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कॉलेज में नहीं है शिक्षक, घर पर रहकर पढ़ने को मजबूर हैं छात्र

जिले के मैनपुर क्षेत्र के नवीन शासकीय कॉलेज में एक भी शिक्षक नहीं होने की वजह से यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स घर पर रहकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

नवीन शासकीय महाविद्यालय, मैनपुर
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Published : Sep 2, 2019, 1:40 PM IST

Updated : Sep 2, 2019, 2:18 PM IST

गरियाबंद : जिले के मैनपुर का नवीन शासकीय महाविद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. कॉलेज में साइंस और कॉमर्स की क्लास लेने के लिए कोई शिक्षक ही नहीं है, जिसका खामियाजा यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है.

नवीन शासकीय कॉलेज में नहीं हैं शिक्षक

कॉलेज के प्रिंसिपल को शिक्षकों के न होने की वजह से मजबूर होकर छात्र-छात्राओं को घर में रहकर पढ़ने की सलाह देनी पड़ रही है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले छात्र अपने भविष्य को लेकर काफी परेशान हैं. चिंता करने की बात तो ये है कि इस कॉलेज में शिक्षकों के साथ-साथ चपरासी और भृत्य भी नहीं हैं.

भविष्य को लेकर परेशान हैं छात्र
शासकीय कॉलेज में साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स तीनों सबजेक्ट संचालित हैं और यहां 125 किमी तक के दायरे में रहने वाले छात्र पढ़ने आते हैं. स्नातक के छात्रों का कहना है कि, 'घर में पढ़ाई तो हो जाती है, लेकिन जब कोई कठिनाई आ जाए तो बिना टीचर के इसे समझने में बड़ी दिक्कत होती है'.

कॉलेज में पढ़ने आते हैं कई गांव के छात्र
मैनपुर से 45 किमी दूर जिला मुख्यालय गरियाबंद में एक कॉलेज है और दूसरी तरफ 80 किमी दूर देवभोग में कॉलेज मौजूद है, यानि इनके बीच पड़ने वाले सैकड़ों गांव के छात्र पढ़ने के लिए नवीन शासकीय महाविद्यालय आते हैं.

पढ़ें- दंतेवाड़ा : यहां प्रकृति की गोद में बसे हैं ढोलकाल गणेश, शक्ति के रूप में पूजते हैं आदिवासी

शासन-प्रशासन नहीं दे रहे ध्यान
प्राचार्य का कहना है कि, 'इस सत्र में शिक्षक की कमी को लेकर शासन को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन अब तक इसमें कोई ध्यान नहीं दिया गया है. जिस वजह से बच्चों को घर में रहकर पढ़ने की सूचना जारी की गई है और गेस्ट लेक्चरर के आने पर उन्हें वापस कॉलेज बुलाया जाएगा.'

पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया ये सरकार का नारा है, लेकिन जब कॉलेज में शिक्षक ही नहीं होंगे तो देश का भविष्य कहे जाने वाले युवा कैसे पढ़ेंगे और कैसे आगे बढ़ेंगे.

गरियाबंद : जिले के मैनपुर का नवीन शासकीय महाविद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. कॉलेज में साइंस और कॉमर्स की क्लास लेने के लिए कोई शिक्षक ही नहीं है, जिसका खामियाजा यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है.

नवीन शासकीय कॉलेज में नहीं हैं शिक्षक

कॉलेज के प्रिंसिपल को शिक्षकों के न होने की वजह से मजबूर होकर छात्र-छात्राओं को घर में रहकर पढ़ने की सलाह देनी पड़ रही है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले छात्र अपने भविष्य को लेकर काफी परेशान हैं. चिंता करने की बात तो ये है कि इस कॉलेज में शिक्षकों के साथ-साथ चपरासी और भृत्य भी नहीं हैं.

भविष्य को लेकर परेशान हैं छात्र
शासकीय कॉलेज में साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स तीनों सबजेक्ट संचालित हैं और यहां 125 किमी तक के दायरे में रहने वाले छात्र पढ़ने आते हैं. स्नातक के छात्रों का कहना है कि, 'घर में पढ़ाई तो हो जाती है, लेकिन जब कोई कठिनाई आ जाए तो बिना टीचर के इसे समझने में बड़ी दिक्कत होती है'.

कॉलेज में पढ़ने आते हैं कई गांव के छात्र
मैनपुर से 45 किमी दूर जिला मुख्यालय गरियाबंद में एक कॉलेज है और दूसरी तरफ 80 किमी दूर देवभोग में कॉलेज मौजूद है, यानि इनके बीच पड़ने वाले सैकड़ों गांव के छात्र पढ़ने के लिए नवीन शासकीय महाविद्यालय आते हैं.

पढ़ें- दंतेवाड़ा : यहां प्रकृति की गोद में बसे हैं ढोलकाल गणेश, शक्ति के रूप में पूजते हैं आदिवासी

शासन-प्रशासन नहीं दे रहे ध्यान
प्राचार्य का कहना है कि, 'इस सत्र में शिक्षक की कमी को लेकर शासन को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन अब तक इसमें कोई ध्यान नहीं दिया गया है. जिस वजह से बच्चों को घर में रहकर पढ़ने की सूचना जारी की गई है और गेस्ट लेक्चरर के आने पर उन्हें वापस कॉलेज बुलाया जाएगा.'

पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया ये सरकार का नारा है, लेकिन जब कॉलेज में शिक्षक ही नहीं होंगे तो देश का भविष्य कहे जाने वाले युवा कैसे पढ़ेंगे और कैसे आगे बढ़ेंगे.

Intro:पैकेज लायक स्टोरी है

स्लग---छात्र परेशान भविष्य बर्बाद

एंकर....किसी काँलेज के प्रिंसिपल को यदि टीचर की कमी का हवाला देकर छात्रों को घर बैठकर पढाई करने की सलाह देनी पड़े और वहाँ पढ़ने वाले छात्र ये सोचकर परेशान हो कि आखिर उनके भविष्य का क्या होगा, तो आप उस प्रिंसिपल की व्यथा और उस काँलेज की स्थिति का अंदाजा लगा सकते है, आज हम एक ऐसे ही काँलेज की बात करने वाले है,
Body:वीओ १----ये है गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड मुख्यालय में संचालित नवीन शासकीय महविद्यालय, आजादी के ६६ साल बाद यहाँ काँलेज तो खुल गया, मगर टीचर्स की कमी के कारण छात्रों की पढाई नही हो पा रही है, टीचर्स तो छोडिए काँलेज में चपरासी और भृत्य तक नही है, ऐसे में काँलेज की स्थिति क्या होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, हालात को देखते हुए प्रिंसिपल ने छात्रों को घर बैठकर पढाई करने की सलाह दी है.
बाईट १---डॉ जीएल मनहरण, प्राचार्य.......
वीओ २-----आपको बता दे वैसे तो यहाँ साइंस, आर्टस और कामर्स तीनों फैकल्टी संचालित है,और १२५ किमी तक के छात्र यहाँ पढाई करने आते है, यानि एक तरफ यहाँ से ४५ किमी दूर जिला मुख्यालय में काँलेज है और दूसरी तरफ ८० किमी देवभोग में काँलेज है, इसके बीच पड़ने वाले सैकडों गाँवो के बच्चे यहाँ पढ़ने आते है, मगर अच्छी पढाई नही होने के कारण यहाँ पढ़ने वाले छात्र अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित है,
बाईट २----मानव भोसले, छात्र------
बाईट ----चित्रलेखा यादव, छात्रा-----
बाईट ४---पूजा निर्मलकर, छात्रा........
Conclusion:फाइनल वीओ-----सरकार का नारा है कि पढेगा लिखेगा तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया, मगर सवाल ये भी है कि बिना शिक्षक और बिना गुरु के कैसे पढ़ेगा और कैसे बढ़ेगा इंडिया,
Last Updated : Sep 2, 2019, 2:18 PM IST
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