दुर्ग : रेशम की डोर हाथ में लिए घंटों इंतजार करती बहनों के लिए वह चंद मिनट भी प्यारे लगते थे जो राखी के जरिए सालभर में एक बार, जेल में बंद अपने भाई के करीब लाते थे. पर इस बार दुर्ग जेल में बंद भाइयों की कलाइयों पर राखी मुश्किल से सज पाएगी. दरअसल, दुर्ग में कोरोना की वजह से लॉकडाउन की समय सीमा बढ़ाने के बाद अब जेल में भी रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाएगा.
बहनों के पास अपने भाई तक राखी पहुंचाने के केवल एक ही रास्ता बचा है और वह है डाक के जरिए. बहनों को अपने भाइयों से मिलने की इजाजत दुर्ग केंद्रीय जेल ने नहीं दी है. रक्षाबंधन का कार्यक्रम इस बार कोरोना की वजह से आयोजित नहीं किया जाएगा.
डाक से स्वीकार करेंगे राखी
जेल अधीक्षक योगेश क्षत्रिय ने बताया कि कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से इस बार जेल में रक्षाबंधन का कार्यक्रम नहीं हो रहा हैं, लेकिन बहनें डाक के जरिए राखी भेज सकती हैं. बहनों के भेजे लिफाफे को पूरी तरह सैनिटाइजर करने के बाद ही कैदी भाइयों तक पहुंचाया जाएगा, ताकि कोरोना का खतरा न हो.
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वीडियो कॉलिंग और फोन पर बात की अनुमति
रक्षाबंधन के त्योहार को मद्देनजर देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक पहल और की है. रक्षाबंधन के मौके पर जेल में बंद कैदियों को उनकी बहनों से वीडियो कॉलिंग और फोन पर बात करने की अनुमति निर्देश जारी किए गए है. वैश्विक महामारी कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. जेलों में किसी से भी मुलाकात करने की अनुमति नहीं दी गई है. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. हर साल इस दिन जेल में बंद कैदियों को उनकी बहनें राखी बांधने जेल जाती थी, लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार जेल में मुलाकात पर रोक लगा दी गई है.