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CISF आरक्षक भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी के आरोपी गिरफ्तार

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Published : May 25, 2022, 8:19 PM IST

दुर्ग में केंदीय औद्योगिक सुरक्षा बल भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. मामले में अब तक 8 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है. जबकि 5 लोग फरार बताये जा रहे हैं.

Cheating in Central Industrial Security Force Recruitment Exam
केंदीय औद्योगिक सुरक्षा बल भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी

दुर्ग: दुर्ग जिला में सीआईएसएफ आरक्षक भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. मामले में उतई पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. बता दें कि अब तक पुलिस ने भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी करने वाले 8 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है. मुख्य आरोपी समेत 5 अन्य की तलाश जारी है.

CISF आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी का खुलासा: उतई के केंदीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के ट्रेनिंग में फिजिकल परीक्षा के दौरान परीक्षा में शामिल होने आए अभ्यार्थियों के परिचय पत्र और थंब इंप्रेशन के समय 4 अभ्यर्थियों का बायोमेट्रिक अटेंडेंस में अंगूठे का निशान मेल न होने पर मामले का खुलासा हुआ. जिसके बाद सीआईएसएफ के अधिकारियों की शिकायत पर उतई पुलिस ने गिरोह के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. पकड़े गए आरोपियों में चंद्रशेखर सिंह, श्यामवीर सिंह निषाद, महेन्द्र सिंह,अजीत सिंह,हरिओम आगरा उत्तरप्रदेश और दुर्गेश सिंह तोमर मध्य प्रदेश का रहने वाला है.

CISF आरक्षक भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी



आरक्षक भर्ती परीक्षा में ऐसे करते थे धोखाधड़ी: पाटन एसडीओपी देवांश राठौर ने बताया कि इस मामले में पहले से फिजिकल टेस्ट देने आए 6 आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि फिजिकल टेस्ट देने आए अभ्यर्थियों को पैसे देकर बुलाया गया था. लेकिन अभ्यर्थी फिजिकल टेस्ट देने से पहले ही बायोमेट्रिक मशीन में फिंगरप्रिंट और छत्तीसगढ़ निवासी प्रमाण पत्र के आधार पर ही पकड़ा गया. इस मामले में पुलिस ने आगरा यूपी में दबिश देकर 2 आरोपियों गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपियों का नाम सत्यपाल सिंह और नत्थीलाल वर्मा है.

ये दोनों आरोपी इस गिरोह में अलग-अलग काम करते थे. सत्यपाल सिंह आरक्षक भर्ती परीक्षा में अभी 4 अभ्यर्थियों का लिखित परीक्षा में शामिल हुआ था. वहीं, नत्थीलाल वर्मा आरक्षक भर्ती के लिए सभी अभ्यर्थियों से 2 लाख लेकर आता था. फिलहाल पुलिस इस मामले में पकड़े गए आरोपियों से लगातार पूछताछ कर रही है. इस मामले के मुख्य आरोपी डीएस तोमर हैं, जो मध्यप्रदेश के भिंड में एसएफ की 17वी बटालियन में पदस्थ है. जो छुट्टी लेकर फरार है. वहीं, 4 अन्य आरोपी भी फरार हैं, जिनकी पुलिस पतासाजी में जुटी हुई है.

यह भी पढ़ें; सरिया चोर गिरोह का भंडाफोड़, व्यापारी की मिलीभगत से होती थी चोरी

सीआईएसएफ भर्ती में पैसों के बदले भर्ती का खेल: यह गैंग बड़े शातिराना तरीके से धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम देते थे. पकड़े गए आरोपी सत्यपाल और नत्थीलाल वर्मा ने बताया कि सीआईएसएफ आरक्षक भर्ती के लिए सत्यपाल लिखित परीक्षा देता था, जिसका पूरा फर्जी दस्तावेज डीएस तोमर तैयार करके देता था. बताया जा रहा है कि सत्यपाल ने खुद के लिए लिखित परीक्षा दिया था. जिसमे फेल हो गया था. वहीं, नत्थीलाल बेरोजगारों को नौकरी लगाने के लिए लेकर आता था. फिजिकल टेस्ट के लिए फर्जी अभ्यर्थी भी लेकर आता था, जिसके एवज में लाखों रुपए लेता था.

डीएस तोमर ने सीआईएसफ में बिना परीक्षा दिए नौकरी लगाने के लिए एक व्यक्ति से पांच लाख लिया करता था. फर्जी तरीके से लिखित परीक्षा में अपने किसी व्यक्ति को एक लाख रुपये देकर लिखित परीक्षा में बैठाता था. इस मामले में दुर्गेश सिंह तोमर ने 4 लोगों से नौकरी लगाने के लिए 20 लाख रुपए लिए थे. सीआईएसएफ की लिखित परीक्षा में शामिल होने के लिए सत्यपाल को एक अभ्यार्थी का परीक्षा देने के लिए एक लाख रुपये देते थे, जो चार अभ्यर्थियों का लिखित परीक्षा दिया था.

दुर्ग: दुर्ग जिला में सीआईएसएफ आरक्षक भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. मामले में उतई पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. बता दें कि अब तक पुलिस ने भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी करने वाले 8 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है. मुख्य आरोपी समेत 5 अन्य की तलाश जारी है.

CISF आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी का खुलासा: उतई के केंदीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के ट्रेनिंग में फिजिकल परीक्षा के दौरान परीक्षा में शामिल होने आए अभ्यार्थियों के परिचय पत्र और थंब इंप्रेशन के समय 4 अभ्यर्थियों का बायोमेट्रिक अटेंडेंस में अंगूठे का निशान मेल न होने पर मामले का खुलासा हुआ. जिसके बाद सीआईएसएफ के अधिकारियों की शिकायत पर उतई पुलिस ने गिरोह के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. पकड़े गए आरोपियों में चंद्रशेखर सिंह, श्यामवीर सिंह निषाद, महेन्द्र सिंह,अजीत सिंह,हरिओम आगरा उत्तरप्रदेश और दुर्गेश सिंह तोमर मध्य प्रदेश का रहने वाला है.

CISF आरक्षक भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी



आरक्षक भर्ती परीक्षा में ऐसे करते थे धोखाधड़ी: पाटन एसडीओपी देवांश राठौर ने बताया कि इस मामले में पहले से फिजिकल टेस्ट देने आए 6 आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि फिजिकल टेस्ट देने आए अभ्यर्थियों को पैसे देकर बुलाया गया था. लेकिन अभ्यर्थी फिजिकल टेस्ट देने से पहले ही बायोमेट्रिक मशीन में फिंगरप्रिंट और छत्तीसगढ़ निवासी प्रमाण पत्र के आधार पर ही पकड़ा गया. इस मामले में पुलिस ने आगरा यूपी में दबिश देकर 2 आरोपियों गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपियों का नाम सत्यपाल सिंह और नत्थीलाल वर्मा है.

ये दोनों आरोपी इस गिरोह में अलग-अलग काम करते थे. सत्यपाल सिंह आरक्षक भर्ती परीक्षा में अभी 4 अभ्यर्थियों का लिखित परीक्षा में शामिल हुआ था. वहीं, नत्थीलाल वर्मा आरक्षक भर्ती के लिए सभी अभ्यर्थियों से 2 लाख लेकर आता था. फिलहाल पुलिस इस मामले में पकड़े गए आरोपियों से लगातार पूछताछ कर रही है. इस मामले के मुख्य आरोपी डीएस तोमर हैं, जो मध्यप्रदेश के भिंड में एसएफ की 17वी बटालियन में पदस्थ है. जो छुट्टी लेकर फरार है. वहीं, 4 अन्य आरोपी भी फरार हैं, जिनकी पुलिस पतासाजी में जुटी हुई है.

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सीआईएसएफ भर्ती में पैसों के बदले भर्ती का खेल: यह गैंग बड़े शातिराना तरीके से धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम देते थे. पकड़े गए आरोपी सत्यपाल और नत्थीलाल वर्मा ने बताया कि सीआईएसएफ आरक्षक भर्ती के लिए सत्यपाल लिखित परीक्षा देता था, जिसका पूरा फर्जी दस्तावेज डीएस तोमर तैयार करके देता था. बताया जा रहा है कि सत्यपाल ने खुद के लिए लिखित परीक्षा दिया था. जिसमे फेल हो गया था. वहीं, नत्थीलाल बेरोजगारों को नौकरी लगाने के लिए लेकर आता था. फिजिकल टेस्ट के लिए फर्जी अभ्यर्थी भी लेकर आता था, जिसके एवज में लाखों रुपए लेता था.

डीएस तोमर ने सीआईएसफ में बिना परीक्षा दिए नौकरी लगाने के लिए एक व्यक्ति से पांच लाख लिया करता था. फर्जी तरीके से लिखित परीक्षा में अपने किसी व्यक्ति को एक लाख रुपये देकर लिखित परीक्षा में बैठाता था. इस मामले में दुर्गेश सिंह तोमर ने 4 लोगों से नौकरी लगाने के लिए 20 लाख रुपए लिए थे. सीआईएसएफ की लिखित परीक्षा में शामिल होने के लिए सत्यपाल को एक अभ्यार्थी का परीक्षा देने के लिए एक लाख रुपये देते थे, जो चार अभ्यर्थियों का लिखित परीक्षा दिया था.

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