दुर्ग: छत्तीसगढ़ वैसे तो कृषि प्रधान राज्य है, लेकिन हरेली तिहार के कारण यह राज्य और भी हरा भरा हो जाता है. आज के दिन से ही छत्तीसगढ़ी ओलंपिक की भी शुरुआत की जा रही है. दुर्ग जिले के भिलाई में सेक्टर 2 भिलाई विद्यालय में जिला स्तरीय हरेली तिहार का आयोजन किया. इस दौरान गेड़ी दौड़ के साथ ही कबड्डी और मटका दौड़ जैसे खेलों का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश के गृह एवं कृषि मंत्री ताम्रध्वज साहू शामिल हुए.
इसलिए महत्वपूर्ण है हरेली तिहार: हरेली के दिन सुबह से ही किसान कृषि कार्य में उपयोग होने वाले हल, बैल के साथ ही तरह-तरह के कृषि औजार की पूजा करते हैं. यहां के किसान और स्थानीय लोग बड़ी श्रद्धा और धूमधाम के साथ हरेली तिहार मनाते हैं. इस दिन लोहार हर घर के मुख्य द्वार पर नीम की पत्ती लगाकर और चौखट में कील ठोंककर आशीष देते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों की अनिष्ट से रक्षा होती है. इसके बदले में किसान उन्हे दान स्वरूप स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और नगद राशि भेंट करते हैं.
हरेली तिहार पूरे प्रदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह तिहार किसानों के हैं. इस तिहार में कृषि करने वाले औजारों का पूजा की जाती है. पूरे प्रदेशवासियों को हरेली तिहार की बधाई. -ताम्रध्वज साहू, गृह एवं कृषि मंत्री, छत्तीसगढ़
गांवों में भी पारंपरिक खेल प्रतियोगिता का हुआ आयोजन: हरेली में जहां किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं. वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का लुत्फ लेते हैं. कई गांवों पारंपरिक खेल प्रतियोगिता गेड़ी दौड़, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, मटका दौड़ का आयोजन किया जाता है. वहीं मनेशियों को बीमारियों से बचाने के लिए औषधियुक्त आटे की लोई खिलाई जाती है. छत्तीसगढ़ के पहले त्योहार हरेली में पारंपरिक व्यंजनों से हर घर की रसोई महकती है. एक ओर जहां चावल और गेहूं आटे का मीठा चीला पूजा में इस्तेमाल होता है तो दूसरी ओर चौसेला, खीर और ठेठरी-खुरमी जैसे पकवानों से थाली सजती है. हरेली के दिन ग्राम देवता और कुल देवता की पूजा करने का भी रिवाज है. लोग गांव में एक जगह जमा होकर ग्राम देवता से गांव की सुरक्षा के लिए पूजा करते हैं.