दुर्ग/भिलाई: भिलाई नगर निगम के आधिपत्य की 1248 भूखंडों की बिक्री की अनुमति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. निगम के पार्षद ने भूखंड विक्रय के लिए राज्य शासन से मिली अनुमति को नियम के खिलाफ बताते हुए जनहित याचिका दायर की है. इसमें आरोप लगाया है कि निगम जिस तरीके से जमीन की बिक्री कर रहा है उससे निगम को काफी ज्यादा आर्थिक नुकसान होगा. उन्होंने महापौर पर कार्यकाल के अंतिम समय में नियम के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है.
अवैधानिक तरीके से बेची जा रही जमीन
याचिकाकर्ता जोन-1 के अध्यक्ष और पार्षद भोजराज सिन्हा ने बताया कि साल 1978 से जिन भूखंडों पर निगम का कब्जा रहा है, उन भूखंडों की बिक्री के लिए महापौर ने गलत तरीके से राज्य शासन से अनुमति ली है. उन्होंने बताया कि सामान्य सभा में इसकी अनुमति ली जानी थी, लेकिन महापौर ने निगम आयुक्त से पत्राचार कराकर राज्य शासन से अनुमति ले ली. जिन 1248 भूखंडों की बिक्री की जा रही है, उनकी कीमत करीब 300 करोड़ रुपये है.
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सामान्य सभा के अधिकार का हनन
पार्षद भोजराज सिन्हा का कहना है कि राज्य शासन द्वारा नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों को ताक पर रखते हुए आयुक्त को निर्देषित किया गया कि, रिक्त भूखंडों से प्राप्त राजस्व नगर पालिक निगम मद में जमा कराई जाए. इससे नगर निगम की सामान्य सभा के अधिकार का हनन करते हुए रिक्त भूखण्डों के ट्रांसफर के लिए दुर्ग कलेक्टर को अधिकृत किया गया.
अर्जित आय का अनुपातिक हिस्सा जाएगा शासन को
याचिकाकर्ता ने कहा कि भूखंडों के विक्रय से प्राप्त लगभग 300 करोड़ की राशि का बड़ा हिस्सा शासन को चला जाएगा और निगम की स्थिति अपनी भूमि को बेचने के बाद भी दयनीय रहेगी. रिक्त भूखंडों के विक्रय से प्राप्त आय पर निगम का हक है, जिससे नगर निगम क्षेत्र में विकास कार्य हो सके.