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धमतरी: नक्सलियों के गढ़ में बसा है मां का दरबार, दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

धमतरी के मगरलोड इलाके के बीहड़ में नवरात्रि के दिनों में माता की भक्ति करने जन सैलाब उमड़ पड़ता है. निरई माता के चमत्कार का ही प्रभाव है कि, दूर-दूर से यहां लोग खीचे चले आते हैं.

श्रद्धालु
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Published : Apr 7, 2019, 7:01 PM IST

धमतरी : भले ही जिले में दिगर दिनों में नक्सलियों के खौफ का साया मडंराता हो पर मगरलोड इलाके के बीहड़ में नवरात्री के दिनों में माता की भक्ति का मानो सैलाब उमड़ पड़ता है. निरई माता के चमत्कार का ही प्रभाव है कि, दूर-दूर से यहां लोग खींचे चले आते है.

माना जाता है कि, नवरात्र में यहां ज्योत खूद ब खूद जल उठती है. खास बात ये है कि, माता का दरबार साल में एक बार चैत्र नवरात्र पर ही खोला जाता है. धमतरी से करीब 70 किमी दूर मोहेरा पंचायत के घने जंगलो के बीच मौजूद मां निरई के दरबार में चॅहुओर माता का जयकारा गुंजता रहता है. इस बीच उनके रास्ते में न तो फासले की मुश्किल रोक पाती है और न ही नक्सलीयों का खौफ होता है.

धमतरी में निरई माता

बताया जाता है कि सैकड़ों साल पहले बीहड़ पहाड़ में मां निरई माता का मंदिर स्थापना की गई और वहीं पुजारी बैगा की सेवा से प्रसन्न होकर माता अपने भक्त बैगा को ममता का दुलार देती थी. उसे नहलाती और खाना भी खिलाती थी लेकिन बैगा की पत्नी के शक पर माता क्रोधित हो उठी. जिसके बाद माता किसी भी महिला को नहीं देखना चाहती थी. यही वजह है कि इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.

भक्तों की माने तो नवरात्र में कई चमत्कार दिखाई पड़ते है और इस खास मौके पर हजारों की तदाद में बकरो की बली चढ़ती है. मान्यता है कि बकरों की बलि देने से माता प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूरी करती है.

वैसे तो हर दिन भक्तों की भीड़ रहती है पर नवरात्र के पहले रविवार को यहां मेले जैसा माहौल रहता है. लोग दूर-दूर से इस दरबार मे मत्था टेकने पहुंचते है, जो मानते है कि सिर पर माता के हाथ और साथ के रहते उन्हें किसी खौफ की परवाह नहीं है.

बहरहाल भक्ति और शक्ति का यह अदभुत नजारा ये बया करता है कि आस्था के सामने खौफ कोई मायने नहीं रखता. मोहेरा गांव के पहाड़ में मौजूद माता के मंदिर मे लोग इसी यकीन पर चले आते है.

धमतरी : भले ही जिले में दिगर दिनों में नक्सलियों के खौफ का साया मडंराता हो पर मगरलोड इलाके के बीहड़ में नवरात्री के दिनों में माता की भक्ति का मानो सैलाब उमड़ पड़ता है. निरई माता के चमत्कार का ही प्रभाव है कि, दूर-दूर से यहां लोग खींचे चले आते है.

माना जाता है कि, नवरात्र में यहां ज्योत खूद ब खूद जल उठती है. खास बात ये है कि, माता का दरबार साल में एक बार चैत्र नवरात्र पर ही खोला जाता है. धमतरी से करीब 70 किमी दूर मोहेरा पंचायत के घने जंगलो के बीच मौजूद मां निरई के दरबार में चॅहुओर माता का जयकारा गुंजता रहता है. इस बीच उनके रास्ते में न तो फासले की मुश्किल रोक पाती है और न ही नक्सलीयों का खौफ होता है.

धमतरी में निरई माता

बताया जाता है कि सैकड़ों साल पहले बीहड़ पहाड़ में मां निरई माता का मंदिर स्थापना की गई और वहीं पुजारी बैगा की सेवा से प्रसन्न होकर माता अपने भक्त बैगा को ममता का दुलार देती थी. उसे नहलाती और खाना भी खिलाती थी लेकिन बैगा की पत्नी के शक पर माता क्रोधित हो उठी. जिसके बाद माता किसी भी महिला को नहीं देखना चाहती थी. यही वजह है कि इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.

भक्तों की माने तो नवरात्र में कई चमत्कार दिखाई पड़ते है और इस खास मौके पर हजारों की तदाद में बकरो की बली चढ़ती है. मान्यता है कि बकरों की बलि देने से माता प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूरी करती है.

वैसे तो हर दिन भक्तों की भीड़ रहती है पर नवरात्र के पहले रविवार को यहां मेले जैसा माहौल रहता है. लोग दूर-दूर से इस दरबार मे मत्था टेकने पहुंचते है, जो मानते है कि सिर पर माता के हाथ और साथ के रहते उन्हें किसी खौफ की परवाह नहीं है.

बहरहाल भक्ति और शक्ति का यह अदभुत नजारा ये बया करता है कि आस्था के सामने खौफ कोई मायने नहीं रखता. मोहेरा गांव के पहाड़ में मौजूद माता के मंदिर मे लोग इसी यकीन पर चले आते है.

Intro:एंकर..भले ही धमतरी के दिगर जगहो में माओवादियो के खौफ का साया मडंराता हो पर मगरलोड इलाके के बीहड़ मे साल भर माता की भक्ति का मानो सैलाब उमड़ पड़ता है.माँ निरई माता के चमत्कार का ही प्रभाव है कि दूर दूर से यहां लोग खींचे चले आते है अपनी मुरादे पुरी करने. माना जाता है कि नवरात्र मे यहां ज्योत खूद ब खूद जल उठती है खास बात ये है कि माता का दरबार साल में एक बार चैत्र नवरात्र पर ही खोला जाता है.Body:धमतरी से करीब 70 किमी दूर मोहेरा पंचायत के घने जंगलो के बीच मौजूद माॅ निरई माता के दरबार में चॅहुओर माता का जयकारा गुंजता रहता है.जब माँ के भक्त चले आते है.मगरलोड इलाके के इस बीहड़ में माता के दर्शन करने आते है.इस बीच उनके रास्ते न तो फासले की मुश्किलात रोक पाती है और ना ही नक्सली संगीनो का खौफ. बताया जाता है कि सैकड़ों साल पहले बीहड़ पहाड़ में माॅ निरई माता का मंदिर स्थापना की गई और वही पुजारी बैगा की सेवा से प्रसन्न होकर माता अपने भक्त बैगा को ममता का दुलार देती थी.उसे नहलाती और खाना भी खिलाती थी लेकिन बैगा की पत्नी के शक पर माता क्रोधित हो उठी.जिसके बाद किसी भी महिला को नही देखने अपनी इच्छा जाहिर की.यही वजह है कि इस मंदिर में महिलाओं का आनेजाने में मनाही है.चैत्र नवरात्र के पहले रविवार को ही माता के दर्शन करने का रिवाज है.वही माँ निरई माता का यह दरबार श्रद्धालुओ के आस्था का केन्द्र बन गया है और आज यहां मौजूद मन्दिर शक्ति की भक्ति का गवाही दे रहा है.भक्तो की माने तो चैत्र नवरात्र मे यहाॅं खूदबखूद ज्योत जल उठती है.इसके अलावा और कई चमत्कार दिखाई पड़ते है और इस खास मौके पर हजारो की तदाद मे बकरो की बली चढ़ती है.मान्यता है कि बकरो की बलि देने से माता प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाए पूरी करती है.

बाईट.......किशन सेन
बाईट.... मेहरू राम
वैसे तो हर दिन भक्तो की भीड़ रहती है पर नवरात्र के पहले रविवार को यहां मेले जैसा माहौल रहता है.लोग दूर दूर से इस दरबार मे मत्था टेकने पहुंचते है जो मानते है कि सिर पर माता के हाथ और साथ के रहते उन्हे किसी खौफ की परवाह नही है.

बाईट.......माखन साहू
बाईट... सोहन लाल
बहरहाल भक्ति और शक्ति का यह अदभुत नजारा ये बया करता है कि आस्था के सामने खौफ कोई मायने नही रखता.मोहेरा गांव के पहाड़ मे मौजूद माता के मन्दिर मे लोग इसी यकीन पर चले आते है.
जय लाल प्रजापति नगरी (धमतरी) 8319178303Conclusion:
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