दुर्ग: जिले के पुलगांव पुलिस ने इंजीनियर शिवांग चंद्राकर हत्या मामले में 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया(Engineer murdered in Durg) है. इंजीनियर की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि चंदखुरी गांव के पूर्व पंच और उसके दो साथी ने की थी. एक आरोपी पुलगांव थाने में माली का काम करता था. पुलिस की 6 अलग-अलग टीम ने 65 दिनों में इस हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाया ( Engineer murdered in durg accused arrested ) है. पुलिस ने 500 से अधिक लोगों से पूछताछ की. छानबीन के दौरान 200 से अधिक सीसीटीवी कैमरे खंगाले गये.
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आईजी ने किया खुलासा
मामले का खुलासा करते हुए दुर्ग आईजी ओपी पाल (Durg IG OP Pal) ने बताया कि 6 दिसंबर 2021 की शाम 7.30 बजे शिवांग चंद्राकर अपने चंदखुरी स्थित फार्महाउस से लापता हो गया था. वह फार्महाउस से अपने घर जाने के लिए बाइक से निकला था, लेकिन घर नहीं पहुंचा. उसकी बाइक फार्महाउस में ही पाई गई थी. दुर्ग पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर मामले की जांच शुरू की. लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी उसका कहीं कोई पता नहीं चला था. बीते 5 जनवरी को शिवांग के बड़े भाई धर्मेश चंद्राकर ने पुलगांव थाने में सूचना दी कि झरझरा पुल के पास चंदखुरी भाठा में एक खेत मे हार्वेस्टर के चक्के से बने गढ्ढे में मानव खोपडी, घड़ी, कपड़ा व अन्य हड्डियां पाई गई है. पुलिस ने मौके पर जाकर मानव शरीर की हड्डियां, मानव खोपड़ी, कपड़े और एक हाथ घड़ी को जब्त किया. इसके बाद शिवांग के भाई ने पाई गई घड़ी को शिवांग की घड़ी बताया. डीएनए टेस्ट में भी इस बात की पुष्टी हुई कि नर कंकाल शिवांग का है.
पूर्व पंच और थाने का माली निकला आरोपी
दुर्ग इंजीनियर हत्याकांड को अंजाम देने वाले ग्राम चंदखुरी के पूर्व पंच अशोक देशमुख, थाने का माली बंसत साहू और विक्की उर्फ मोनू देखमुख ने मिलकर इंजीनियर छात्र का गला घोंटकर हत्या कर दी. जिसके बाद आरोपियों ने उसके शव को दफन कर दिया था. पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि चंदखुरी के पूर्व पंच अशोक देशमुख और शिवांग के परिवारवालों से पुरानी रंजिश थी. पूछताछ में अशोक ने पुलिस को बताया कि हत्या की रात वह घर पर ही था. छत पर बैठकर शराब पी रहा था. जब उसकी कॉल डिटेल निकाली गई तो पाया गया कि उसकी पत्नी ने उसी रात उसके फोन में कई सारे कॉल किए, जिसे उसने नहीं उठाया. इस पर पुलिस ने पत्नी से भी पूछताछ की. अशोक का झूठ पकड़ा गया.सख्ती से पूछताछ के दौरान अशोक ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर शिवांग की हत्या की बात को कबूल कर लिया.
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हत्या कर फिरौती की थी प्लानिंग
मामले में आरोपी अशोक देशमुख ने पुलिस को बताया कि उसने अपने दो दोस्त विक्की उर्फ मोनू देशमुख और बसंत साहू के साथ मिलकर शिवांग की हत्या कर 30 लाख रुपए की फिरौती मांगने की योजना बनाई थी. उसने बताया कि योजना के मुताबिक हत्या की वारदात को अंजाम देने के लिए कार से चंदखुरी गए. उन्होंने शिवांग के आने का इंतजार किया. जैसे ही शाम को शिवांग अपने फार्महाउस से निकला तो अशोक ने शिवांग से आगे तक छोड़ने के लिए लिफ्ट मांगा. शिवांग ने उसे बाइक में पीछे बैठाया.पीछे बैठते ही अशोक ने शिवांग को पीछे से जकड़ लिया. इसके बाद नाली में नहर के नीचे छिपे विक्की और बसंत साहू वहां आ गए. उन्होंने एक नायलोन की रस्सी का फंदा शिवांग के गले में लपेटकर उसका गला घोंट दिया. जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई. इसके बाद अशोक और विक्की देशमुख कार में बैठे और शिवांग की बाइक को बंसत साहू पीछे लेकर आया और कुछ दूरी पर बाइक को छोड़ सभी एक साथ कार से झरझरा पुल के पास सुनसान जगह पर हार्वेस्टर के चक्के से बने गढ्ढे में शव को डालकर मिट्टी, पैरा और पत्थर से दबा दिया. इसके बाद शिवांग चंद्राकर के पैंट, शर्ट, बैग को झरझरा पुलिया के पास आरोपियों ने जला दिया. घटना में प्रयुक्त नायलोन रस्सी, हेलमेट और मोबाइल को बसंत साहू ने डोगिंया तालाब में फेंक दिया.
पुलगांव थाने का माली भी आरोपी
इस हत्याकांड में शामिल बसंत साहू पुलगांव थाने में माली का काम करता था. हत्या के बाद भी उसका थाने में आना-जाना था. माली के काम की आड़ में वह पुलिस की जांच पर पूरी नजर रख रहा था. ऐसा कहा जा रहा है कि उसने कुछ पुलिसवालों को गलत सूचना देकर मामले को गुमराह करने की भी कोशिश उसने की थी. लेकिन सीएसपी जितेंद्र यादव का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है. बसंत कभी-कभी ही थाने में माली का काम करने आता था. वह थाने का परमानेंट माली नहीं था.