराई बढ़ाने की कोशिश करते हैं.
मोटर पंप है खराब
पत्रकारों ने जब पंचायत के मुखिया सरपंच से इसकी वजह जाननी चाही, तो उन्होंने बताया कि, टंकी के बोलवेल में गुणवत्ताहीन मोटरपंप लगाया गया था जो कुछ चलने के बाद खराब हो गया और मरम्मत नहीं होने की वजह से टंकी अभी तक खाली पड़ी है.
'शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं'
गांव के सरपंच ने बताया कि इसकी जानकारी उसकी ओर से लिखित में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को कई बार दी जा चुकी है, लेकिन अबतक इस पर विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया. जिसकी वजह से गांव की महिलाओं को गर्मी के दिनों में नदी-नालों में गड्ढा खोदकर पानी गंदा पानी पीने को मजबूर होना पड़ता है.