दुर्ग: भिलाई नगर निगम में एक बार फिर सफाई के लिए टेंडर जारी किए गए हैं, लेकिन इस बार निगम स्तर पर टेंडर न होकर जोनवार सफाई टेंडर जारी किया गया हैं. लगभग 30 करोड़ रुपए के इस सफाई टेंडर को पाने कुछ सफाई एजेंसियों के साथ-साथ शहर सरकार के करीबियों ने भी टेंडर भरा हैं.
स्वच्छता रैंकिंग में देश भर में 11वें स्थान पर आने वाला भिलाई नगर निगम इस बार अपने स्वच्छता स्तर को स्थायी बनाए रखने के लिए सेल्फ सस्टेनबिलिटी सिटी के अवॉर्ड से सम्मानित हुआ हैं. इसके साथ ही अब निगम ओडीएफ, डबल प्लस, और थ्री स्टार रैंकिंग के बाद अब 5 स्टार रैंकिंग, वाटर प्लस के लिए प्रयास कर रहा हैं. निगम ने इस बार जोनवार टेंडर जारी कर सफाई ठेके में एकाधिकार को खत्म करने की कोशिश की हैं.
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सफाई व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
लगभग 11 लाख की आबादी वाले भिलाई नगर निगम को सफाई के लिए हर साल 30 से 35 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं. वहीं सफाई के लिए निगम के पास उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल भी एजेंसियां करती है. निगम में पूर्व में काम कर रहे लगभग 1500 ठेका श्रमिक भी इन्हीं एजेंसियों में काम करते हैं, लेकिन सफाई व्यवस्था पर हर बार सवाल खड़े होते रहें हैं.
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सामान्य सभा में भी भाजपा पार्षदों की मांग पर सफाई एजेंसियों पर मॉनिटरिंग कमेटी बनाए जाने पर सहमति बनी हैं. पूर्व में सफाई टेंडर दिए गए रमन मेसर्स पर कर्मचारियों ने वेतन रोकने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया था. नेता प्रतिपक्ष रिकेश सेन ने भी सफाई व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं.अब देखना होगा कि जोनवार किन्हें सफाई का ठेका दिया जाता हैं.